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व्यक्तित्व


व्यक्तित्व

किसी का किसी दूसरे व्यक्ति पर पड़ने वाला प्रभाव ही व्यक्तित्व कहलाता है।

वारेन के अनुसार व्यक्तित्व व्यक्ति का सम्पूर्ण मानसिक संगठन होता है जो उसकी विकास की अवस्था में पाया जाता है।

ऑलपोर्ट के अनुसार व्यक्तित्व से आशय व्यक्ति की वे शारीरिक एवं मनौदेहिक गत्यात्मक दशाएँ होती है जिनसे व्यक्ति सामाजिक वातावरण में सामंजस्य बनाएँ रखता है।

वुडवर्थ- व्यक्तित्व व्यक्ति की विशेषताओ का समग्र रूप है।

रैक्स राॅस - व्यक्तित्व व्यक्ति के मान्य व अमान्य गुणो का पुंज है।

गिलफोर्ड के अनुसार व्यक्तित्व व्यक्ति के गुणो का समन्वित रूप है।

व्यक्तित्व के प्रकार 

हिप्पोक्रट्स के अनुसार व्यक्तित्व 4 प्रकार का होता है।

1) पिला पित्त

2) काला पित्त

3) श्लेष (कफ)

4) रक्त

क्रेचमर ने व्यक्तित्व के 4 प्रकार बताये हैं।

1) गोलकाय

2) लम्बकाय

3) सुडुलकाय

4) मिश्रितकाय

शेल्डन ने व्यक्तित्व के 3 प्रकार बताये हैं।

1) गोलाकार

2) लंबाकार

3) आयताकार

जुंग (युंग) का अनुसार व्यक्तित्व दो प्रकार का है।

1) अंतर्मुखी - एकांतप्रिय, असामाजिक, निराशावादी 

2) बहिर्मुखी - सामाजिक, हंसमुख, मिलनसार, आशावादी 

बाद मे इनके शिष्यो ने कहा की समाज मे कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जिनमे दोनो ही प्रकार के लक्षण देखे जाते है, ऐसे व्यक्ति उभयमुखी होते हैं।

जुंग से पूर्व हैल आइजेक नामक विद्वान ने भी अंतर्मुख एवं बहिर्मुखता शब्दो का व्यक्तित्व के लिए प्रयोग किया।

भारतीय दर्शन के अनुसार ने मुनि ने व्यक्तित्व के 3 प्रकार बताये हैं।

सतोगुणी - धार्मिक, सहिष्णु, मिलनसार, सदैव सहयोगी भाव वाले।

रजोगुणी - वीर, साहसी, सेवाभावी, प्रजावत्सल

तमोगणी - अंधकारप्रिय, झगडालू, आलसी

आधुनिक/पाश्चात्य मत के अनुसार - 3 प्रकार 

भावशील - भावना के साथ जीने वाले, भावुक, किसी की भी बातो मे आ जाने वाले, सदा दुखी।

कर्मशील - कर्मठ, कर्मो पर विश्वास करने वाले, अंतिम रूप से सुखी रहने वाले।

विचारशील - विचारशील, किसी भी कार्य को करने से पहले सोच विचार करने वाले, सदा सुखी।

व्यक्तित्व निर्माण सिद्धांत 

शील के गुणो का सिद्धांत - जी डब्ल्यू अलपोर्ट

हमारा व्यक्तित्व 17953 शील के गुणो से बना होता है जिन्हे 4500 भागो में बांटा जा सकता है यह शील के गुण मूल रूप से 2 प्रकार के हो सकते हैं।

1) सामान्य - वे शील के गुण जो सभी मे सामान्य रूप से पाए जाते हैं जैसे - प्रेम, दया, सहयोग आदी

2) विशिष्ट - वे गुण जो व्यक्ति विशेष मे पाए जाते है तथा उसकी एक विशिष्ट पहचान बन जाते हैं, जैसे मदर टेरेसा मे सेवा का गुण।

विशेषक का सिद्धांत- आर बी कैटल

इस सिद्धांत के अनुसार हमारा शरीर दो प्रकार के विशेषको (शील गुण) से बनता है।

1) सतही विशेषक - वे विशेषक जिनका ज्ञान सामान्य व्यवहार या बातचीत से हो जाता है।

2) स्त्रोत विशेषक - जब किसी व्यक्ति के साथ कोई व्यवहार किया जाता है तब तक उसकी विशेषता का पता नही चलता परन्तु प्रयासो से उसका पता लगाया जा सकता है। 

कैटल के अनुसार  समाज में कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिन्हे स्पष्ट वक्ता कहा जाता है परन्तु यह लोग वास्तव मे चक्रविक्षिप्त (आधे पागल) होते हैं।

