राजस्थान की लोकदेवियाँ
करणीमाता - देशनोक, बीकानेर
- जन्म - 1387ई
- जन्म स्थल- सुवाप गाँव (जोधपुर)
- पिता - मेहाजी
- जाति - चारण
- बचपन का नाम- रिद्धि बाई
- इनका विवाह देशनोक बीकानेर मे दीपाजी से हुआ, तो इन्होंने वैवाहिक जीवन का त्याग कर दिया।
- करणी माता के दत्तक पुत्र लक्ष्मण की कोलायत झील में डूब कर मृत्यु हो गई इसलिए चारण जाति के लोग कोलायत झील में कभी स्नान नही करते व सावन पूर्णिमा को रक्षाबंधन त्योहार नहीं मनाते।
- 12/05/1459 को इन्होंने मेहरानगढ़ दुर्ग की नींव रखी।
- राव बीका ने करणी माता के आशीर्वाद से गोडमदेसर नामक स्थान पर बीकानेर की स्थापना की।
- करणी माता का प्रारंभिक पूजा स्थल नेहडी नामक स्थल बीकानेर में है।
- 1538 में 151 वर्ष की आयु में करणी माता ने घिनेरू की तलाई नामक स्थान पर दियात्रा गाँव मे अपने प्राण त्याग दिए।
- करणी माता की गुफा - दियात्रा (बीकानेर)
- करणी माता का मन्दिर- देशनोक बीकानेर
- मंदिर का निर्माण कार्य राव बीकानेर शुरू किया किंतु सूरत सिंह ने इसे पूर्ण करवाया।
- मठ - करणी माता का मंदिर
- यह चारण जाति की कुलदेवी मानी जाती है।
- इन्हें चूहों की देवी कहा जाता है।
- करणी माता के मंदिर के सफेद चूहे को काबा कहा जाता है।
- प्रतीक चिन्ह- सफेद चील
- गीत - चिरजा
- इन्हें ओला कृषि की रक्षक देवी माना जाता है।
तनोट माता - जैसलमेर
- निर्माण- 888ई मे तनुराम भाटी
- इन्हे सैनिकों की देवी कहा जाता है।
- इन्हें रुमाली देवी भी कहा जाता।
- इन्हें थार की वैष्णो देवी कहा जाता है।
- पुजारी - BSF का जवान
जीण माता
- जीण माता का मंदिर आडावाला की पहाड़ियां, रेवासा (सीकर) में स्थित है।
- जन्म - धांधु गाँव (चुरू)
- बचपन का नाम - जयन्ती बाई
- पिता - धांधराय
- भाई - हर्ष
- इन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है।
- यह चौहान वंश की कुलदेवी मानी जाती है।
- यह मीणा जनजाति की आराध्य देवी मानी जाती है।
- हंट्टड चौहान द्वारा 1064 ई मे जीण माता के मंदिर का निर्माण करवाया गया।
आईमाता - बिलाडा (जोधपुर)
- इनका मूल संबंध मालवा से हैं।
- पिता - भीखाडाबी
- बचपन का नाम- जीजीबाई
- गुरू - रामदेवजी
- यह सीरवी जाति की कुलदेवी है।
- इन्होंने 11 डोरा पंथ की स्थापना की।
- उनके मंदिर में गुर्जर जाति के लोग प्रवेश नहीं करते।
- इन्हें मधुमक्खियों की देवी कहा जाता है।
- औरंगजेब ने इस मंदिर में सोने का छत्र चढ़ाया।
- चिरंजा - यह जीण माता का गीत है यह सभी लोकदेवियो मे हो मैं सबसे लंबा गीत है।
- 2003 मे इन पर जयजीण नामक फिल्म बनी।
- दरगाह - इनके मंदिर कहलाते है।
- बडेर - नीम के वृक्ष के नीचे बने हुए इनके थान बडेर कहलाते है।
- दिवान - इनके पुजारी दिवान कहलाते है।
- इन्हें आंख रोग की निवारक देवी माना जाता है।
शीतला माता
- शील की डूंगरी, चाकसू (जयपुर) में इनका मंदिर स्थित है।
- यह कुम्हार जाति की कुलदेवी है।
- यह एकमात्र लोग देवी है जिनकी खंडित मूर्ति की पूजा होती है।
- सवारी - गधा
- प्रतीक चिन्ह - जलता हुआ दीपक
- उपनाम - महामाई, बच्चों की संरक्षिका, चेचक की देवी
- यह चेचक व बोदरी रोग की निवारक देवी है।
- इनहे बांसी भोग लगाया जाता है।
- इनका मंदिर खेजड़ी वृक्ष के नीचे होता है।
- चैत्र कृष्ण अष्टमी (शीतला अष्टमी) को इनका मेला भरता है।
कैलादेवी- त्रिकुट पर्वत, करौली
- इनको वासुदेव और देवकी की पुत्री माना जाता है।
- उपनाम - अंजनी माता, योगमाया
- यह मंदिल कालीसिल नदी के किनारे स्थित है।
- यह यादव राजवंश की कुलदेवी है।
- इन्हें मीणा व गुर्जरों की आराध्य देवी माना जाता है।
- चैत्र शुक्ल अष्टमी को इनका मेला भरता है जिसे राजस्थान का लक्खी मेला कहा जाता है।
