मौलिक अधिकार
ऐसे अधिकार जो नागरिको को उनके समग्र विकास के लिए संविधान द्वारा प्रदान किए गए हो एवं उनका संयक्षण भी संविधान के अंतर्गत किया गया हो, यह न्यायालय मे वाद योग्य है।
ब्रिटेन मे सर्वप्रथम मे 1215ई मे मैगनाकार्टा कानून के अंतर्गत नागरिकों को मूल अधिकार प्रदान किए गए।
अमेरिका ने अपने नागरिकों को संविधान के द्वारा मान्यता प्राप्त मूल अधिकार प्रदान किए इसलिए अमेरिका को मूल अधिकारो का जनक माना जाता है।
भारत मे सर्वप्रथम 1895 मे स्वराज्य विधेयक मे बाल गंगाधर तिलक ने मूल अधिकारो की मांग की।
1931 मे कांग्रेस के कराची अधिवेशन मे भारतीय नागरिकों के लिए मूल अधिकारो की मांग की गई।
भारत मे जवाहर लाल नेहरू ने स्पस्ट रूप से मूल अधिकारो की मांग की एवं मूल अधिकारो के प्रारूप का निर्माण भी किया, इसलिए इन्हें मूल अधिकारो का जनक कहा जाता है।
संविधान सभा मे सरदार पटेल के नेतृत्व मे मूल अधिकार तथा अल्पसंख्यकों की समिति का गठन किया गया जिसकी सिफारिश पर भाग 3 मे अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकारो का उपबंध किया गया।
भाग III मे मौलिक अधिकारो का उल्लेख है।
भारतीय संविधान मे अनुच्छेद 12 से 35 तक मूल अधिकारो का उल्लेख किया गया है।
मूल संविधान मे कुल 7 मौलिक अधिकार थे।
वर्तमान मे संविधान मे कुल 6 मौलिक अधिकार है।
42 वे संविधान संशोधन 1976 के अंतर्गत संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकारो से हटा दिया गया।
अनुच्छेद 12 - राज्य शब्द की परिभाषा
अनुच्छेद 13
1) न्यायालय को न्यायालय पुनरावलोकन का अधिकार
2) विधि शब्द की परिभाषा
संविधान संशोधन को विधि शब्द की परिभाषा मे शामिल नही है।
समानता का अधिकार
अनुच्छेद 14-18
अनुच्छेद 14 - विधि के समक्ष समानता एवं विधि का समान संरक्षण
अनुच्छेद 15(1) - राज्य किसी के साथ जाति, मूलवंश, धर्म, लिंग एवं जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नही करेगा।
अनुच्छेद 15 (2) - खेल के मैदान, तालाब, कुए, मनोरंजन स्थल, एवं सभी सार्वजनिक स्थल समाज के सभी वर्गों के लिए खुले रहेंगे।
अनुच्छेद 15 (3) - राज्य बच्चों व महिलाओ के लिए विशेष प्रावधान कर सकता है।
अनुच्छेद 15 (4) चंपाकम दोरायजन बनाम मद्रास सरकार मामले मे प्रथम संविधान संशोधन के अंतर्गत संविधान मे अनुच्छेद 15(4) जोडा गया, इसमे उल्लेख किया गया की राज्य सामाजिक व शैक्षणिक दृष्टि से पिछडे हुए लोगो के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है।
अनुच्छेद 15 (5) - 93 वाँ संविधान संशोधन 2006 के अंतर्गत इसे जोडा गया, इसके अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों मे भी आरक्षण का प्रावधान किया गया।
अनुच्छेद 15 (6) - 103 वाँ संविधान संशोधन 2019 के अंतर्गत इसे जोडा गया, इसके अंतर्गत आर्थिक रूप से से पिछडे सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण दिया जाएगा।
अनुच्छेद 16 (1) - रोजगार/आजीविका/नियोजन के समान अवसर
अनुच्छेद 16 (2) - राज्य किसी के साथ जाति, मूलवंश, धर्म, लिंग, जन्म स्थान, उद्भव एवं निवास स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नही करेगा
अनुच्छेद 16(3) - स्थानीय संसाधनों पर पहला अधिकार स्थानीय लोगों का होगा, इसके लिए प्रावधान संसद द्वारा किए जाएंगे।
अनुच्छेद 16 (4) - पिछडा वर्ग जिनका लोक सेवाओं मे पर्याप्त प्रतिनिधित्व नही है उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की जा सकती है।
