भक्ति एवं सूफी आंदोलन
- भक्ति शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख श्वेताश्वेतर उपनिषद में मिलता है।
- भारत में भक्ति आंदोलन की शुरुआत दक्षिण भारत से हुई दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन लाने का श्रेय रामानुजाचार्य को जाता है एवं उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन लाने का श्रेय रामानंद को जाता है।
भक्ति आंदोलन
शंकराचार्य
- जन्म - 788ई कलाडी (केरल)
- गुरु - गोविन्द भागवत्पद
- पिता - शिवगुरू
- माता - शुभद्रा
- दर्शन- अद्वैतवाद
- 8 वर्ष की आयु मे माता से आशीर्वाद लेकर सन्यास ग्रहण किया।
- गोविंद भागवत्पद ने इनको परमहंस की उपाधि प्रदान की।
- इन्होंने स्मृति संप्रदाय की स्थापना की।
इनके प्रमुख ग्रंथ
- ब्रह्मसूत्र भाष्य
- गीता भाष्य
- उपदेश साहसी
- मारीषा षष्ठम
- प्रबंध सार तंत्र
- 820 ईसवी में बद्रीनाथ में इनकी मृत्यु हो गई।
रामानुजाचार्य
- जन्म-1017, तिरूपति (आंध्रप्रदेश)
- बचपन का नाम- लक्ष्मण
- इन्होंने दक्षिण भारत में भक्ति आंदोलन की शुरुआत की।
- इन्हें विष्णु का अवतार भी कहा जाता है।
- इनके अनुसार ब्रह्म जीव एवं जगत तीनों सत्य है।
- इन्होंने विशिष्टता द्वैत नामक दर्शन का प्रतिपादन किया।
- यह सगुण भक्ति धारा के संत थे।
इनके द्वारा रचित ग्रंथ
- वेदांत सार
- वेदांत संग्रह
- वेदांत दीप
- श्री भाष्य,
- न्याय कुलिस
निम्बकाचार्य
- जन्म -1165, निम्बापुर (मद्रास)
- इन्होंने द्वैत अद्वैतवाद का प्रतिपादन किया।
- इन्होंने सनक या सनकादी संप्रदाय चलाया।
- इनकी उत्पत्ति सुदर्शन चक्र से मानी गई है।
इनके द्वारा रचित ग्रंथ।
- वेदांत पारिजात सौरभ
- दस श्लोकी सिद्धांत राज
माधवाचार्य
- जन्म - 1199, उडप्पी (कर्नाटक)
- अन्य नाम- आनन्द तीर्थ
- उन्होंने ब्रम्म सम्प्रदाय की स्थापना की।
- इनहे वायु का अवतार भी माना जाता है।
वल्लभाचार्य (1479-1531)
- जन्म - वाराणसी
- उपाधि- जगतगुरू, पुष्टिमार्गीय
- इन्होंने शुद्दाद्वैतवाद का प्रतिपादन किया।
इनके द्वारा रचित ग्रंथ
- पूर्व मीमांसा
- सुबोधिनी
- सिद्धांत रहस्य
रामानंद
- जन्म -1299, प्रयागराज
- इन्होंने स्वामी राघवानंद से श्री संप्रदाय की दीक्षा ली।
- इन्होंने राम व सीता की भक्ति पर जोर दिया।
- इन्होंने सभी वर्ग के लोगों को अपना शिष्य बनाया।
कबीरदास
- जन्म - 1440
गुरु- रामानन्द
- यह सिकंदर लोदी के समकालीन थे।
- यह विशुद्ध अद्वैतवादी विचारधारा के थे।
- यह निर्गुण भक्ति धारा के संत थे।
गुरु नानक (1469-1538)
- जन्म - तलवंडी (पाकिस्तान)
- यह सिख धर्म के पहले धर्मगुरु है।
- गुरु नानक ने 30 वर्ष की आयु में पृथ्वी के 5 बार चक्कर लगाए इसे उदासीसी कहा जाता है।
- इन्होंने निर्गुण भक्ति धारा को अपनाया।
सुरदास (1478-1583)
- यह सगुण भक्ति धारा के संत थे।
इनके द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ
- सूरसागर
- सुरसावली
- साहित्य लहरी
- यह अकबर के समकालीन थे।
