". संविधान निर्माण ~ Rajasthan Preparation

संविधान निर्माण


संविधान निर्माण

कैबिनेट मिशन 

24 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन भारत आया इसका मुख्य उद्देश्य संविधान सभा का गठन करना एवं भारतीयो को शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता का हस्तांतरण करना था।

इसमे कुल 3 सदस्य थे।

1) लाॅर्ड पेथिक लाॅरेन्स (अध्यक्ष)

2) सर स्टैफर्ड क्रिप्स

3) ए वी एलेक्जेंडर 

कैबिनेट मिशन द्वारा संविधान सभा के संबंध मे निम्न बाते निर्धारित की।

1) भारतीय संविधान सभा का गठन अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाएगा।

2) इसके द्वारा संविधान सभा मे कुल सदस्यों की संख्या 389 निर्धारित की गई जो निम्न प्रकार होगी।

1) 292 ब्रिटिश प्रान्तो से।

2) 93 देशी रियासतो से।

3) 4 चिफ कमिश्नरी क्षेत्रों से।(दिल्ली, अजमेर मेरवाडा, कुर्ग, ब्लूचिस्तान 

3) देशी रियासतो के प्रतिनिधि संविधान सभा मे मनोनीत होंगे।

जुलाई 1946 मे 296 सीटो पर वयस्क मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव हुए जिसमे कांग्रेस को 208 सीट एवं मुस्लिम लीग को 73 सीट तथा अन्य को 15 सीटे प्राप्त हुई, परिणामस्वरूप मुस्लिम लीग के द्वारा संविधान के बहिष्कार का निर्णय लिया गया।

माउण्टबेटन योजना- मार्च, 1947 में माउण्टबेटन भारत आया।- 3 जून, 1947 को माउण्टबेटन योजना प्रस्तुत की-1. भारत को दो भागों, भारत व पाकिस्तान में बाँट दिया जायेगा।2. बंगाल, पंजाब विधानमण्डलों के अधिवेशन दो भागों में किये जायेंगे। एक भाग में उन जिलों के प्रतिनिधि भाग लेंगे जहाँ मुस्लिम बहुलता है और दूसरे में उन जिलों के प्रतिनिध भाग लेंगे जहाँ मुस्लिम अल्पसंख्यक है। दोनों यह निर्णय स्वयं लेंगे कि उन्हें भारत या पाकिस्तान में से किसके साथ रहना है।3. असम के सिलहट जिले व NWFP में जनमत संग्रह करवाया जायेगा।4. पंजाब, बंगाल, असम के लिये सीमा आयोग का गठन किया जायेगा। [रेडक्लिफ आयोग]5. देशी रियासतों से ब्रिटिश सर्वोच्चता समाप्त कर उन्हें भारत या पाक में मिलने की पूर्ण स्वतंन्त्रता होगी।भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम - 1947- 4 जुलाई को ब्रिटिश संसद में पेश व 18 जुलाई को स्वीकृत –1. 15 अगस्त, 1947 को भारत व पाक दो डोमिनियम राज्य अस्तित्व में आ जायेंगे।2. भारत व पाकिस्तान के पास राष्ट्रमण्डल में अलग होने का पूर्ण अधिकार होगा।3. दोनों डोमिनियन स्टेट अपनी-अपनी संविधान सभा का गठन करेंगे व दोनों के लिये अलग-अलग गवर्नर जनरल होगा।4. नया संविधान बनने तक संविधान सभा ही 1935 ई. के अधिनियम के अनुसार विधानमण्डल के रूप में कार्य करेगी।5. सभी रियासतें ब्रिटिश सन्धियों से मुक्त है। वे स्वतन्त्र रह सकती है या किसी देश के साथ मिल सकती है।6. ब्रिटिश सम्राट के टाइटल से ‘केसर-ए-हिन्द’ की उपाधि

बंटवारे के बाद भारत मे कुल सदस्य (389) मे से 299 ही रह गए।

कैबिनेट मिशन द्वारा संविधान सभा का गठन किया गया एवं इसी सभा ने भारत के संविधान का निर्माण किया।

