". राजस्थान के किसान आन्दोलन ~ Rajasthan Preparation

राजस्थान के किसान आन्दोलन


राजस्थान के किसान आन्दोलन

बिजोलिया (भीलवाड़ा) किसान आंदोलन -1897-1941

  • तत्कालीन महाराणा - फतहसिंह 
  • बिजौलिया के ठिकानेदार - कृष्णसिंह
  • आंदोलन का कारण - अत्यधिक कर व लाग बाग

प्रथम चरण (1897-1916)

  • बिजौलिया मे किसानो से 84 प्रकार के कर वसुल किए जाते थे। इस कारण गिरधारी पुरा गाँव मे एक किसान सभा का आयोजन किया गया।
  • इस सभा ने नानजी पटेल व ठाकरी पटेल को समस्या बताने महाराणा फतहसिंह के पास भेजा इस पर महाराणा ने हामिद हुसैन को बिजौलिया भेजकर मामले की जाँच करवाई।
  • जाँच के बाद हामिद हुसैन ने महाराणा को किसानो के पक्ष मे रिपाॅर्ट सौपी किंतु महाराणा ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की।
  • किसानों की शिकायत से क्रोधित होकर कृष्णसिंह ने किसानो पर चंवरी कर (विवाह कर) ओर लगाया इससे लाचार होकर किसान पलायन करने लगे।
  • पलायन के कारण कृष्णसिंह ने चंवरी कर पुनः समाप्त कर दिया एवं भुमिकर 50% से घटाकर 40% किया।
  • 1906 मे पृथ्वीसिंह नए ठिकानेदार बने इन्होने एक ओर कर लगाया तलवार बंधाई कर।
  • 1913 से प्रथम चरण का नेतृत्व साधु सीताराम दास ने किया फतहकरण चारण व ब्रह्मदेव ने भी इनका सहयोग किया।

द्वितीय चरण (1916- 1927)

  • ओछडी गाँव (चित्तौड़गढ़) मे साधु सीतारामदास के आग्रह पर विजयसिंह पथिक ने 1916 मे इस आंदोलन की बागडौर संभाली।
  • इस समय केसरीसिंह ठिकानेदार बने इनके साथ ही महाराणा ने अमरसिंह राणावत को मुंसरिम नियुक्त किया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के कारण किसानो पर ओर कर लगाए गए।

उपरमाल पंच बोर्ड

  • 1917 मे विजयसिंह पथिक ने उपरमाल पंच बोर्ड की स्थापना की इसमे कुल 13 सदस्य थे, जिनका सरपंच मन्नालाल पटेल को बनाया गया।
  • महाराणा ने इनको बंदी बनाने के आदेश जारी कर दिए थे इस कारण इन्होने  तुलसी भील के सहयोग से उमा जी का खेडा गाँव से आंदोलन का नेतृत्व किया।
  • इन्होने गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा प्रकाशित प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से आंदोलन को लोकप्रिय बनाने का प्रयास किया।
  • आंदोलन को बढावा देने के विजयसिंह पथिक ने झण्डा गीत की रचना की एवं माणिक्यलाल वर्मा ने पंछिडा गीत की रचना की।
  • 1919 मे महाराणा ने बिन्दुलाल भट्टाचार्य आयोग बिजौलिया भेजा इसने भी किसाने के पक्ष मे रिपाॅर्ट सौपी किंतु महाराणा ने कोई कार्यवाही नहीं की।
  • 1920 मे दुसरा आयोग बनाया, माणिक्यलाल वर्मा के नेतृत्व मे 8 किसानो का एक प्रतिनिधि मंडल इस आयोग सै भेंट करने उदयपुर गया।
  • बाल गंगाधर तिलक ने भी महाराणा को पत्र लिखा।
  • 10 सितम्बर 1923 को विजयसिंह पथिक को बंदी बना लिया गया। 1927 तक ये जेल मे रहे।

तृतीय चरण (1927-1941)

  • इस चरण का नेतृत्व सेठ जमनालाल बजाज ने किया।
  • जमनालाल बजाज ने अपना प्रतिनिधि हरिभाऊ उपाध्याय को नियुक्त किया, आंदोलन मे माणिक्यलाल वर्मा, रामनारायण चौधरी व ने भी इनका सहयोग किया।
  • मेवाड के प्रधानमंत्री टी राघवाचार्य, अंग्रेज अधिकारी विल्किन्सन व माणिक्यलाल वर्मा के प्रयासो से अंततः 1941 मे 35 करो को माफ कर दिया गया।
  • रमा देवी, नारायणी देवी व अंजना देवी ऐसी महिलाएं थी जिन्होंने इस आंदोलन मे सक्रिय योगदान दिया।

बेंगु किसान आन्दोलन (1921-23)

