". कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम 2013 ~ Rajasthan Preparation

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम 2013


कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम 2013

  • यह अधिनियम 22 अप्रैल 2013 को लागू किया गया।
  • यहा अधिनियम 23 अप्रैल 2013 से प्रभावी हुआ।
  • इस अधिनियम में 8 अध्याय एवं 30 धाराएं हैं।

अधिनियम की धाराएँ 

  • धारा 1 - अधिनियम का नाम एवं विस्तार।
  • धारा 2 - अधिनियम से संबंधित शब्दों की परिभाषाएं।
  • धारा 2 (ढ) - इसमें यौन उत्पीड़न को परिभाषित किया गया है।
  • धारा 2 (ण) - इसमें कार्यस्थल को परिभाषित किया गया है, इस अधिनियम के अंतर्गत कार्यस्थल से आशय ऐसा स्थान जहा न्यूनतम 10 व्यक्ति कार्यरत हो।
  • धारा 3 - यौन उत्पीड़न का जानकारी/निवारण 
  • धारा 4 - इसके अंतर्गत उत्पीड़न के खिलाफ तहसील या ब्लॉक स्तर पर आंतरिक कमेटी का गठन किया जाता है।
  • धारा 5 - आंतरिक समिति द्वारा जिला अधिकारी को अधिसूचित करना।
  • धारा 6 - जिला अधिकारी द्वारा स्थानीय समिति का गठन करना।

धारा 7 

स्थानीय समिति की संरचना।

स्थानीय समिति में 4 सदस्य होते हैं।

  1. जिला अधिकारी 
  2. तहसील या ब्लॉक स्तर का अधिकारी - यह अधिकारी महिला से संबंधित कानूनों की समझ रखने वाला होना चाहिए।
  3. कार्यस्थल का प्रधान - कार्यक्रम के प्रधान द्वारा उत्पीड़न करने पर कार्यस्थल के अन्य सदस्य को नियुक्त किया जा सकता है।
  4. कार्यस्थल का अन्य सदस्य।

Note - कार्यस्थल के प्रधान या अन्य सदस्य में से एक महिला होना अनिवार्य है।

अपराधी साबित होने पर जिला अधिकारी अपराधी को निम्न सजा सुना सकता है।

  1. चेतावनी देकर माफ करना
  2. ₹50000 का जुर्माना
  3. वेतन वृद्धि पर रोक लगाना
  4. पदोन्नति पर रोक लगाना
  5. नौकरी से निष्कासित करना
  • धारा- 8 - इस धारा के अंतर्गत पीड़ित स्त्री द्वारा जिला अधिकारी से 3 माह तक के अवकाश की मांग की जा सकती है एवं आर्थिक सहयोग की भी मांग की जा सकती है।
  • धारा 9 - इसके अंतर्गत जिला न्यायधीश के निर्णय से असंतुष्ट होने पर 3 माह के भीतर किसी भी न्यायालय में परिवाद दर्ज किया जा सकता है।
  • धारा  10  - इसके अंतर्गत पीड़िता एवं अपराधी के बीच सुलह करवाई जा सकती हैं।
  • धारा 11 - इसके अंतर्गत परिवाद की जांच की जाएगी।
  • धारा 20 - इसके अंतर्गत जिला अधिकारी को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम की शक्तियां प्रदान की गई है।

IPC - Indian panel code

  • भारतीय दंड संहिता
  • इसका निर्माण भारतीय प्रथम विधि आयोग द्वारा 06 अक्टूबर 1860 मे किया गया।
  • इस आयोग के अध्यक्ष लॉर्ड मैकाले थे।
  • 1 जनवरी 1862 को लॉर्ड कैनिंग ने इसे लागू किया।
  • IPC भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है।

कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम हेतु IPC की धाराएँ 

  • धारा 354 - यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी महिला को किसी भी प्रकार से लज्जित किया जाए तो इसके लिए 3 साल तक की सजा एवं जुर्माने(निर्धारित नही) का प्रमाण प्रावधान है।

धारा 354(1) 

  • धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा किसी महिला से अग्र क्रियाओं का प्रस्ताव रखना या अग्र क्रियाओं की मांग करना या अश्लील साहित्य का प्रदर्शन करना कानूनन अपराध है एवं इसके लिए 3 साल तक की सजा का प्रावधान है।
  • इस धारा के अंतर्गत विधि किसी व्यक्ति द्वारा महिला के लिए अभद्र टिप्पणी का प्रयोग किया जाता है तो इसके लिए 1 वर्ष की सजा का प्रावधान है किंतु यदि व्यक्ति इसी व्यवहार की पुनरावृति करता है तो इसके लिए 5 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 354(2) - इसके अंतर्गत किसी महिला को निर्वस्त्र करने का प्रयास कानूनन अपराध है एवं इसके लिए 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 354(3) - इसके अंतर्गत किसी महिला के साथ दसरतिकता कृत्य (ताक झांक) करना कानूनन अपराध है, इसके लिए 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
  • धारा 354(4) - इसके अंतर्गत किसी भी महिला का पीछा करना कानूनी अपराध है
  • धारा 509 - किसी भी महिला को तंग भंग करना या शारीरिक चोट पहुंचाना भी कानूनी अपराध है।

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