अनुच्छेद 16(4)A - 77वे संविधान संशोधन 1995 के अंतर्गत इस अनुच्छेद को जोडा गया एवं इसमे उल्लेख किया गया की Sc, st को पदोन्नति में भी आरक्षण दिया जा सकता है।
अनुच्छेद 16 (6) - 103 वाँ संविधान संशोधन 2019 के अंतर्गत इसे जोडा गया, इसके अंतर्गत आर्थिक रूप से से पिछडे सामान्य वर्ग को सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण दिया जाएगा।
अनुच्छेद 17 - छुआ-छूत/अस्पृश्यता
अनुच्छेद 18 - पद्वियो एवं उपाधियो का निषेध
सैन्य व शिक्षा के संदर्भ में उपाधिया दी जा सकती है।
स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 19-22
अनुच्छेद 19(1) - इसमे 6 प्रकार की स्वतंत्रताओ का उल्लेख है।
मूल संविधान मे कुल 7 प्रकार की स्वतंत्रताएँ थी।
44 वे संविधान संशोधन 1974 के अंतर्गत संपत्ति अर्जित करने के अधिकार को हटा दिया गया, यह मूल संविधान के अनुच्छेद 19(1) f मे उल्लेखित था।
अनुच्छेद 19(1)a - भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
सुचना का अधिकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भाग है।
2002 से नवीन जिंदल बनाम संघ के मामले के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर ही घरो पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोक हटा दी गई।
2016 मे श्यामनारायण चौकसे बनाम संघ मामले के अंतर्गत अभिव्यक्तिकी स्वतंत्रता के आधार पर सिनेमाघरो मे राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया गया किन्तु वर्तमान मे यह स्वैच्छिक है।
अनुच्छेद 19(1) b - बिना हथियार शांतिपूर्वक इकट्ठा होने की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद 19(1) c - संगठन/संघ बनाने की स्वतंत्रता
97वाँ संविधान संशोधन 2012 के अंतर्गत इसमे सहकारी संस्था स्थापित करने की भी स्वतंत्रता दी गई।
अनुच्छेद 19(1) d - स्वतंत्र विचरण/घुमने फिरने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19 (1) e - रहने/बसने की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19 (1) g - व्यापार/व्यवसाय की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 19 (2) से 19 (6) के अंतर्गत इन स्वतंत्रताओ को हटाये जाने का प्रावधान है।
अनुच्छेद 20 - अपराध के समय जो कानून था उसी के अंतर्गत अपराधी को सजा दी जाएगी।
किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
एक अपराध के लिए एक से अधिक सजा नही दी जा सकती है।
अनुच्छेद 21 - देहिक स्वतंत्रता/ जीने अधिकार
मेनेका गांधी बनाम भारत संघ मामले 1978 के बाद विदेश जाने से भी रोक हटा दी गई।
विशाखा बनाम राजस्थान राज्य मामले 1997 के बाद इस अनुच्छेद के अंतर्गत महिलाओ को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से सुरक्षा का अधिकार दिया गया।
निजता का अधिकार भी इसी अनुच्छेद का भाग है।
अनुच्छेद 21A - 86 वे संविधान संशोधन 2002 के अंतर्गत इसे जोडा गया इसके अंतर्गत 6-14 वर्ष के बच्चो को निशुल्क प्राथमिक शिक्षा का अधिकार है।
अनुच्छेद 22 - प्रत्येक व्यक्ति को अपनी गिरफ्तारी के कारणो को जानने का अधिकार है।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने पक्ष मे वकील की सहायता लेने का अधिकार है।
गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना आवश्यक है।
शोषण के विरुद्ध अधिकार
अनुच्छेद 23 से 24
अनुच्छेद 23 - बेगार प्रथा पर रोक, लेकिन राष्ट्र के हित मे कार्य करवाया जा सकता है।