संविधान सभा ने कुल 12 अधिवेशनो एवं 165 बैठको के माध्यम से संविधान निर्माण का कार्य पूर्ण किया।

संविधान सभा की प्रथम बैठक - 09 दिसम्बर 1946

पहली बैठक मे सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष बनाया गया, आचार्य कृपलानी द्वारा इनके नाम का प्रस्ताव रखा गया इस कारण आचार्य कृपलानी को संविधान सभा का प्रथम वक़्ता कहा जाता है।

प्रथम बैठक मे सदस्य- 211

संविधान सभा की दुसरी बैठक - 11 दिसम्बर 1946

इस बैठक मे डाॅ राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया, इनके नाम का प्रस्ताव आचार्य कृपलानी द्वारा रखा गया एवं सरदार पटेल द्वारा इनका समर्थन किया गया।

इस बैठक मे हरिन्द्र कुमार मुखर्जी एवं टी टी कृष्णामाचारी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष बनाया गया।

संविधान सभा की तीसरी बैठक- 13 दिसम्बर 1946

इस बैठक मे जवाहर लाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव रखा गया जिसे 22 जनवरी 1947 को स्वीकार किया गया, यही प्रस्ताव वर्तमान संविधान मे प्रस्तावना के रूप मे कार्य कर रहा है।

संविधान निर्माण मे योगदान देने वाली समितियां

प्रारूप समिति  

संवैधानिक सलाहकार बेनेगल नरसिंहन राव के द्वारा भारतीय संविधान के प्रथम प्रारूप का निर्माण किया गया जिस पर विचार विमर्श हेतु 29 अगस्त 1947 मे 7 सदस्यीय प्रारूप समिति का गठन किया गया।

प्रारूप समिति के सदस्य 

डाॅ भीमराव अम्बेडकर (अध्यक्ष)

गोपालस्वामी आयंगर

अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर 

के एम मुंशी (कांग्रेसी सदस्य)

मोहम्मद सादुल्ला (मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि)

एन माधव राव - (बी एल मितर ने स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र दे दिया इस कारण उनके स्थान पर इन्हे चयनित किया गया)

टी कृष्णामाचारी (डी पी खेतान की मृत्यु के कारण उनके स्थान पर कार्यरत)

डाॅ भीमराव अम्बेडकर के द्वारा 04 नवम्बर 1948 को भारतीय संविधान के प्रारूप को भारतीय संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया तथा इसी दिन पहली बार भारतीय संविधान को पढा गया।

इसमे कुल 315 अनुच्छेद थे।

स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि मंत्री - डाॅ भीमराव अम्बेडकर 

संघ शक्ति समिति, संविधान समिति, राज्य समिति, वार्ता समिति- इन सभी समितियो के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे।

मुल अधिकार तथा अल्पसंख्यकों की समिति, प्रान्तीय संविधान समिति, सलाहकार समिति - इसके अध्यक्ष सरदार वल्लभभाई पटेल थे

कार्य संचालन समिति - इसके अध्यक्ष के एम मुंशी थे।

संचालन समिति, प्रक्रिया नियम समिति, झण्डा समिति - इसके अध्यक्ष डाॅ राजेन्द्र प्रसाद थे।

संविधान सभा के कार्य 

1) संविधान सभा के द्वारा संविधान निर्माण के साथ विधायिका निर्माण का कार्य भी किया गया, विधायिका निर्माण के समय इसकी अध्यक्षता गणेश वासुदेव मावलंकर के द्वारा की गई।

2) 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज की स्वीकृति प्रदान की गई।

3) 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया।

4) 26 नवम्बर 1949 को आंशिक संविधान लागू किया गया इस दिन अनुच्छेद 394 के अंतर्गत 16 अनुच्छेद लागु किए गए इसलिए 26 नवम्बर को संविधान दिवस एवं विधि दिवस के रूप में मनाया जाता है।