  • बेंगु - चित्तौड़गढ़ 
  • आंदोलन का कारण- अत्यधिक कर व लाग बाग
  • जागीरदार- ठाकुर अनुपसिंह
  • नेतृत्वकर्ता - रामनारायण चौधरी 
  • नेतृत्वकर्ता महिला - अंजना देवी चौधरी
  • इस आंदोलन के लिए पहली किसान सभा मेनाल (भीलवाड़ा) मे हुई।
  • फरवरी 1922 मे पूर्वी मेवाड परिषद की स्थापना हुई।
  • किसानों की ओर से राजस्थान सेवा संघ एवं ठाकुर अनुपसिंह के मध्य 1922 मे पारसौली नामक स्थान पर समझौता हुआ।
  • महाराणा फतहसिंह ने इस आंदोलन को बोल्सेविक की संज्ञा दी। क्योंकि यह समझौता फतहसिंह को पसंद नही आया।
  • Note - बोल्सेविक एक आंदोलन है जो रूस मे हुआ था।
  • महाराणा ने अनुपसिंह को नजरबंद कर दिया एवं अमृतलाल को बेंगु मे मुंसरिम नियुक्त किया।
  • 1923 मे ट्रेंच आयोग बेंगु आया इसने सभी करो को जायज बताया।

गोविंदपुरा हत्याकांड

  • 13 जुलाई 1923 को गोविन्दपुरा गाँव मे किसानो की एक सभा आयोजित हुई ट्रेंच ने इसपर गोलीबारी करवाई।
  • इसमे रूपाजी धाकड व कृपाजी धाकड नामक दो किसान शहीद हो गए।
  • इसके बाद इस आंदोलन का नेतृत्व विजयसिंह पथिक ने किया।
  • तरुण राजस्थान मे इस आदोलन को प्रकाशित किया गया।
  • इसके बाद 53 मे से 34 कर समाप्त कर दिए गए।

अलवर किसान आन्दोलन (1922-25)

  • तत्कालीन शासक - जयसिंह
  • आन्दोलन का मुख्य कारण- अत्यधिक कर व लाग बाग 
  • आंदोलन का अन्य कारण  - जंगली सुअरो को मारने पर प्रतिबंध लगाना।
  • इस आंदोलन मे महिलाओं का नेतृत्व सीतादेवी ने किया।

नीमूचणा हत्याकांड- 14 मई 1925

  • 1925 मे किसानो ने नीमूचणा मे एक सभा का आयोजन किया।
  • छज्जु सिंह ने इस सभा पर गोली चलाने का आदेश दिया इसमे 100 से अधिक किसान मारे गए। 
  • छज्जु सिंह को राजस्थान का जनरल डायर कहा जाता है।
  • रियासत नामक समाचार पत्र मे इस हत्याकांड को जलियाँवाला बाग हत्याकांड की संज्ञा दी गई।
  • इस आंदोलन के बाद किसानो की शर्ते मान ली गई।

मेव किसान आन्दोलन (1922-32)

  • कारण- अत्यधिक कर व लाग बाग 
  • दुसरा कारण - जयसिंह द्वारा कुराण की शिक्षा  पर प्रतिबंध लगाना।
  • नेतृत्व- चौधरी याशिंग खाँ व मोहम्मद खाँ
  • इस आंदोलन के बाद जयसिंह को अंग्रेजो ने देश निकाला दे दिया क्योंकि इन्होने स्वदेशी वस्त्र पहनने की घोषणा की।
  • इसके बाद कुरान की शिक्षा से रोक हटा ली गई।

बुंदी किसान आन्दोलन (1922-27)

  • कारण - अत्यधिक कर व लाग बाग 
  • तत्कालीन शासक- रघुवीर सिंह 
  • यह आंदोलन शासक के विरुद्ध न होकर प्रशासक के विरुद्ध था।
  • नेतृत्व- पंडित नयनूराम शर्मा 
  • महिला नेतृत्वकर्ता- अंजना देवी चौधरी 
  • इस आंदोलन के अंतर्गत किसानो ने करबंदी अभियान चलाया।
  • इस आंदोलन के दौरान राजस्थान सेवा संघ ने बुंदी मे महिलाओं पर अत्याचार नामक पत्रक प्रकाशित किया।

डाबी हत्याकांड- 02 अप्रेल 1923

  • इस सभा मे नानक भील झण्डा गीत गा रहे थे। तभी पुलिस अधिकारी इकराम सिंह ने गोली चलाई।
  • इसमे नानक भील व देवीलाल गुर्जर मारे गए।
  • 1927 मे राजस्थान किसान संघ का विखंडन हो गया इस कारण यह आंदोलन असफल रहा।

गुर्जर किसान आन्दोलन (1936-1945)

