राजस्थान के प्रमुख मंदिर (Major temples of rajasthan)
- राजस्थान मे सर्वाधिक मंदिर- जयपुर
मंदिर निर्माण शैलियाँ
नागर शैली
- इसे आर्य शैली भी का जाता है।
- यह उत्तर भारत में प्रसिद्ध है।
- इस शैली से निर्मित मंदिर विशाल शिखर युक्त होते हैं।
- इसमें सभा मंडपो का भी प्रयोग किया जाता है।
- राजस्थान के अधिकांश मंदिर किस शैली में निर्मित है।
द्रविड़ शैली
- यह दक्षिण भारत में प्रचलित है।
- इस शैली के मंदिर विशाल द्वारो के लिए प्रसिद्ध है। इन द्वारो को गोपुरम कहा जाता है।
बेसर शैली
- यह मध्य भारत में प्रसिद्ध है।
- यह नागर शैली और द्रविड़ शैली का मिश्रण है।
पंचायतन शैली
- मंदिर के गर्भगृह मे पांच प्रतिमा होती है तो वह पंचायतन शैली कहलाती है।
- पंचायतन शैली के मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं।
- राजस्थान मे पंचायतन शैली का प्रथम मंदिर बाडौली (चित्तौड़गढ़) का शिवमंदिर एवं दुसरा औसिया (जोधपुर) का हरिहर मंदिर है।
महामारू शैली
- यदि एक ही स्थान पर अनेक मंदिरों का निर्माण करवा दिया जाए तो वह शैली महामारू शैली कहलाती है।
- जय गुर्जर प्रतिहार शैली भी कहा जाता है।
- अश्लील मूर्तियों का मंदिर किस शैली में निर्मित होता है।
राजस्थान के प्रमुख मंदिर
ब्रह्मा जी का मंदिर - पुष्कर (अजमेर)
- इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य ने करवाया।
- इस मंदिर का आधुनिक निर्माता गोकुल चंद पारीख को कहा जाता है।
- यह विश्व का सबसे बड़ा ब्रह्मा जी का मंदिर है।
ब्रह्मा जी के अन्य मंदिर
- आसोतरा (बाडमेर) - इस मंदिर का निर्माण खेताराम जी महाराज ने करवाया।
- छीछ (बासवाडा) - इस मंदिर में ब्रह्मा जी की आदमकद प्रतिमा बनी हुई है।
सावित्री माता का मंदिर - पुष्कर (अजमेर)
- यह मंदिर रत्नागिरी की पहाड़ियों पर बना हुआ है।
- यहां पर राजस्थान का तीसरा रोप वे स्थापित किया गया है।
रणकपुर का जैन मंदिर - पाली
- इस मंदिर का निर्माण 1439 ई में धनरक शाह ने करवाया।
- कुल स्तम्भ-1444
- इसे स्तंभों का वन भी कहा जाता है।
- फर्ग्यूसन ने शिव मंदिर के संबंध में कहां है कि मैने सतम्भो का ऐसा वर्गीकरण कभी नहीं देखा।
दिलवाड़ा जैन मंदिर - सिरोही
- यहां पर 5 जैन मंदिर बने हुए हैं।
- इन मंदिरों के संबंध मे कर्नल जेम्स टाॅड ने कहा है की ताजमहल के बाद यह देश की सबसे सुन्दर इमारत है।
विमलवसही मंदिर
- निर्माण- विमलशाह (1031)
- यह भगवान आदिनाथ का मंदिर है।
लुणवसही नेमीनाथ मंदिर
- इस मंदिर को देवरानी जेठानी का मंदिर कहा जाता है।
भीमाशाह मंदिर
- यह मंदिर पीतल से निर्मित है इसलिए इसे पीतलहर मंदिर का जाता है।
- यह भगवान आदिनाथ का मंदिर है।
पार्श्वनाथ मंदिर
- यह संगमरमर से निर्मित मंदिर है।
महावीर मंदिर
भांडासर जैन मंदिर - बीकानेर
- इस मंदिर के निर्माण में पानी के स्थान पर घी का प्रयोग किया गया।
लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ 72 जिनालय - जालौर
- इसमे जैन धर्म के 24 तीर्थंकरो की तीन-तीन प्रतिमाएँ होने के कारण इसे 72 जिनालय कहा जाता है।
- यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा जैन मंदिर है।
पार्श्वनाथ मंदिर - नाकोड़ा (बाडमेर)
- यहा शांतिनाथ व भैरवनाथ की प्रतिमा स्थापित है।
स्वर्ण जैन मंदिर - फालना (पाली)
- यहां जैन धर्म का प्रथम स्वर्ण मंदिर है।
ऋषभदेव मंदिर - धुलेव (उदयपुर)
- इन्हें कलाबावजी भी कहा जाता है।
- जैन मंदिर होने के बावजूद भी यहां पर सर्वाधिक पूजा अर्चना भील जनजाति के लोगों द्वारा की जाती है।
महावीर मंदिर - चांदन गाँव (करौली)
- इसे अहिंसा नगरी भी कहा जाता है।
- इस मंदिर का निर्माण जयपुर के मंत्री अमरचंद ने करवाया।
- यह मंदिर गंभीर नदी के किनारे स्थित है।
श्रृंगार चंवरी मंदिर - चित्तौड़गढ़
- इसका निर्माण वेलका द्वारा करवाया गया
मुछाला महावीर मंदिर - घाणेराव (पाली)
- राजस्थान मे स्थित सुर्य मंदिर
ओसिया जोधपुर का सुर्य मंदिर
- इसका निर्माण प्रतिहार शासक वत्सराज ने करवाया।
झालरापाटन (झालावाड़) का सुर्य मंदिर
- इस मंदिर को सात सहेलियों का मंदिर भी कहा जाता है।