5) 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा राष्ट्र गान एवं राष्ट्रीय गीत को मान्यता प्रदान की गई एवं इसी दिन डाॅ राजेन्द्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति बनाने की घोषणा की गई, इसी दिन संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई एवं संविधान पर अंतिम रूप से हस्ताक्षर किए गए।

लाहौर अधिवेशन मे भारत की आजादी की तिथि 26 जनवरी 1930 तय की थी इसी ऐतिहासिक महत्व के कारण हमारा संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया।

इस दिन संविधान मे कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसुचियाँ थी।

संविधान निर्माण मे कुल 2 वर्ष 11 माह तथा 18 दिन का समय लगा एवं लगभग 64 लाख रूपये खर्च हुए।

संविधान सभा मे कुल 15 महिलाओं ने भागीदारी दी।

राजस्थान से संविधान सभा के कुल 12 सदस्य थे।

26 जनवरी को ही संविधान सभा को अंतरिम संसद के रूप मे परिवर्तित कर दिया गया।

वर्तमान संविधान मे कुल 395 अनुच्छेद, 22 भाग एवं 12 अनुसुचियाँ है।

जेनिंग्स ने भारतीय संविधान को विश्व का सबसे बड़ा संविधान माना है।

संविधान के स्त्रोत 

1935 का भारत शासन अधिनियम 

भारत के संविधान पर सर्वाधिक प्रभाव 1935 के भारत शासन अधिनियम का पडा, भारतीय संविधान का लगभग 2/3 भाग इसी अधिनियम से लिया गया है।

वे प्रावधान जो भारतीय संविधान मे 1935 के भारत शासन अधिनियम से लिए गए।

1) संघात्मक शासन - केन्द्र तथा राज्य के बीच शक्तियों का विभाजन।

2) आपातकालिन प्रावधान

3) राज्यपाल का पद

4) लोक सेवा आयोग का प्रावधान 

ब्रिटेन से ग्रहण किये गए प्रावधान

1) संसदीय शासन प्रणाली 

2) विधि का शासन - कानून सर्वोपरि है एवं यह सभी के लिए समान है।

3) एकल नागरिकता

4) महान्यायवादी का पद

5) विधायी प्रक्रिया- कानून बनाने की प्रक्रिया जिसमे विधेयक दो सदनो से पारित होकर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बनता है।

6) नौकरशाही - सिविल सेवाए या राज्य सेवाओ मे भर्ती से संबंधित प्रावधान।

अमेरिका से ग्रहण किये गए प्रावधान 

1) प्रस्तावना

2) मूल कर्तव्य

3) राष्ट्रपति का निर्वाचन तथा उस पर महाभियोग 

4) उपराष्ट्रपति का पद

5) न्यायालय की स्वतंत्रता एवं न्यायिक पुनरावलोकन - यदि कार्यपालिका किसी ऐसी विधि का निर्माण करती है जो संविधान का उल्लंघन कय रही हो तो न्यायपालिका उसे अवैद्य घोषित कर सकती है इसे न्यायिक पुनरावलोकन कहा जाता है।

आयरलैण्ड से ग्रहण किए गए प्रावधान 

1) राज्य के नीति निदेशक तत्व 

2) राष्ट्रपति द्वारा सदस्यो को मनोनीत करने का प्रावधान

कनाडा से ग्रहण किये गए प्रावधान 

1) मजबूत कैन्द्र के साथ संघात्मक शासन

2) संघ के स्थान पर युनियन शब्द का प्रयोग 

3) राज्यपाल की नियुक्ति 

4) अवशिष्ट विषय केन्द्र को प्रदान किया जाना।

5) राज्यपाल द्वारा उच्चतम न्यायालय से परामर्श ग्रहण करना।

फ्रांस से ग्रहण किये गए प्रावधान

1) गणराज्य- गणराज्य से आशय जिसमे देश का सर्वोच्च पद वंशानुगत न हो।

2) स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व शब्द का प्रयोग।

आस्ट्रेलिया से ग्रहण किये गए प्रावधान 

1) समवर्ती सूची 

2) प्रस्तावना की भाषा शैली 

3) संसद की संयुक्त बैठक का प्रावधान 

दक्षिण अफ्रीका से ग्रहण किये गए प्रावधान

1) संविधान संशोधन की प्रक्रिया 

2) आपातकाल के दौरान मूल अधिकारो का निलंबन

सोवियत संघ रूस से ग्रहण किये गए प्रावधान

1) मूल कर्तव्य

2) न्याय (सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय)

