". राजस्थान की कृषि एवं फसले ~ Rajasthan Preparation

राजस्थान की कृषि एवं फसले


राजस्थान की कृषि एवं फसले

भुमि के संबंध मे महत्वपूर्ण शब्दावली 

  • बीड - स्थानीय चारागाह भुमि
  • पडत - बंजर भूमि लेकिन ऐसी भुमि जो कभी उपजाऊ थी बाद मे बंजर हो गई।
  • पणो - तालाब से मिट्टी खोदकर खेतो मे डालना 
  • मोरीहालो - नहरो से सिंचाई की जाने वाली भुमि को मोरीहालो कहा जाता है।
  • राजस्थान मे कृषि जोत का कुल क्षेत्रफल- 208.73 लाख हेक्टेयर 
  • राज्य मे कुल कृषि जोतधारको की संस्था- 76.55 लाख
  • राज्य मे कुल पुरूष जोतधारको की संख्या - 68.8 लाख
  • राज्य मे कुल महिला जोतधारको की संख्या - 7.75 लाख
  • औसत भुमि जोत - 2.73 हेकटेयर है।
  • राजस्थान मे सर्वाधिक कृषि योग्य भुमि वाला जिला- बाडमेर
  • राजस्थान मे न्यूनतम कृषि योग्य भूमि वाला जिला- राजसमन्द 
  • राजस्थान मे सर्वाधिक कृषि सिंचाई क्षेत्र वाला जिला- गंगानगर (87%)
  • राजस्थान मे न्यूनतम कृषि सिंचाई क्षेत्र वाला जिला - चुरू (5%)
  • राजस्थान मे सर्वाधिक गोचर व चारागाह भुमि वाला जिला- बाडमेर
  • राजस्थान मे न्यूनतम गोचर व चारागाह भुमि वाला जिला- गंगानगर 
  • राजस्थान मे सर्वाधिक पडत भुमि वाला जिला- जोधपुर
  • राजस्थान मे सर्वाधिक बंजर भूमि वाला जिला- जैसलमेर 
  • राजस्थान मे 1987 मे कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना बीकानेर मे हुई।
  • जैविक कृषि की नीति को लागु करने वाला राजस्थान भारत का प्रथम राज्य है।
  • वर्मी कल्चर - केचूए
  • पोमोकल्चर - फलो का उत्पादन 
  • फ्लोरीकल्चर - फूलो की कृषि 
  • ओलिवीकल्चर - जैतुन कृषि 

कृषि के प्रकार

उपयोगिता के आधार पर कृषि के प्रकार 

  1. खाद्यान्न कृषि 
  2. व्यापारिक कृषि 

उद्देश्य के आधार पर कृषि के प्रकार  

1) पारंपरिक कृषि- प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा के आधार पर ही कृषि करना पारंपरिक कृषि कहलाता है।

2) स्थानांतरित कृषि 

  • भूमि की उपजाऊ क्षमता कम हो जाने पर नए स्थान पर कृषि करना स्थानांतरित कृषि कहलाता है।
  • इसे पूर्व भारत मे जुमिंग कहा जाता है।
  • इसे पर्यावरण का दुश्मन कहा जाता है 
  • इसे कर्तन एवं दहन भी कहा जाता है।

राजस्थान मे स्थानान्तरित कृषि के अन्य नाम-

  • वालरा - गरासिया जनजाति द्वारा की जाने वाली स्थानांतरित किसी को वालरा कहा जाता है।
  • दजिया - भील जनजाति द्वारा मैदानी भागों में जो स्थानांतरित कृषि की जाती है उसे दजिया कहा जाता है
  • चिमाता - भील जनजाति द्वारा पहाड़ी ढालो पर जो स्थानांतरित कृषि की जाती है उसे चिमाता कहा जाता है।

3) मिश्रित कृषि- कृषि के साथ पशुपालन का कार्य करना मिश्रित कृषि कहलाता है।

4) समोज कृषि- पहाड़ी ढाल पर ढाल के विपरीत की जाने वाली कृषि को समोज कृषि कहा जाता है।

5) आधुनिक कृषि- आधुनिक काल में नए-नए उपकरणों एवं यंत्रों का प्रयोग करके की जाने वाली कृषि को आधुनिक कृषि कहा जाता है।

आधुनिक कृषि के प्रकार

1) कृषि वानिकी

2) हरित ग्रह कृषि 

3) ऑर्गेनिक कृषि 

4) फर्टिगेशन कृषि 

5) रोपण कृषि 

फसल प्रारूप के आधार पर कृषि के प्रकार 

1) मोनोकल्चर - एक निश्चित भुमि पर 1 वर्ष में एक बार ही फसल ही फसल उगाना।

2) ड्युओकल्चर - एक निश्चित भुमि पर 1 वर्ष में 2 बार फसल ही फसल उगाना।

3) ऑलिगोकल्चर - एक निश्चित भुमि पर 1 वर्ष में 3 बार फसल ही फसल उगाना

4) रिले क्रोपिंग - एक निश्चित भुमि पर 1 वर्ष में 4 बार फसल ही फसल उगाना

जल की उपलब्धता के आधार पर कृषि के प्रकार 

1) शुष्क या बारानी कृषि - कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों की कृषि करना शुष्क या बारानी कृषि कहलाता है।

