". विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य ~ Rajasthan Preparation

विजयनगर एवं बहमनी साम्राज्य


विजयनगर व बहमनी साम्राज्य

विजयनगर साम्राज्य (1336-49)

  • स्थापना- हरिहर व बुक्का ने
  • वर्तमान नाम - हम्पी (कर्नाटक)
  • हरिहर व बुक्का प्रारंभ मे वारंगल के काकतीय शासक प्रताप रूद्र देव द्वितीय के सामंत थे।
  • मोहम्मद बिन तुगलक के मौसेरे भाई गुर्शास्प के दक्षिण मे विद्रोह करने पर हरिहर व बुक्का ने गुर्शास्प को शरण दी इसलिए मोहम्मद बिन तुगलक ने इन्हें बंदी बनाकर इस्लाम धर्म मे परिवर्तित कर दिया।
  • हरिहर व बुक्का ने अपने गुरू विध्यारण्य(माधव) के प्रभाव में आकर पुनः हिन्दु धर्म अपना लिया।
  • इसके बाद 1336 मे इन्होने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की।

विजयनगर पर 4 राजवंश ने शासन किया।

1) संगम वंश

  • संस्थापक- हरिहर व बुक्का 
  • स्थापना - 18 अप्रैल 1336
  • संगम हरिहर व बुक्का के पिता का नाम था।
  • इस राजवंश ने सर्वाधिक 149 वर्षो तक शासन किया।

हरिहर प्रथम (1336-56)

  • इसने प्रारंभ मे विजयनगर की राजधानी अनेगोण्डी को बनाया बाद मे विजयनगर को राजधानी बनाया।
  • इसे दो समुद्रो का अधिपति कहा जाता है।

बुक्का प्रथम (1356-77)

  • उपाधि - वेद मार्ग प्रतिष्ठापक
  • इसे तीन समुद्रो का अधिपति एवं दक्षिण का अकबर कहा जाता था।

अदोनी का युद्ध 

  • 1367 मे बुक्का व मुहम्मद शाह (बहमनी शासक) के मध्य रायचूर के मैदान के कारण युद्ध हुआ इस युद्ध मे बुक्का ने सर्वप्रथम बारूद का प्रयोग किया। इसमे बुक्का विजयी हुआ।
  • 1377 मे इसने अपने पुत्र कंपन को मदुरै अभियान पर भेजा यह अभियान सफल रहा एवं विजयनगर साम्राज्य का विस्तार रामेश्वरम तक हो गया। 
  • कंपन की पत्नी द्वारा लिखित विजयय मदुरै मे इस युद्ध का वर्णन मिलता है।

हरिहर द्वितीय (1377-1404)

  • उपाधि - महाराजाधिराज
  • इसने सम्पूर्ण दक्षिण भारत मे विजयनगर साम्राज्य का विस्तार किया।
  • इसने बहमनी साम्राज्य से गोवा व बेलगाम छीन लिया।
  • इसने श्रीलंका के शासक से भी कर वसुला था।
  • इसके बाद विरूपाक्ष प्रथम एवं बुक्का द्वितीय शासक बने।

देवराय प्रथम (1406-22)

  • इसके काल मे बहमनी शासक ताजुद्दीन फिरोज बहमनशाह का आक्रमण हुआ इसमे फीरोज बहमनशाह विजयी रहा इस युद्ध को सोनार की बेटी कहा जाता है इसके बाद देवराय ने अपनी बेटी का विवाह फिरोजशाह के साथ किया।
  • इसने तुंगभद्रा नदी पर बांध का निर्माण करवाया
  • हरविलास का रचनाकार श्रीनाथ इसी का दरबारी साहित्यकार था।

देवराय द्वितीय  (1422-46)

  • उपाधि- गजबेटकर
  • चारमास इसका दरबारी कवि था चारमास ने प्रभुलिंग लीला नामक ग्रंथ लिखा।

मल्लिकार्जुन (1446-65)

विरूपाक्ष द्वितीय (1465-85)

  • यह संगम वंश का अंतिम शासक था।
  • नरसिंह सालुव ने इसकी हत्या कर दी।

2) सालुव वंश (1485-1505)