अनुसुचियाँ 

मुल संविधान मे 8 अनुसुचियाँ थी किंतु वर्तमान मे कुल 12 अनुसुचियाँ है।

पहली अनुसुची

ईसमे सभी राज्यो, केन्द्रशासित प्रदेशो के नाम, सीमाए, न्यायिक क्षेत्र का उल्लेख है।

वर्तमान भारत मे 28 राज्य एवं 8 केन्द्रशासित प्रदेश है।

दुसरी अनुसूची 

इसके अंतर्गत निम्न पदाधिकारियों के वेतन भत्तो तथा उपलब्धियो का उल्लेख किया गया है।

भारत का राष्ट्रपति 

राज्यो मे राज्यपाल 

लोकसभा के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष

राज्यसभा के सभापति तथा उपसभापति 

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश 

राज्य विधानसभाओ के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष 

राज्य विधानपरिषदो के सभापति एवं उपसभापति

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 

नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक 

तीसरी अनुसूची 

इसका संबंध  पदाधिकारियों की शपथ से है किंतु राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं राज्यपाल की शपथ का उल्लेख इसमे नहीं है।

चौथी अनुसुची

इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशो को उनकी जनसंख्या के अनुपात के अनुपात मे राज्यसभा में प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है।

पाँचवी अनुसूची 

इसका संबंध अनुसुचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के प्रशासन तथा नियंत्रण से है।

छठी अनुसुची 

इसमे असम, त्रिपुरा, मिजोरम व मेघालय के जनजाति क्षेत्रो के प्रशासन तथा नियंत्रण का उपबंध किया गया है।

सांतवी अनुसुची 

इसके अंतर्गत संघ सुची, राज्य सुची व समवर्ती सूची के माध्यम से केंद्र तथा राज्यो के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है।

आठवी अनुसूची 

इसके अंतर्गत 14 भाषाओँ को भारतीय संविधान मे मान्यता प्रदान की गई।

वर्तमान मे इस अनुसूची मे 22 भाषाएं शामिल है।

नौवी अनुसुची 

प्रथम संविधान संशोधन 1951 के अंतर्गत 9 वी अनुसुची को संविधान मे जोडा गया।

इसका संबंध भुमि सुधार एवं जमींदारी प्रथा की समाप्ति से है।

प्रथम संशोधन मे प्रावधान किया गया की नौवी अनुसुची मे शामिल विषयो पर न्यायालय द्वारा समीक्षा/जाँच नही की जा सकेगी।

2007 मे उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णय लिया गया की यदि किसी विषय को 24 अप्रैल 1973 के पश्चात इस अनुसूची मे शामिल गया है तो उसकी समीक्षा उच्चतम न्यायालय के द्वारा की जा सकेगी।

वर्तमान मे इस अनुसूची के अंतर्गत कुल 284 विषयो को शामिल किया गया है।

दसवीं अनुसुची 

52 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1985 के अंतर्गत  इस अनुसूची को संविधान मे जोडा गया।

यह दल बदल विरोधी अधिनियम से संबंधित है इसे दल बदल को रोकने हेतु शामिल किया गया।

गयारहवी अनुसूची 

इसे 73 वे संविधान संशोधन 1973 के अंतर्गत संविधान मे जोडा गया।

इसका संबंध पंचायती राज से है।

इसके अंतर्गत कुल 29 विषयो को शामिल किया गया है।

बारहवीं अनुसूची 

इसे 74 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1994 के अंतर्गत संविधान मे जोडा गया।

इसका संबंध नगरीय शासन से है।

इसमे कुल 18 विषय शामिल किए गए है।

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