चैतन्य महाप्रभु (1486-1535)
- जन्म - नदिया (बंगाल)
- वास्तविक नाम - विश्वम्भर
- उपाधि - विद्यासागर
- इनहे संगीत के माध्यम से भक्ति आंदोलन को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है।
- उन्होंने गोसाई संघ की स्थापना की।
तुलसीदास (1532-1623)
- जन्म - राजापुर (उत्तर प्रदेश)
- गुरू - नरहरिदास
- भाषा - अवधि
इनके द्वारा रचित ग्रंथ।
- 1574 में इन्होंने रामचरितमानस की रचना की।
- रामलला नहछु
- वैराग्य संदीपगी
- वरवै रामायण
- पार्वती मंगल
- जानकी मंगल
- रामाज्ञा प्रश्न
सन्त रैदास
- जन्म - काशी
- गुरू - रामानन्द
- कबीर दास जी ने इन्हे संतों के संत की उपाधि दी।
मीरा बाई
- जन्म - कुडकी ग्राम, नागौर
- गुरू - रैदास
- इनके द्वारा दास दासी संप्रदाय चलाया गया।
- इनके कहने पर रतन खादी ने नरसी जी रो मायरो नामक पुस्तक की रचना की।
- गुजरात के डाकोर नामक स्थान पर मीराबाई श्री कृष्ण की मूर्ति में समा गई।
दादू दयाल (1544-1603)
- जन्म - अहमदाबाद
- नैरना गांव जयपुर में इनकी मृत्यु हो गई।
संत ज्ञानेश्वर
- इनहे महाराष्ट्र में धार्मिक आंदोलन का जनक माना जाता है।
- उन्होंने महाराष्ट्र में भागवत धर्म की आधारशिला रखी।
नामदेव
- जन्म- पंडेरपुर
- गुरु- ज्ञानेश्वर
सूफी आंदोलन
- शरीयत - सूफी संतो द्वारा बनाया गया कानून।
- खानकाह - सूफी संतो का निवास स्थान।
- मलफूजात - सूफी संतों द्वारा सूफी आंदोलन से संबंधित लिखे गए ग्रंथ।
सूफी संत दो श्रेणियों में विभक्त थे।
- बाशरा - वे संत जो शरीयत मूलभूत सिद्धांतों का बिना किसी परिवर्तन के पालन करते थे।
- बेशरा - वे संत जो शरीयत को नहीं मानते थे या शरीयत मे परिवर्तन पर बल देते थे।
- भारत में सर्वप्रथम सूफी संत शेख इस्माइल महमूद गजनवी के साथ 1001 मे लाहौर आए।
चिश्ती शिलशिला
- स्थापना - खुराशान मे
- प्रवर्तक - ख्वाजा अबु अब्दाल चिश्ती
- भारत में चिश्ती सिलसिला की स्थापना ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती ने की।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती
- जन्म- सीस्तान
- इन्हें गरीब नवाज भी कहा जाता था।
- शेख हमीदुद्दीन नागौरी
- कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी
- जन्म -फरगना
- इनके सम्मान में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निर्माण करवाया।
- यह इल्तुतमिश के शासनकाल में भारत आए।
बाबा फरीद
- यह कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के शिष्य थे।
- जन्म -कहटवाल (मुल्तान)
- बलबन इनका बहुत सम्मान करता था।
- सिख धर्म के 5वे धर्म गुरु अर्जुन देव ने बाबा फरीद के विचारों को गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित किया।
- 1265 में उनकी इच्छा के अनुसार इन्हें माकपाटन में दफना दिया गया।
शेख निजामुद्दीन औलिया
- यह बाबा फरीद के शिष्य थे।
- जन्म -1236, बदायू (उत्तर प्रदेश)
- यह चिश्ती सिलसिले के सबसे लोकप्रिय सूफी संत थे।
