". सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन ~ Rajasthan Preparation

सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन


सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

राजा राममोहन राय

  • जन्म - राधानगर गाँव (बंगाल), 22 मई 1772
  • इन्हें आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है।
  • इन्हें अतीत एवं भविष्य के मध्य सेतू भी कहा जाता है।
  • इन्हें पत्रकारिता का अग्रदूत भी कहा जाता है।
  • इनहे भारतीय राष्ट्रवाद का जनक भी कहा जाता है।
  • इन्हें आधुनिक भारत का प्रथम पुरुष भी कहा जाता है।
  • इन्हें प्रभात तारा (मॉर्निंग स्टार) भी कहा जाता है।

इनके द्वारा रचित पुस्तक

  • तुहफात उल मुबाहीदीन - यह पुस्तक एकेश्वरवादिता पर आधारित है एवं इसमें मूर्ति पूजा का विरोध किया गया है।
  • मंजार्तुल अदयान - यह फारसी भाषा में है एवं इसमें सभी धर्मों पर चर्चा की गई है।
  • 1814 में उनके द्वारा आत्मीय सभा की स्थापना की गई, इस सभा में द्वारिका नाथ टैगोर भी शामिल थे।
  • कुछ समय तक इन्होंने जॉन डिग्बी के अधीन ईस्ट इंडिया कंपनी में नौकरी की।

इनके समाचार पत्र

  • संवाद कौमुदी - यह किसी भारतीय द्वारा संचालित या संपादित पहला समाचार पत्र था, यह बंगाली भाषा में था।
  • मिरातल अखबार - यह फारसी भाषा में था।
  • हिंदु उत्तराधिकार 
  • ईसा के नीति वचन शांति और खुशहाली का मार्ग
  • 1817 में डेविड हेयर के सहयोग से इनके द्वारा बंगाल में हिंदू कॉलेज की स्थापना की गई, इसे बाद में बंगाल प्रेसिडेंसी कॉलेज कहा जाने लगा।
  • 1825 में उनके द्वारा बंगाल में वेदांत सोसाइटी एवं वेदांत कॉलेज की स्थापना की गई।
  • 1825 में इनके द्वारा बंगाल यूनिटेरियन की भी स्थापना की गई।
  • 20 अगस्त 1828 में इनके द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना की गई।
  • इन्होंने उपनिषदों का बांग्ला भाषा में अनुवाद किया।
  • इनके भाई जगमोहन की पत्नी के सती होने पर इनके मन में सती प्रथा के विरुद्ध आक्रोश बना।
  • 4 दिसंबर 1829 में इन्होंने लॉर्ड विलियम बैटिंग के साथ मिलकर एक्ट17 लागू किया जिसके अंतर्गत सती प्रथा को कानूनन अवैद्य घोषित कर दिया गया, इसके विरोध में राधाकांत देव ने 1830 में धर्म सभा की स्थापना की।
  • 1830 में दिल्ली के बादशाह अकबर द्वितीय ने अपनी पेंशन बढ़ाने हेतु इन्हें विलियम चतुर्थ के दरबार में इंग्लैंड भेजा।
  • अकबर द्वितीय द्वारा ही इन्हें राजा की उपाधि प्रदान की गई।
  • 27 सितम्बर 1833 में ब्रिस्टल इंग्लैंड में इनकी मृत्यु हो गई एवं वहीं पर इन्हें दफना दिया गया।
  • इनके समाधि स्थल पर हरिकेलि नाटक की कुछ पंक्तियां अंकित है।
  • इन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियां जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, बहुविवाह, जातिपात आदि को दूर करने का प्रयास किया।
  • उनकी मृत्यु के पश्चात ब्रह्म समाज का नेतृत्व द्वारिका नाथ टैगोर एवं रामचंद्र विद्यावागीस ने संभाला।
  • बाद में देवेंद्र नाथ टैगोर एवं केशव चंद्र सेन ने भी इसका नेतृत्व संभाला।

देवेन्द्रनाथ टेगोर

  • 1839 में इनके द्वारा तत्वबोधिनी सभा की स्थापना की गई।
  • इनके द्वारा ब्रह्मो धर्म पुस्तिका की रचना कि गई।

केशव चंद्र सेन

  • इनके द्वारा एशियाटिक मिरर समाचार पत्र प्रकाशित किया गया, यह किसी भारतीय द्वारा प्रकाशित प्रथम दैनिक समाचार पत्र था।
  • यह बहुत ही उदारवादी प्रवृत्ति के थे, इस कारण देवेंद्र नाथ टैगोर एवं इनके मध्य मतभेद हो गया, 