इसमे मानव के व्यापार पर रोक लगाई गई।
अनुच्छेद 24 - बालश्रम पर रोक, इसके अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के बालको से खतरनाक कार्य नही करवाया जा सकता है।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
अनुच्छेद 25 से 28
अनुच्छेद 25- सभी लोगों को धर्म को मानने, प्रचार प्रसार करने, अनुसरण करने एवं अंतःकरण का अधिकार है, किंतु इससे लोक कल्याण, स्वास्थ्य एवं सदाचार को नुकसान नही पहुँचना चाहिये।
मंदिर समाज के सभी वर्गों के लिए खुले रहेंगे।
अनुच्छेद 26 - धार्मिक संस्थाओं को स्पापित करने, प्रबंधन करने, चल अचल संपत्ति अर्जित करने एवं समुचित उपयोग करने का अधिकार।किंतु इससे लोक कल्याण, स्वास्थ्य एवं सदाचार को नुकसान नही पहुँचना चाहिये।
अनुच्छेद 27 - धर्म के आधार पर या धर्म को बढ़ावा देने के लिए किसी से कर वसुल नही किया जा सकता है।
अनुच्छेद 28 - इस अनुच्छेद के अंतर्गत किसी भी शिक्षण संस्था द्वारा धार्मिक शिक्षा नही दी जा सकती है।
शिक्षा व संस्कृति का अधिकार
अनुच्छेद 29 से 30
अनुच्छेद 29 - सभी अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति, लिपि एवं भाषा को बनाए रखने का अधिकार होगा।
अनुच्छेद 30 - अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने का अधिकार है।
अनुच्छेद 31 - इसमे सम्पत्ति का अधिकार छठे अधिकार के रूप मे था किंतु 44 वे संविधान संशोधन 1978 के अंतर्गत इसे हटा दिया गया।
अनुच्छेद 31A एवं 31 B प्रथम संविधान संशोधन 1951 के अंतर्गत जोडे गए जिसमे भुमि सुधार संबंधी प्रावधान है।
संवैधानिक उपचारों का अधिकार
अनुच्छेद 31C - इसे 25 वें संविधान संशोधन 1971 के अंतर्गत जोड़ा गया जिसमें उल्लेख है कि अनुच्छेद 39b व 39c की नीति निदेशक तत्व पर प्राथमिकता होगी।
अनुच्छेद 32
डाॅ भीमराव अम्बेडकर ने इस अनुच्छेद को भारतीय संविधान की आत्मा कहा है।
मौलिक अधिकारो का उल्लंघन होने पर उच्चतम न्यायालय 5 याचिकाएं जारी कर सकता है, यह अधिकार केवल उच्चतम न्यायालय का है किंतु उच्चतम न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय दोनो ही याचिका जारी करती है।
1) बंदी प्रत्यक्षीकरण /हेबियस कार्पस - किसी व्यक्ति को अवैध रूप से बंदी बनाए जाने पर।
2) परमादेश/माण्डेमस - किसी संस्थान द्वारा निर्धारित दायित्वों का निर्वहन नही करने पर, उच्चतमन्यायालय द्वारा संस्थान को जारी की जाती है।
3) प्रतिषेध - किसी संस्थान द्वारा अपने क्षेत्राधिकार से बाहर कोई कार्य किए जाने पर।
4) उत्प्रेक्षण - यह उच्चतम न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय को जारी की जाती है, जिसमे किसी संस्थान द्वारा अपने क्षेत्राधिकार से बाहर कोई कार्य किए जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया जाता है।
5) अधिकार पृच्छा/ को वारण्टो - अवैधानिक रूप से किसी व्यक्ति द्वारा किसी पद को धारण करने पर उसे हटाने के लिए।
अनुच्छेद 33 - संसद द्वारा सैन्य बल, लोक व्यवस्था, खफियागिरी व्यक्तियो को मौलिक अधिकारो मे कमी की जा सकती है।
अनुच्छेद 34 - यदि देश मे सैन्य कानून/मार्शल लो लग जाए एवं मौलिक अधिकारो का हनन होता है तो संसद मौलिक अधिकारो की क्षतिपूर्ति कर सकती है।
अनुच्छेद 35 - अनुच्छेद 16(3), 32(3), 33 व 34 मे कानून बनाने का अधिकार विधानमंडल को न होकर संसद को है।
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