दहेज निषेध अधिनियम -1961
- 20 मई 1961 को दहेज निषेध अधिनियम पारित किया गया।
- 01 जुलाई 1961 को दहेज निषेध अधिनियम लागु हुआ।
दहेज अपराधी क्या है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति परोक्ष या अपरोक्ष रूप से दहेज लेने, देने, दहेज लेने मे सहयोग, दहेज की मांग, दहेज का विज्ञापन, दहेज का करार, अन्य व्यक्ति द्वारा दहेज प्राप्त करना, दहेज के लिए उकसाना आदि गतिविधियों में शामिल होने पर उसे अपराधी ठहराया जाएगा।
दहेज क्या नही है।
- बिना मांगे दी गई वस्तुओं को दहेज नहीं माना जाता है।
- उपहारों को दहेज नहीं माना जाएगा।
- मुस्लिम संप्रदाय में मैहर की राशि तय करने का रिवाज है उसे भी दहेज नहीं माना जाएगा।
दहेज हेतु धाराएँ
- धारा - 1 - दहेज निषेध अधिनियम 1961 का नाम एवं विस्तार
- धारा - 2 - दहेज संबंधित परिभाषाएँ
- धारा 3 - दहेज लेना/देना/सहयोग - 5वर्ष की सजा +15000 जुर्माना
धारा 4
- दहेज मांगना - 6 माह से 2 वर्ष की सजा + 10000 जुर्माना
- दहेज के लिए उकसाना - 6 माह सजा + 5000 जुर्माना
- दहेज निषेध अधिनियम मे संशोधन के बाद दहेज हेतु उकसाने के प्रावधान को बदलकर 6माह से 10 वर्ष तक की सजा + 10000 जुर्माना किया गया है।
- धारा 4A - दहेज हेतु विज्ञापन- 6माह से 5 वर्ष की सजा +15000 जुर्माना
- धारा 5 - दहेज का करार (Agreement) - 6 माह से 2 वर्ष की सजा + 10000 जुर्माना
- वधु को 3 माह के भीतर दहेज वापस देना होगा।
- यदि वधू नाबालिक है तो उसके बालिग होने के 3 माह के भीतर दहेज लौटाना होगा।
- यदि वधु की मृत्यु हो जाए तो दहेज मधु की संतान को लौटाना होगा
- यदि वस्तु की कोई संतान ना हो तो दहेज मधु के माता-पिता को लौटाना होगा।
धारा 7
- दहेज एक संज्ञेय अपराध है, संज्ञेय से अर्थ है कि पुलिस बिना किसी वारंट के अपराधी को गिरफ्तार कर सकती है।
- इस अपराध पर संज्ञान प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा लिया जाएगा।
- धारा 8 - दहेज एक प्रकार का अजमानतीय अपराध है।
- धारा 8(क) - सबूत का भार - इससे अर्थ है कि व्यक्ति द्वारा अपने बचाव में सबूत पेश किए जा सकते हैं।
- धारा 8(ख) - राज्य सरकार द्वारा दहेज से संबंधित जागरूकता फैलाने हेतु प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी को दहेज प्रतिशत अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाता है।
धारा 9
- इसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा दहेज निषेध अधिनियम में संशोधन किया जा सकता है।
- यदि संसद के दोनों सदनों से बिल पास हो जाता है तो उसे 30 दिन के भीतर पारित करना अनिवार्य है।
- धारा -10 इसके अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा दहेज निषेध अधिनियम में संशोधन किया जा सकता है।
- दहेज निषेध अधिनियम मे 1884 व 1986 दो बार संशोधन किया जा चुका है।
दहेज से संबंधित IPC की धाराएँ
धारा 304b
- इसके अंतर्गत दहेज मृत्यु को कानूनी अपराध माना गया है, इसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
- दहेज मृत्यु- यदि विवाह की दिनांक से 7 वर्ष के भीतर किसी विवाहित स्त्री की अज्ञात कारण से मृत्यु हो जाती है तो उसे दहेज मृत्यु माना जाता है,
धारा -406
- विवाहित स्त्री द्वारा स्त्रीधन की मांग करने पर उसे स्त्रीधन लौटाना होगा,अन्यथा इसके लिए 3 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है।
- स्त्रीधन - लड़की द्वारा ससुराल से लाए गए तोहफो को स्त्रीधन कहा जाता है।,
धारा - 498A
- यदि किसी विवाहित स्त्री को उसके पति अथवा उसके नातेदारो किसी भी प्रकार से पीड़ित किया जाता है, तो इसके लिए 3 वर्ष की सजा का प्रावधान किया गया है।
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