इसी कारण 1866 मे ब्रह्म समाज का भी विभाजन हो गया।

  1. आदि ब्रह्म समाज - देवेन्द्रनाथ टेगोर 
  2. भारतीय ब्रह्म समाज- कैशवचन्द्र सेन
  • 1870 में केशव चंद्र सेन के द्वारा संगत सभा की स्थापना की गई।
  • 1872 में उनके प्रयासों से  ब्रह्म विवाह अधिनियम पारित किया गया जिसके अंतर्गत बाल विवाह एवं बहु विवाह पर रोक लगा दी गई।

1878 में इन्होंने अपनी पुत्री का अल्पआयु में कुच (बिहार) के शासक के साथ विवाह कर दिया इस कारण ब्रह्म समाज का दूसरा विभाजन हो गया।

  1. भारतीय ब्रह्म समाज 
  2. साधारण ब्रह्म समाज 
  • 1870 में केशव चंद्र सेन ने इंडियन रिफॉर्म एसोसिएशन की स्थापना की।
  • 1848-49 मे दादोबा पांडुरंग,आत्माराम पांडुरंग, बालकृष्ण जयकर ने मिलकर परमहंस मंडली की स्थापना की, इसमें एकैशवर वादिता पर बल दिया जाता था, यह संघ इसायत की नकल करने लगा इस कारण लोगों ने इससे पर जुड़ने में असंतोष जाहिर किया।

प्रार्थना सभा 

  • यह ब्रह्म समाज का ही अंग है क्योंकि इसकी स्थापना कैशवचन्द्र के प्रयासो से की गई।
  • केशव चंद्र सेन के महाराष्ट्र आगमन पर 1867 मे आत्माराम पांडुरंग ने प्रार्थना सभा की स्थापना की।

महादेव गोविन्द राणाडे

  • 1869 में इनके साथ महादेव गोविंद रानाडे के जुड़ने के कारण प्रार्थना समाज ने नया रूप लिया,
  • महादेव गोविंद रानाडे को पश्चिमी भारत में सामाजिक एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा गया।, 
  • इन्हें महाराष्ट्र का सुकरात भी कहा जाता है।
  • इनके द्वारा महाराष्ट्र में शुद्धि आंदोलन चलाया गया, इसके अंतर्गत इन्होंने विवाह, नृत्य एवं मदिरापान पर फिजूल खर्च पर रोक लगाने पर बल दिया।
  • 1861 में इनके द्वारा विधवा विवाह संघ की स्थापना की गई।
  • 1870 में इन्होंने पुना सार्वजनिक सभा स्थापना की, इसका कार्य जनता की समस्या को इंग्लैंड तक पहुंचाना था इसलिए इसे कांग्रेस की पूर्वगामी सभा भी कहा जाता है।
  • 1884 में इनके द्वारा दक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की गई।
  • 1891 में इनके द्वारा विडो रीमैरिज एसोसिएशन की स्थापना की गई।

रमाबाई राणाडे

  • इन्होने 1881 मे आर्य महिला सभा की स्थापना की।
  • इन्होने 1889 मे शारदा सदन की स्थापना की।
  • इन्होने 1909 मे पुना सेवा सदन की स्थापना की इसके अंतर्गत महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया।

वेद समाज

  • यह ब्रह्म समाज का ही अंग है क्योंकि इसकी स्थापना कैशवचन्द्र के प्रयासो से की गई।
  • 1864 मे श्री धरलू नायडु के द्वारा मद्रास में इसकी स्थापना की गई।
  • दोराय स्वामी आयंगर भी इससे संबंधित थे।

स्वामी दयानन्द सरस्वती 

  • जन्म - शिवपुर गाँव, गुजरात, 12 फरवरी 1824
  • मुल नाम - मूलशंकर
  • गुरू - महर्षि पुर्णानंद एवं महर्षि विरजानंद
  • महर्षि पूर्णानंद ने इनहे दयानंद सरस्वती नाम दिया।
  • विरजानंद ने इनहे वेदों का ज्ञान दिया।
  • 21 वर्ष की आयु में उन्होंने गृह त्याग कर दिया।
  • इन्होंने हिंदी भाषा को समर्थन दिया एवं यह पहले एसे व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी भाषा को राजभाषा बनाने पर जोर दिया।
  • 1874 में इन्होने सत्यार्थ प्रकाश की रचना की, यह हिंदी भाषा में लिखा गया, इसका द्वितीय संस्करण उदयपुर में रचित किया गया।
  • 10 अप्रैल 1875 में इन्होंने बम्बई मे आर्य समाज की स्थापना की, 1877 में इसका मुख्य कार्यालय लाहौर कर दिया गया।

