क्रियात्मक अनुसंधान
क्रियात्मक अनुसंधान शब्द सर्वप्रथम बकिंघम ने दिया।
अमेरिकी विद्वान काॅलिनयर ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय सर्वप्रथम क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग किया।
1946 ई में कुर्त लेविन ने क्रिआत्मक अनुसंधान का प्रयोग सामाजिक क्षेत्र में किया।
1953 ई मे स्टीफन एम कोरे ने सर्वप्रथम क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया।
मौली नामक विद्वान ने कहा था कि यह क्रियात्मक अनुसंधान का सर्वप्रथम शिक्षा में प्रयोग स्टीफन एम कोरे ने किया इसलिए उन्हें क्रियात्मक अनुसंधान का जनक मानना चाहिए।
परिभाषाएं
स्टीफन एम कोरे के अनुसार शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ है प्रयोगकर्ता द्वारा वैज्ञानिक रूप से समस्या का समाधान करना।
मुनरो के अनुसार क्रियात्मक अनुसंधान समस्या समाधान की वह विधि है जिसके द्वारा प्राप्त निष्कर्ष आंशिक या पूर्ण रूप से तथ्यों पर निर्भर होते हैं।
मौली के अनुसार एक शिक्षक के सामने उत्पन्न होने वाली समस्या वे होती है जिनका समाधान तत्काल आवश्यक है, उस समाधान को ढूंढना है क्रियात्मक अनुसंधान है।
क्रियात्मक अनुसंधान के क्षेत्र
1) पाठ्यक्रम के क्षेत्र में
2) शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में
3) सह शैक्षणिक गतिविधियों में
4) परीक्षाओं के संदर्भ में
5) शिक्षक व्यवहार के क्षेत्र में
6) बालक की समस्या के क्षेत्र में
क्रियात्मक अनुसंधान का उद्देश्य
बिना किसी प्रशिक्षण या विशेषज्ञ के केवल प्रधानाध्यापक शिक्षक अथवा अन्य कर्मचारियों द्वारा समाधान खोज लेना।
विद्यालय वातावरण को यांत्रिक के स्थान पर लोकतंत्रिक बनाना।
किसी भी समस्या का तत्काल समाधान, वह भी वैज्ञानिक तरीके से होना चाहिए।
सभी व्यक्तियों के साथ अनुकूलित व्यवहार
विद्यालय की प्रगति के लिए कार्य
क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान
लेस्टर एण्डरसन के अनुसार क्रियात्मक अनुसंधान के 7 सौपान है।
1) समस्या का ज्ञान
2) समस्या के संदर्भ में विचार विमर्श
3) कार्य योजना एवं उत्कल्पना निर्माण
4) तथ्यो का संकलन
5) कार्यो का क्रियान्वयन
6) तथ्यो पर आधारित निष्कर्षो की प्राप्ति
7) दुसरो के परिणाम देखना
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