सर्वाधिक- बाडमेर

2) आर्द्र कृषि - वह  कृषि जिसमें थोडे अधिक जल की आवश्यकता होती है आर्द्र कृषि कहलाती है।

3) सिंचित कृषि - सिंचाई के द्वारा की जाने वाली कृषि।

4) तर कृषि - वह कृषि जिसमे बहुत पानी की आवश्यकता होती है।

राजस्थान की फसले

फसलो के प्रकार 

1) रबी/ऊनालू

  • बुवाई- अक्टूबर, नवम्बर 
  • कटाई- मार्च, अप्रैल 
  • प्रमुख रबी फसले - गेहूँ, जौ, राई, सरसो, जीरा,ईसबगोल, मैथी, धनिया, मटर, मसुर, सूरजमुखी 

2) खरीफ/स्यालू

  • बुवाई - जुन, जुलाई 
  • कटाई- सितम्बर, अक्टूबर 
  • प्रमुख फसले- बाजरा, मक्का, सोयाबीन, मूंग, ऊडद, जूट, सूरजमुखी, मोठ, तिल, ग्वार, ज्वार, चावल, कपास, जुट व गन्ना, रागी आदी

3) जायद 

  • बुवाई - मध्य अप्रैल 
  • कटाई- मध्य जुन
  • प्रमुख फसले - तरबूज, ककडी, हरी सब्जियां, खरबुजा आदी

प्रमुख फसले 

बाजरा (Bajra)

  • बाजरा उत्पादन मे राजस्थान भारत मे प्रथम स्थान पर है, देश का लगभग 1/3 भाग राजस्थान मे उत्पादित होता है।
  • इसे गरीब का भोजन भी कहा जाता है।
  • राजस्थान मे बाजरे का सर्वाधिक उत्पादन- अलवर
  • बाजरा अनुसंधान केन्द्र- मण्डोर (जोधपुर)

मक्का (Maize)

  • किस्म - माही कंचन 

ज्वार 

  • इसे स्थानीय भाषा मे सोरगम कहा जाता है।
  • इसे गरीब का भोजन भी कहा जाता है।

कपास 

  • यह राजस्थान की सबसे बडी व्यापारिक फसल है
  • काली मिट्टी कपास उत्पादन के लिए उपर्युक्त है।
  • राजस्थान मे सर्वाधिक कपास उत्पादन वाले जिले- हनुमानगढ व गंगानगर 
  • इसे स्थानीय भाषा मे बणिया कहा जाता है।

गेहूँ (Wheat)

  • गेहूँ उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का भारत मे चौथा स्थान है।
  • सर्वाधिक उत्पादन- गंगानगर, जयपुर व अलवर 
  • मावठ वर्षा इसके लिए उपर्युक्त है।
  • प्रमुख किस्म - मेक्सिकन, सोना कल्याण, सोना, कोहिनूर 

चावल 

  • सर्वाधिक उत्पादन- हनुमानगढ
  • माही सुगंधा चावल की किस्म है।

जौ (Barley)

  • सर्वाधिक उत्पादन- जयपुर 
  • जौ उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का भारत मे उत्तर प्रदेश के बाद दुसरा स्थान है।
  • जौ की किस्मे - ज्योति, RS 6

तम्बाकू 

  • इसके उत्पादन मे चीन के बाद भारत का दुसरा स्थान है।
  • इसमे निकोटिन तत्व पाया जाता है।
  • भारत में सर्वाधिक उत्पादन - आंध्रप्रदेश 
  • राजस्थान मे सर्वाधिक उत्पादन- अलवर 
  • किस्मे - निकोटिना टुबेकम, निकोटीना रोस्टिका

अफीम 

राजस्थान मे सर्वाधिक उत्पादन- चित्तौड़गढ़ 

इसमे मार्फिन तत्व पाया जाता है।

इसे काला सोना भी कहा जाता है।

जोजोबा/ होहोबा

  • यह मरूस्थलीय पौधा है।
  • वैज्ञानिक नाम -Simmondesis Chinesise
  • इसे पीला सोना कहा जाता है।
  • इसका उपयोग वायुयान मे ईंधन के रूप में किया जाता है।