- इन्होंने ही गयासुद्दीन तुगलक को कहा कि हुनूज दिल्ली दुरुस्त (हुजूर दिल्ली अभी दूर) है।
- जलालुद्दीन खिलजी एवं अलाउद्दीन खिलजी ने भी इनसे मिलने का आग्रह किया किंतु इन्होंने मना कर दिया।
- इन्हें महबूब ए इलाही (अल्लाह का प्यारा) एवं सुल्तान उल औलिया (संतों का राजा) भी कहा जाता है।
- दिल्ली में मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा इनका मकबरा बनाया गया।
शेख सिराजुद्दीन उस्मानी
- यह निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे।
- उन्होंने बंगाल में निजामुद्दीन औलया की विचारों का प्रसार किया।
- निजामुद्दीन औलिया ने इन्हे आईना ए हिंद की उपाधि दी।
शेख बुरहानुद्दीन गरीब
- यह निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे।
- दक्षिण भारत में चिश्ती सिलसिले की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है।
- उन्होंने दौलताबाद को अपनी शिक्षा का केंद्र बनाया।
शेख नसीरुद्दीन चिराग देहलबी
- यह भी निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे।
- इन्होंने अपनी शिक्षा का केंद्र दिल्ली को बनाया।
- उन्होंने तोहीद ए वजुदी नामक पुस्तक की रचना की।
- यह उत्तर भारत के अंतिम महान सूफी संत थे।
ख्वाजा सैयद मोहम्मद गेसूदराज
- इन्हें बंदा नवाज कहा जाता था
- निजामुद्दीन औलिया ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया।
- यह शेख नासीरुद्दीन चिराग देहलबी के शिष्य थे।
- इन्होंने गुलबर्गा कर्नाटक को अपनी शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाया।
शेख सलीम चिश्ती
- उपाधि- शेख उल हिन्द
- इन्होंने 24 बार मक्का की यात्रा की थी।
- इन्हीं के नाम पर अकबर के पुत्र का नाम सलीम रखा गया।
- इनका मकबरा फतेहपुर सीकरी में स्थित है।
सुहरावर्दी सिलसिला
- स्थापना - शेख जिहाउबुद्दीन या शिहाबुद्दीन सुहरावर्दी
- इनकी प्रमुख पुस्तक - अदाब उल मुरदीन
- प्रमुख ग्रंथ- अवारिक उल मारिफ
शेख बहाउद्दीन जकारिया
- जन्म - मुल्तान (1181)
- भारत में सर्वप्रथम सुहरावर्दी सिलसिले का प्रचार इन्होंने ही किया।
- इल्तुतमिश ने इन्हें शेख उल इस्लाम का पद दिया।
फिरदौसी सिलसिला
- स्थापना- शेख बदरुद्दीन समरकंदी
- खानकाह - राजगीर (बिहार)
- सैफुद्दीन याह्या मनेरी इस सिलसिले के प्रसिद्ध संत थे।
कादिरिया सिलसिला
- संस्थापक- अब्दुल कादीर जिलानी
उपाधियाँ
- पीरान ए पीर
- महबूब ए सुब्हानी
- पीर ए दस्तगीर
- भारत में इस सिलसिले की स्थापना सैयद मकदूम जिलानी ने की।
- खानकाह - उच्छ (सिंध)
- दारा शिकोह इस सिलसिले को मानता था।
नक्सबंदी सिलसिला
- स्थापना- ख्वाजा अलदीन व ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबंदी
- भारत में इस सिलसिले की स्थापना ख्वाजा बाकी बिल्लाह ने की।
- खानकाह - जम्मू कश्मीर
- यह सिलसिला संगीत का विरोधी था।
- यह सर्वाधिक कट्टर सिलसिला था।
- औरंगजेब इस सिलसिले का समर्थक था।
No comments:
Post a Comment
Comment us