". अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956 ~ Rajasthan Preparation

अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956


अनैतिक व्यापार अधिनियम 1956

  • भारत सरकार द्वारा वेश्यावृत्ति एवं शारीरिक व्यापार पर प्रतिबंध लगाने हेतु इस अनैतिक व्यापार अधिनियम बनाया गया।
  • अधिनियम पारित- 30 दिसम्बर 1956
  • अधिनियम लागु- 1 जनवरी 1957
  • इस अधिनियम को देह व्यापार पर रोकथाम अधिनियम भी कहा जाता है।
  • इस अधिनियम में कुल 25 धाराए हैं।
  • 1986 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया।

अधिनियम की धाराएँ

  • धारा 1 - अधिनियम का नाम व विस्तार 

धारा 2 

अधिनियम से संबंधित शब्दों की परिभाषाएँ
  • इसके अंतर्गत बालक वयस्क व अवयस्क की परिभाषा
  • बालक - जिसकी उम्र 16 वर्ष से कम हो।
  • वयस्क- जिसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो।
  • अवयस्क- जिसकी उम्र 16 से 18 वर्ष के बीच हो।

धारा 3 

  • वेश्याग्रह का संचालन करना कानूनन अपराध है इसके लिए 1 वर्ष से लेकर 3 वर्ष तक की सजा + 2000रू जुर्माने का प्रावधान है।
  • सजा के पश्चात अपराध की पुनरावृति करने पर 2 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक की सजा + 2000रू जुर्माने का प्रावधान है।
  • वेश्याग्रह के लिए जमीन देने या मकान किराए पर देने पर 2 वर्ष की सजा एवं 2000रू जुर्माने का प्रावधान है।
  • सजा के पश्चात और अपराध की पुनरावृति करने पर 5 वर्ष की सजा एवं दो 5000रू का प्रावधान है।

धारा 4 

वैश्यावृत्ति की कमाई से जीवन यापन करने पर दंड का प्रावधान।

  • 18 वर्ष से अधिक की वेश्या से कमाई करके जीवन यापन करने पर 2 वर्ष की सजा एवं ₹2000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
  • यदि बच्चों की आयु 18 वर्ष से कम है तो कम से कम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है इसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।

धारा 5

  • वैश्यावृत्ति के लिए प्रेरित करना कानूनन अपराध माना गया है।
  • यदि बालक को प्रेरित किया गया है तो 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है।
  • यदि अव्यक्त को प्रेरित किया गया है तो 7 वर्ष से लेकर उम्र कैद(14 वर्ष) तक की सजा का प्रावधान है।
  • यदि वयस्क व्यक्ति अपनी इच्छा से वेश्यावृत्ति का कार्य करें तो उसे 3 वर्ष से 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
  • यदि वयस्क व्यक्ति की बिना इच्छा के वेश्यावृत्ति का कार्य करवाया जाए तो 7 वर्ष से आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 6 - वैश्याग्रह में किसी को बेचना कानूनन अपराध माना गया है इसके लिए 7 वर्ष से आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 7 - सार्वजनिक क्षेत्र पर वेश्यावृत्ति का कार्य करने पर 3 माह की सजा का प्रावधान है, किंतु यही अपराध 18 वर्ष से कम आयु के साथ किया जाता है तो इसके लिए 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 8 - यदि किसी व्यक्ति द्वारा वेश्यावृत्ति के लिए याचना की जाती है तो इसके लिए 6 माह से 1 वर्ष तक की सजा + 500रू के जुर्माने का प्रावधान है।
  • धारा 13 - अनैतिक व्यापार को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।
  • धारा 14 - अनैतिक व्यापार संज्ञेय अपराध है।
  • धारा 22 क - इसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा इन अपराधों को रोकने के लिए विशेष न्यायालय की स्थापना की जाती है।
  • धारा 22 क (क) - इसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा इन अपराधों को रोकने के लिए विशेष न्यायालय की स्थापना की जाती है।

अनैतिक व्यापार हेतु IPC की धाराएँ 

  • धारा 294 - किसी व्यक्ति द्वारा अश्लीलता का व्यापार करना कानूनी अपराध है।
  • धारा 372 - किसी तरुण व्यक्ति(18-20उम्र) द्वारा अश्लीलता का व्यापार करना कानूनन अपराध है।
  • धारा 373 - सार्वजनिक स्थान पर अश्लीलता का प्रदर्शन करना कानूनन अपराध है।
  • धारा 372 - वेश्यावृत्ति के लिए किसी व्यक्ति को भेजना कानूनन अपराध है इसके लिए 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
  • धारा 373 - वैश्यावृत्ति के लिए किसी व्यक्ति को खरीदना कानूनन अपराध है इसके लिए 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है।

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