उन्होंने चार अवधारणाएं प्रदान की

  • स्वराज
  • स्वधर्म
  • स्वभाषा
  • स्वदेशी
  • इनके द्वारा शुद्रो को भी यज्ञोपवित करके वेद पढ़ने की अनुमति प्रदान की गई, इसलिए इस समाज को पुनरुत्थान वादी आंदोलन भी कहा जाता है।
  • इनके द्वारा छुआछूत का विरोध एवं समाज में समानता लाने का प्रयास किया गया एवं हिंदुत्ववादी विचारधारा को जन्म दिया गया इसलिए इनके प्रयासो को दैनिक हिंदुत्ववाद भी कहा जाता है।
  • इन्हें उत्तर भारत का लूथर कहा जाता है।

इनके अन्य प्रमुख ग्रंथ 

  • पाखंड खंडीनी
  • अद्वैतवाद का खंडन
  • वल्लभाचार्य के मत का खंडन
  • ऋग्वेदादी भाष्य
  • वेद भाष्य
  • इनके द्वारा वेदों की ओर लौटो का नारा दिया गया।
  • 1862 में इनके द्वारा गौरक्षणी सभा की स्थापना की गई।1865में करौली के राजकीय अतिथि के रूप में यह राजस्थान आए।
  • 1881में यह दूसरी बार राजस्थान आए।
  • उदयपुर महाराजा सज्जन सिंह ने इनका सम्मान किया।
  • जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह पर नन्ही नामक वेश्या का प्रभाव था इस कारण स्वामी दयानंद सरस्वती ने भरी सभा में वेश्या के दोषों का वर्णन किया इससे नाराज होकर नन्हीं ने स्वामी दयानंद सरस्वती को जहर दे दिया।
  • 30 सितंबर 1883 में अजमेर में इनकी मृत्यु हुई।
  • वैलेंटाइन शिरोल ने आर्य समाज को भारतीय अशांति का जनक कहां है।

स्वामी विवेकानन्द 

  • जन्म - कलकत्ता, 12 जनवरी 1863
  • मुल नाम - नरेन्द्र दत्त
  • गुरू - रामकृष्ण परमहंस 
  • 1881 में यह पहली बार रामकृष्ण परमहंस से मिले।
  • जब यह दूसरी बार रामकृष्ण परमहंस से मिले तो यह उनके परम शिष्य बन गए एवं इसी के बाद इनका नाम नरेन्द्र दत्त से विविदिशानंद हो गया।
  • शिकागो जाने से पूर्व खेतड़ी (झुंझुनू) के शासक अजीत सिंह ने इनहे स्वामी विवेकानंद नाम दिया।
  • 1893 में यह विश्व धर्म सम्मेलन में हिंदु धर्म का प्रतिनिधित्व करने हेतु शिकागो (अमेरिका) गए।
  • इस सम्मेलन में इन्होंने अपना भाषण भाइयों और बहनों नाम से संबोधित किया।
  • इस सम्मेलन के बाद अमेरिका के एक पत्रिका द न्यूयॉर्क हैराल्ड में लिखा गया कि स्वामी विवेकानंद इस सम्मेलन के सबसे महान व्यक्ति है एवम ऐसे ज्ञानी देश में धर्म प्रचारकों को भेजना मूर्खता है।
  • 1896 मे इनके द्वारा न्यूयॉर्क में वेदांत सोसाइटी की स्थापना की गई।
  • 1897 में यह पुनः भारत आए।
  • 1897 में इनके द्वारा भारत में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की गई, इसका केंद्र वेल्लूर (कलकत्ता) एवं (मायावती) अल्मोड़ा मे था।
  • 1899 मे यह फिर से अमेरिका गए, कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स एवं अन्य कई जगहों पर इनके द्वारा वेदांत सोसाइटी की स्थापना की गई।
  • रामधारी दिनकर ने इनके संबंध में कहा है कि डेढ़ सौ वर्षो पूर्व ईसाइयत का एक तूफान आया था जिसे हिमालय रुपी एक व्यक्ति स्वामी विवेकानंद ने गिरा दिया।

इनकी प्रमुख पुस्तके

  • मै समाजवादी हुँ
  • कर्मयोग
  • ज्ञानयोग 
  • राजयोग 

इनके द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र

  • प्रबुद्ध भारत - अंग्रेजी मे
  • उद्बोधन - बंगाली मे
  • स्वामी विवेकानंद जी का यह कथन है कि यदि कोई व्यक्ति भूखा सो रहा है तो मैं यह समझता हूं कि जो व्यक्ति उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहा है वह उसकी कमाई से कर रहा है।
  • इन्होंने कहा है कि आपसे निचले वर्ग के जो व्यक्ति है वह भी हाड मांस से बने हुए हैं एवं वह सभी आपके बांधव हैं।
  • सुभाष चंद्र बोस ने इनहे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का आध्यात्मिक पिता कहा है।
  • रविंद्र नाथ टैगोर ने इनके संबंध में कहा है कि यदि भारत को जानना है तो स्वामी विवेकानंद को जान लीजिए।

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