  • संस्थापक- नरसिंह सालुव
  • इस राजवंश ने न्युनतम 20 वर्षो तक शासन किया।
  • नरसिंह सालुव ने अपने सेनापति नरसा नायक को अपने पुत्र इम्मादी नरसिंह का संरक्षक नियुक्त किया।
  • वीर नरसिंह ने इम्मादी नरसिंह को मारकर तुलुव वंश की स्थापना की।

3) तुलुव वंश (1505-1570)

  • संस्थापक- वीर नरसिंह 

वीर नरसिंह (1505-1509)

  • इसने पुर्तगाली गर्वनर अल्मीड़ा से घोडे खरीदकर अपनी सेना को मजबूत किया।

कृष्ण देवराय (1509-1529)

  • यह विजयनगर साम्राज्य का सबसे महानतम शासक था।
  • राज्याभिषेक- 08 अगस्त 1509 (कृष्ण जन्माष्टमी के दिन)
  • उपाधि- यवनराज स्थापन्नाचार्य
  • पत्नी - तिरूवल्ला व चिंतादेवी
  • यह वैष्णव धर्म का अनुयायी था।

इनके द्वारा रचित ग्रंथ 

  1. आमुक्त मान्यद
  2. जाम्बवती कल्याणम
  3. ऊषा परिणय
  • इसने कर्नाटक मे हजारा रामास्वामी व बिट्ठल स्वामी का मंदिर बनवाया।
  • इसने विजयनगर मे बालकृष्ण स्वामी के मौदिर का निर्माण करवाया बालकृष्ण की मूर्ति यह उदयगिरी अभियान से लाए थे।
  • इसने अपनी माता नागलदेवी की स्मृति में नागलपुर की स्थापना की।
  • इसने अपनी पत्नी की स्मृति मे होस्पेट नगर की स्थापना की।
  • इसने मंदिरो मे गोपुरम(बडे दरवाजे) बनाने का प्रचलन शुरू किया।
  • इसके काल तेलुगु साहित्य का शास्त्रीय युग कहा जाता है।
  • इसके दरबार आठ तेलगु कवि थे जीन्हे अष्ट दिग्गज कहा जाता था इनमे से अन्नासानी पेड्डाना प्रमुख कवि थे अन्नासानी को आंध्र कविता का पितामह कहा जाता था।
  • अष्टदिग्गज मे तेनाली राम भी शामिल थे इन्हें विकट कवि कहा जाता था इन्होने पांडुरंग महात्मयन ग्रंथ की रचना की।
  • इन्होने पुर्तगाली गर्वनर अल्बुकर्क से घोडे खरीदे।
  • अल्बुकर्क ने फादर लुई को दुत बनाकर कृष्ण देवराय के पास भेजा एवं भटकल मे दुर्ग बनाने की अनुमति प्राप्त की।
  • इसने विवाह कर को पुर्णरूप से समाप्त किया था।

इसके शासनकाल मे निम्न पुर्तगाली यात्री भारत आए।

  1. डुमिनी बारबोसा - इसने कृष्ण देवराय की धार्मिक सहिष्णुता का उल्लेख किया है।
  2. डेमिगो पायस - इसने कृष्ण देवराय के चेहरे पर चेचक के दाग होने का उल्लेख किया।
  • 1509 मे बहमनी साम्राज्य 5 राज्यो मे बंट चुका था बहमनी के सुल्तान महमूद शाह द्वितीय ने जैहाद का नारा देकर विजयनगर पर आक्रमण किया किंतु पराजित हआ।

अच्युतदेवराय (1529-42)

  • इसने महामण्डलेश्वर नामक नए अधिकारी की नियुक्ति की जिसका कार्य प्रांत के सुबेदारो पर नियंत्रण करना था।

सदाशिवराय (1542-79)

  • यह तुलुव वंश का अंतिम शासक था।
  • इस समय शासन की समस्त शक्तियाँ कृष्णदेवराय के दामाद रामराय मे निहीत थी।
  • रामराॅय ने बहमनी साम्राज्य के पाँचो राज्यो के झगड़ों में सक्रिय हस्तक्षेप किया एवं बीजापुर व गोलकुंडा को अपने साथ मिलाकर अहमदनगर पर आक्रमण करके लुट लिए लिया।