कृषि से संबंधित क्रांतियाँ 

हरित क्रांति - 1966-67

  • विश्व मे हरित क्रांति के जनक - नाॅर्मन बाॅरलोग
  • भारत में हरित क्रांति का श्रेय - एम एस स्वामिनाथन
  • इसमे गेहूँ उत्पादन पर सर्वाधिक बल दिया गया।
  • श्वेत क्रांति - इसमें दुग्ध उत्पादन पर बल दिया गया।
  • नीली क्रांति-इसमे मछली उत्पादन पर बल दिया गया।
  • गुलाबी क्रांति-इसमें झींगा मछली उत्पादन पर बल दिया गया।
  • पीली क्रांति-इसमें तिलहन उत्पादन पर बल दिया गया।
  • गोल क्रांति - इसमें आलू उत्पादन पर बल दिया गया।
  • लाल क्रांति - टमाटर उत्पादन 
  • बादामी क्रांति- मसाला उत्पादन 
  • सुनहरी क्रांति - बागवानी फसलो हेतु
  • रजत क्रांति- अण्डा उत्पादन 

फसल व प्रमुख किस्मे 

  • गेहूँ - 3765 (सर्वक्षेष्ठ) सोनालिका, सोना कल्याण, रायबहादुर, कोहिनूर
  • कपास - नरमा, गंगानगर अगेती, बीकानेरी
  • राई व सरसो - वरूणा, दुर्गामणि
  • मक्का - माही कंचन, माही धवल, मोती कम्पोजिट
  • चावल - माही सुगंधा , बासमती, चम्बल, परमल, कावेरी
  • मुंगफली - चन्द्रा
  • आलू - कूफरी
  • जौ - ज्योति व राजकिरण
  • ज्वार - चरी -1, चरी -2
  • तम्बाकु - निकोटिना टुबेकम, निकोटीना रोस्टिका

कृषि से संबंधित महत्वपूर्ण संस्थान

नाबार्ड (NABARD)

  • राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक 
  • स्थापना - 12 जुलाई 1982

CACP 

  • कृषि मूल्य एवं लागत आयोग 
  • स्थापना- 1965
  • इसका मुख्य कार्य MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का निर्धारण करना।

FCI

  • भारतीय खाद्य निगम 
  • स्थापना- 14 जनवरी 1965

केन्द्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान संस्थान- तबीजी (अजमेर)

  • स्थापना- 2000

चौधरी चरणसिंह कृषि एवं विपणन संस्थान- जयपुर 

  • स्थापना - 1988

CAZRI

  • केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 
  • स्थापना- जोधपुर (1959)
कैन्द्रिय सरसो अनुसंधान कैन्द्र- सेवर, भरतपुर 
कैन्द्रिय बोछवाल अनुसंधान कैन्द्र- बीकानेर 
बाजरा अनसंधान कैन्द्र- बाडमेर
ईसबगोल अनुसंधान कैन्द्र- जोधपुर 
चावल अनुसंधान कैन्द्र- बांसवाडा
मक्का अनुसंधान कैन्द्र- बांसवाडा 
ज्वार अनुसंधान कैन्द्र - वल्लभनगर (उदयपुर)

राजस्थान मे कृषि जलवायु प्रदेशो का विभाजन 

A - उत्तर-पश्चिमी राजस्थान 

A1 - पश्चिमी शुष्क मैदान

इसमे जोधपुर व बाडमेर जिलो को सम्मिलित किया जाता है।

यह राजस्थान का सबसे बड़ा कृषि जलवायु प्रदेश है।

A2 - उत्तर-पश्चिमी सिंचित प्रदेश 

इसमें गंगानगर और हनुमानगढ़ जिले को सम्मिलित किया जाता है।

A3 - उच्च शुष्क/ सिमित सिंचित प्रदेश 

इसमें जैसलमेर बीकानेर व चूरु जिले को सम्मिलित किया जाता है।

B - मध्यवर्ती राजस्थान 

B1 - गौडवाड क्षेत्र 

इसमें पाली जालोर व सिरोही जिले को सम्मिलित किया जाता है।

B2 - अन्तःवर्ती प्रदेश 

इसमें नागौर सीकर और झुंझुनूं जिले को सम्मिलित किया जाता है।

C - पुर्वी राजस्थान 

C1- अर्द्धशुष्क पूर्वी मैदान 

इसमें जयपुर अजमेर दौसा व टोंक जिले को सम्मिलित किया जाता है।

C2 - बाढ प्रवाहित पूर्वी मैदान 

इसमें अलवर भरतपुर धौलपुर करौली व सवाई माधोपुर को सम्मिलित किया जाता है।

D - दक्षिणी राजस्थान 

D1 - आर्द्र दक्षिणी मैदान 

इसमें उदयपुर डूंगरपुर बांसवाड़ा प्रतापगढ़ जिले को सम्मिलित किया जाता है।

यह राजस्थान का सबसे छोटा कृषि जलवायु प्रदेश है।

राजस्थान में माही सुगंधा किस्म के चावल बांसवाड़ा में सर्वाधिक होते हैं।

D2 - उप आर्द्र दक्षिणी प्रदेश 

E - दक्षिण- पूर्वी राजस्थान 

इसमें राजसमंद भीलवाड़ा चित्तौड़गढ़ जिले को सम्मिलित किया जाता है।

E1 - आर्द्र दक्षिण पूर्वी मैदान 

इसमें कोटा बूंदी बांरा व झालावाड़ जिले को सम्मिलित किया जाता है।

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