गलताजी जयपुर का सुर्य मंदिर
बुढातीत/दीगोद (कोटा) सुर्य मंदिर
किराडू मंदिर - बाड़मेर
Kiradu temple barmer |
- यह मंदिर हल्देश्वर पहाड़ी के निकट स्थित है।
- इसे राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है।
- किराडू को मूर्तियों का खजाना भी कहा जाता है।
एकलिंगनाथजी मंदिर - कैलाशपुरी (उदयपुर)
- निर्माण- बप्पा रावल
- एक मंदिर के परकोटे का निर्माण महाराणा मोकल ने करवाया।
- यह लकुलिश या पाशुपत संप्रदाय की प्रधान पीठ है।
घुश्मेश्वर महादेव मंदिर, शिवाय (सवाई माधोपुर)
- यह राजस्थान मे भगवान शिव का एकमात्र ऐसा शिवलिंग है जो 12 माह पानी में डूबा रहता है।
अचलेश्वर मंदिर, माउंट आबू (सिरोही)
- उपनाम - भंवराथल
- इस मंदिर में दुरसा आडा की प्रतिमा बनी हुई है।
बेणेशवर मंदिर- नवाटापरा गाँव (डुंगरपुर)
- यह मंदिर सोम माही जाखम नदियों के संगम स्थल पर बना हुआ है।
- यहां पर खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है।
- यहां पर माघ पूर्णिमा को मेला आयोजित हो जात है जिसे आदिवासियों का कुंभ कहा जाता है।
परशुराम महादेव मंदिर- पाली
- इसे राजस्थान का अमरनाथ कहा जाता है।
मातृकुंडिया महादेव मंदिर - राशमी गाँव (चित्तौड़गढ़)
- इसे मेवाड़ का हरिद्वार कहा जाता है।
भिंडदेवरा शिव मंदिर - बांरा
- इसे हाड़ोती का खजुराहो भी कहा जाता है।
- इसे राजस्थान का मिनी खजुराहो भी कहा जाता है।
हर्षनाथ मंदिर- रैवासा (सीकर)
- इसका निर्माण गुवक प्रथम ने करवाया।
जीण माता का मंदिर - आडावाला पहाडिय़ाँ (सीकर)
सालासर बालाजी - चुरू
- यहां दाढ़ी मूछ वाले बालाजी की प्रतिमा स्थापित है।
मेहंदीपुर बालाजी - दौसा
- जहां हनुमान जी की बाल प्रतिमा स्थापित है।
- इस मंदिर को भूत प्रेत निवारक मंदिर कहा जाता है।
पाण्डुपोल हनुमाजी - अलवर
- यहां पर सोते हुए हनुमान जी की प्रतिमा है।
अंजनी माता हनुमान मंदिर - करौली
- यह मंदिर पांचना बांध के निकट स्थित है।
- यहां पर हनुमान जी की दुग्ध पान करते हुए प्रतिमा है।
बिडला मंदिर - जयपुर
- यह उत्तर भारत का प्रथम वातानुकूलित मंदिर है।
- इस मंदिर में लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थापित है।
कल्कि अवतार- जयपुर
- इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वारा करवाया गया।
खाटू श्याम जी मंदिर - सीकर
श्रीनाथजी मंदिर - राजसमंद
- इस मंदिर का निर्माण महाराणा राज सिंह में 1772 में करवाया।
- औरंगजेब के आक्रमण के कारण वृंदावन के पुजारी वृंदावन से इस मूर्ति को लेकर आए थे।
- यह वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ है।
- इसे सप्त ध्वजा मंदिर भी कहा जाता है।
द्वारिकाधीश मंदिर - कांकरोली (राजसमंद)
- इस मंदिर का निर्माण महाराणा राज सिंह ने करवाया।
कल्याण जी मंदिर - डिग्गी (टोंक)
- इन्हे कुष्ठ रोग व बांझ के निवारक देव माना जाता है।
कुंवारी कन्या मंदिर, माउंट आबू, (सिरोही)
- यह एक प्रेम मंदिर है इसमें एक युवक एवं युवती द्वारा हाथ में विष का प्याला लिए हुए प्रतिमा स्थापित है।
- इसे रसिया बालम का मंदिर भी कहा जाता है।
रंगनाथ जी का मंदिर - पुष्कर (अजमेर)
इंदिरा गांधी का मंदिर - अचरोल (जयपुर)
रावण मंदिर - मण्डोर (जोधपुर)
विभिषण मंदिर - कैथून (कोटा)
लक्ष्मण मंदिर - (भरतपुर)
ढाढी मुंछ वाले राम लक्ष्मण का मंदिर- झुंझनूं
रघुनाथ जी चुणडावत मंदिर - सीकर
सतबीस देवजी मंदिर - चित्तौड़गढ़
नारेली तीर्थ- अजमेर
चमत्कारी जैन मंदिर- सवाई माधोपुर
हल्देश्वर महादेव मंदिर- पीपलुद बाडमेर
कणसुआ शिव मंदिर- कोटा
सांस बहु का मंदिर- नागदा, उदयपुर
सोनिजी की नसीयाँ - अजमेर
- इसे राजस्थान का लाल मंदिर कहा जाता है।
काचरिया मंदिर - किशनगढ़ (अजमेर)
- यह निंबार्क संप्रदाय का मंदिर है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
मेवाड के चार धामो मे शामिल मंदिर
1) केसरिया नाथ - धूलैव (उदयपुर)
2) एकलिंगनाथजी- कैलाशपुरी (उदयपुर)
3) श्रीनाथजी मंदिर- राजसमन्द
4) चारभुजा नाथ मंदिर- राजसमन्द
नौग्रहो का मंदिर - किशनगढ़ (अजमेर)
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