तालीकोटा का युद्ध - 1565

  • यह युद्ध रामराॅय के नेतृत्व मे विजयनगर व अली आदिम शाह के नेतृत्व मे  बहमनी साम्राज्य के बीजापुर, अहमदनगर, बीदर व गोलकुंडा के मध्य हुआ। इस युद्ध में रामराॅय मारा गया।
  • सदाशिव राय पंनगोण्डा चला जाता है बाद मे तिरूमल इसको अपदस्थ करके आरिमेडु वंश की स्थापना करता है।

4) आरिमेडु वंश (1570-1649)

  • संस्थापक- तिरूमल

तिरूमल 

  • इसे कर्नाटक राज्य का उद्दारक कहा जाता है।

वैंकट द्वितीय 

  • इसने अपनी राजधानी चन्द्रगिरी को बनाया।
  • इसने पुर्तगालियों को वैल्लोर मे गिरजाघर बनाने की अनुमति प्रदान की।

बहमनी साम्राज्य 

  • संस्थापक- हसन गंगु 
  • मोहम्मद बिन तुगलक के काल मे अमिरान ए शाहा (अमिर वर्ग का समुह) ने नसीरुद्दीन शाह को दक्षिण का प्रथम स्वतंत्र शासक बनाया किंतु यह शासन करने मे असमर्थ सिद्द हुआ इस कारण बाद मे इसे हटाकर 1349 मे हसन गंगू को शासक बनाया यही से बहमनी साम्राज्य की शुरूआत हुई।

हसन गंगु (1349-58)

  • मुल नाम - जफर
  • उपाधि- अमिर उल उमरा, द्वितीय सिकंदर 
  • राजधानी - गुलबर्गा 
  • इसने वारंगल शासक कापयनायक पर आक्रमण कर कौलास का किला छिन लिया।

इसने बहमनी साम्राज्य को 4 प्रांतो मे विभक्त किया।

  1. गुलबर्गा 
  2. दौलताबाद 
  3. बरार
  4. बीदर

मुहम्मद शाह प्रथम (1358-75)

  • कापय नायक ने इस पर आक्रमण किया किंतु पराजित हुआ एवं गोलगुण्डा पर भी मुहम्मद शाह का आधिकार हो गया।
  • कापय नायक ने किमती सिंहासन तख्त ए फिरोजा मुहम्मद शाह को भेंट दिया।

अदोनी का युद्ध 

  • 1367 मे बुक्का प्रथम (विजयनगर शासक) व मुहम्मद शाह प्रथम  मध्य रायचूर के मैदान के कारण युद्ध हुआ इसमे बुक्का विजयी हुआ 

मुहम्मद शाह द्वितीय (1378-97)

  • इसे दुसरा अरस्तु कहा जाता है।
  • ताजुद्दीन फिरोज बहमन शाह (1397-1422)

इसन विजयनगर पर तीन आक्रमण किए।

  1. इसने हरिहर द्वितीय पर आक्रमण किया एवं उसे पराजित किया।
  2. इसने देवराय प्रथम पर आक्रमण किया एवं इसे पराजित किया।
  3. पंगुल का युद्ध- इसने देवराय प्रथम पर पुनः आक्रमण किया किंतु इस बार यह पराजित हुआ।
  • इसके काल मे अमिर ए शाहा दो भागो में विभाजित हो गया।
  • इसने भीमा नदी के किनारे फीरोजाबाद नगर की स्थापना की।
  • इसने दौलताबाद मे नक्षत्रशाला (जन्तर मंतर) की स्थापना की।

शाहबुद्दीन अहमद प्रथम (1422-46)

  • इसने अपनी राजधानी बीदर को बनाया।
  • इसे अहमद वली एवं संत अहमद भी कहा जाता है।
  • इसने वारंगल को पूर्णरूप से अपने अधीन किया।
  • इसने मालवा होसंगाबाद पर विजय प्राप्त की।

अलाउद्दीन अहमदशाह द्वितीय (1446-58)

  • विजयनगर के शासक देवराय द्वितीय ने आक्रमण किया एवं मुद्कल के किले पर अधिकार कर लिया।

हुमायूँ (1458-61)

  • इसे जालिम शासक कहा जाता था।

शाहबुद्दीन महमूद शाह (1482-1518)

इसके काल मे बहमनी 5 राज्यों मे विभक्त हो गया।

  1. बीजापुर
  2. अहमदनगर
  3. बीदर
  4. गोलकुंडा
  5. बरार

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