  • कारण - 1936 के अपराध कानून संशोधन अधिनियम के अंतर्गत गुर्जर जाति को अपराधी जाति घोषित कर दिया।
  • नेतृत्वकर्ता- भँवरलाल जमादार व गोवर्धन सिंह
  • इसका प्रारंभिक केन्द्र बरड था बाद मे लाखेरी को केन्द्र बनाया गया।

बीकानेर किसान आन्दोलन (1927- 44)

  • तत्कालीन शासक- महाराजा गंगासिंह 
  • जगजीवन भट्ट, कुंभाराम आर्य, मघाराम वैद्य व चन्दनमल बहड ने आदोलन मे सक्रिय भुमिका निभाई।
  • 1929 मे दरबारा सिंह के नेतृत्व मे जमींदार एसोसिएशन की स्थापना हुई।

दुधवा खारा किसान आन्दोलन- 1944-48

  • वर्तमान- चुरू मे
  • तत्कालीन शासक- शार्दुल सिंह
  • जागीरदार- सुरजमल सिंह 
  • कारण - किसानो को खेत जोतने से बेदखल कर दिया गया।
  • नेतृत्व- चौधरी हनुमान सिंह
  • 1948 मे किसानो को जोंत के अधिकार मिले।
note - इस आंदोलन से पूर्व चुरू मे 1936 मे कांगड मे किसान सभा हुई इसपर जमींदारो ने किसानो पर अत्याचार किए इस सभा मे महिलाओं का नेतृत्व खेतु बाई ने किया।

मारवाड़ किसान आन्दोलन (1923-47)

  • कारण- अत्यधिक कर व लाग बाग 
  • दुसरा कारण - 1923 मे रियासत से मादा पशुओं के निष्कासन पर रोक हटाना।
  • 1924 मे आंदोलन के बाद पशुओं के निष्कासन पर पुनः रोक लगा दी गई।
  • नेतृत्व- जयनारायण व्यास 
  • 1924 मे राजभक्त हितकिरिणी सभा का गठन हुआ।
  • 1934 मे मारवाड प्रजामंडल की  स्थापना हुई।
  • चण्डावल काण्ड - 1942
  • नागौर मे किसान सभा पर किया गया अत्याचार चण्डावल काण्ड कहलाता है।

डाबडा हत्याकांड (13 मार्च 1947)

  • मथुरादास माथुर के नेतृत्व मे डीडवाना (नागौर) मे प्रजामंडल व किसानो ने सभा का आयोजन किया सभा स्थल पर घोडे दौडा दिए गए इस कारण 12 लोग मारे गए।

शेखावाटी किसान आंदोलन (1922-1946)

  • कारण - अत्यधिक कर व लाग बाग व बेगार प्रथा।
  • नेतृत्वकर्ता- रामनारायण चौधरी 
  • महिला नेतृत्वकर्ता- किशोरी देवी
  • 1922 मे चौधरी हरलाल सिंह ने सीकर मे किसान पंचायतो की स्थापना की।

जाट प्रजापति महायज्ञ -1934

  • इस यज्ञ से लौटते वक्त सेठिया का बास मे ठाकुर मानसिंह ने महिलाओं पर अत्याचार किया।
  • इस घटना के कारण 25 अप्रेल 1934 मे कटरापाल मे किशोरी देवी के नेतृत्व मे विशाल महिला सम्मेलन का आयोजन हुआ यह राजस्थान का प्रथम महिला सम्मेलन था।

जयसिंहपुरा हत्याकांड- 21 अप्रेल 1934

  • 1934 मे जयसिंहपुरा मे किसान सभा का आयोजन किया  गया। इस पर डुंढलोत के ईश्वरीसिंह ने हत्याकांड करवाया इसके बाद ईश्वरीसिंह पर मुकदमा चलाया गया एवं इसे जेल की सजा हुई।

खुडी गाँव व कुदन गाँव हत्याकांड - अप्रेल 1935

  • डब्ल्यू टी वैब ने यह हत्याकांड करवाया। कुदन गाँव हत्याकांड की चर्चा हाउस ऑफ कॉमन्स में की गई।
  • यह एकमात्र ऐसा किसान आन्दोलन था जिसमे जागीरदारी प्रथा को समाप्त करने की मांग की गई।
  • प्याऊ आंदोलन का संबंध इसी आंदोलन से है।
  • 1939 मे नरोत्तमलाल जोशी ने जकात आंदोलन की शुरूआत की।
  • 1946 मे हीरालाल शास्त्री के प्रयासो से करो मे राहत दी गई।

मेवाड का जाट किसान आन्दोलन- 1880

  • यह राजस्थान का प्रथम किसान था।
  • यह आंदोलन मातृकुण्डिया चित्तौड़गढ़ से प्रारंभ हुआ।

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