आर बी कैटल ने मूलतः शील के गुणो की संख्या 16 बताई है जो व्यक्ति के धनात्मक चरित्र से संबंधित होते हैं, इनकी पहचान के लिए कैटल ने 16 Pf प्रश्नावली प्रस्तुत की।

कैटल ने सामान्य व्यक्तियो मे 23 एवं असामान्य व्यक्तियो मे 12 गुण बताए किंतु रूप से 16 गुण माने।

मांग दबाव का सिद्धांत- हेनरी मुर्रे

प्रत्येक व्यक्ति मे एक विशेष प्रकार के व्यक्तित्व निर्माण की क्षमता होती है किंतु वह व्यक्ति किसी भी प्रकार की अपनी पूर्ती के लिए आने वाले दबाव के कारण किसी व्यवहार को अपनाता है एवं बाद मे वैसा ही बन जाता है।

इन्होने व्यक्ति को दबाव मे लाने वाली लगभग 40 मांगो का वर्णन किया है।

मनोविश्लेषण का सिद्धांत - सिग्मंड फ्रायड

फ्रायड के अनुसार किसी भी व्यक्ति का व्यक्ति तीन प्रकार के घटको से मिलकर बना होता है।

1इदम (Id) 

यह घटक बचपन मे प्रभावशाली होता है।

यह मनुष्य मे पशु प्रकृति को प्रकट करता है।

यह सुखवादी व्यक्तित्व को जन्म देता है एव व्यक्ति को स्वार्थी बनाता है।

2) अहम् (Ego)

यह घटक युवावस्था में अधिक प्रभावशाली होता है।

यह व्यक्ति मे मानवीयता को पैदा करता है।

यह अहम् एवं पराअहम मे संतुलन बनाए रखता है।

पराअहम (Super ego)

यह वृद्धावस्था में प्रभावशाली होता है।

यह व्यक्ति मे त्याग एवं बलिदान का भाव विकसित करता है।

व्यक्तित्व मापन

मनोविश्लेषण विधियाँ 

स्वतंत्र शब्द साहचर्य विधि - फ्रांसिस गाल्टन (1879)

इस विधि मे प्रतिभागी के समक्ष 50-100 शब्द उद्दीपन के रूप मे प्रस्तुत कर दीए जाते है तथा संबंधित व्यक्ति के विचार लेते है जिससे उसके व्यक्तित्व का पता चलता है।

स्वप्न विश्लेषण विधि - सिग्मंड फ्रायड (1900)

इस विधि के अंतर्गत किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का मापन करने हेतु उसके स्वप्नो का विश्लेषण करना चाहिए।

व्यक्तित्व मापन की प्रक्षेपी विधियाँ 

स्याही धब्बा परीक्षण (IBT) - हरमन रोशार्क (1921)

इस विधि स्याही के धब्बो वाले 10 कार्डो का प्रयोग किया जाता है।

5 कार्डो पर सफेद व काली स्याही के धब्बे होते हैं।

2 कार्डो पर सफाद, काली व लाल स्याही के धब्बे होते हैं।

3 कार्डो पर बहुरंगी स्याही के धब्बे होते हैं।

वाक्य/कहानी पूर्ती परीक्षण (SCT) - पाइन एवं टेण्डलर (1930)

व्यक्ति के सामने अधूरा वाक्य प्रस्तुत करते है एवं उसे पुरा करवाते हुए परीक्षण करते है।

प्रासंगिक अंतर्बोध परीक्षण (TAT) - माॅर्गन एवं मुर्रे (1935)

इस परीक्षण मे कुल 31 कार्ड होते हैं जिनमे से 30 चित्रित एवं 1 कार्ड सादा होता है।

10 कार्ड पुरुषो के लिए 

10 कार्ड महिलाओं के लिए 

10 कार्ड काॅमन

14 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियो का परीक्षण इससे किया जाता है।

प्रथम बार व्यक्ति को 10 कार्ड लिंग अनुसार देंगे।

दुसरी बार व्यक्ति को 10 कार्ड काॅमन देंगे।

तीसरी बार उसे 1 सादा कार्ड दिया जाता है, इस प्रकार एक व्यक्ति के व्यक्तित्व परीक्षण मे कुल 21 कार्ड प्रयुक्त किए जाते है।

बाल अंतर्बोध परीक्षण (CAT) - लियोपोल्ड बैलक 1948

इस परीक्षण मे कुल 10 कार्ड होते हैं जिन पर पशु पक्षियों के चित्र मानव की तरह व्यवहार करते हुए दिखाया गया है।

यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष की आयु के बालको के लिए ही होता है।

IBT, SCT, TAT नामक परीक्षणो का भारतीयकरण कोलकत्ता की मनोवैज्ञानिक उमा चौधरी ने किया।

बाल अंतर्बोध विकास परीक्षण का डाॅ अर्नेस्ट द्वारा किया गया।

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