- इनके मेले में लांगुरिया व जोगणिया गीत गाए जाते हैं।
सारिका माता - बीकानेर व जोधपुर
- इन्हें उष्ट्रवाहिनी देवी कहा जाता है।
- यहां मधुमेह रोग की निवारक देवो है।
- यह पुष्करणा ब्राह्मणो की कुलदेवी है।
ईडाणा माता - ईडाना गाँव, उदयपुर
- यह रावत जाति की कुलदेवी है
- यहां पर माता द्वारा अग्नि स्नान किया जाता है।
- यह कुष्ठ रोग की निवारक देवी है।
नागणेच्या माता
- निर्माण- राव धुहड
- मुल मंदिर - नगाणा गाँव, बाड़मेर
- देवी की मूर्ति काष्ठ से निर्मित है इसे रावधुहड कर्नाटक से लाए थे।
- वर्तमान मंदिर- मेहरानगढ (जोधपुर)
- उपनाम - पंखीनी माता, चक्रेश्वरी माता, राठेश्वरी माता
- इनका मंदिर नीम के वृक्ष के नीचे होता है।
- इनके अनुयायी नाग व नीम को पवित्र मानते है।
- चामुंडा माता- मेहरानगढ, जोधपुर
- राव जोधा - यह राठौड राजवंश की आराध्य देवी है।
मेहरानगढ दुखन्तिका - 30 सितम्बर 2008
- अश्विन मास नवरात्रा यहां भक्तों की भारी भीड़ थी और किसी ने अफवाह फैला दी कि मेहरानगढ़ की दीवारें ढह रही है तो लोगों में भगदड़ मच गई जिससे 216 लोगों की मृत्यु हो गई।
शाकम्भरी माता- सांभर (जयपुर)
- निर्माण- वासुदेव चौहान
- इन्हें शाकंभरी चौहानों की कुलदेवी माना जाता है।
सकराय माता - उदयपुरवाटी, झुंझनूं
- यह खंडेलवाल जाति की कुलदेवी है।
- शाकंभरी देवी भी कहा जाता है।
आशापुरा माता - नाडौल, पाली
- अन्य नाम- मोदरी माता
- यह सोनगरा चौहानों की कुलदेवी है।
मदाना माता - कोटा
- यह हाड़ा चौहानों की कुलदेवी है।
ज्वाला माता - जोबनेर, जयपुर
- इन्हें खंगारोत वंश की कुलदेवी कहा जाता है।
राजेश्वरी माता - लोहागढ़, भरतपुर
- इनहे जाट राजवंश की कुलदेवी माना जाता है।
सच्चियाय माता- औसिया, जोधपुर
- निर्माण- उपलदेव परमार
- इन्हें ओसवाल व परमारो की कुलदेवी माना जाता है।
जमुवाय माता- जमवारामगढ, जयपुर
- निर्माण- दुल्हेराय
- उपनाम - बडवाय माता, अन्नपूर्णा माता
- यह कछवाहा राजवंश की कुलदेवी है।
- शिलादेवी - आमेर, जयपुर
- निर्माण- मानसिंह प्रथम
- इन्हें कछवाहा राजवंश की आराध्य देवी माना जाता है।
- इस मंदिर की मूर्ति मानसिंह जस्सौर बंगाल से लाए थे।
- इस मंदिर में ढाई प्याले शराब चढ़ाई जाती थी।
- इन्हें काली माता का अवतार माना जाता है।
दधिमती माता - गौठ मांगलोद, नागौर
- यह मंदिर महामारु शैली में निर्मित है।
- यह दधीच ब्राह्मणों की कुलदेवी है।
- इनका जमीन से अवतार माना जाता है।
कैवायमाता - परबतसर, नागौर
- उपनाम- किनसरिया माता
- निर्माण- चच्चदेव
- यहा पर दुर्लभराज चौहान के शासन का शिलालेख उत्कीर्ण है।
ब्राह्मणी माता - सोरसन (बांरा)
- यह एकमात्र ऐसी लोकदेवी है जिनके पीठ की पूजा की जाती है।
- नारायणी माता - बरवा की डंगरी, राजगढ, अलवर
- जन्म स्थल- मोरा गाँव, जयपुर
- मुल नाम - करमेसी
- यह नाई जाति की कुलदेवी है।
- अलवर वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को मेला भरता है।
राणीसती - झुंझनूं
- मुल नाम - नारायणी
- उपनाम- दादीजी, डोकरी
- हिसार के नवाब ने इनके पति तन धन दास की हत्या कर दी 1652 में यह अपने पति के साथ सती हो गई।
- यह अग्रवाल जाति की कुलदेवी है।
- उत्तर भारत की लोकदेवियो में सबसे बड़ा मंदिर इन्ही का है।
छींक माता - जयपुर
छींछ माता - बांसवाडा
लटियाल माता- फलौदी, जोधपुर
सांभरा माता - पंचपदरा, बाड़मेर
आवरी माता - निकुम्भ, चित्तौड़गढ़
- यहां पर लकवे का इलाज होता है।
नकटी माता - जयपुर
सुंधा माता- भीनमाल, जालौर
- 20 दिसंबर 2006 को यहाँ राजस्थान का पहला रोप वे स्थापित किया गया।
- इस मंदिर के पास राबड़ा नाथ का धुणा स्थित है।
- यहां पर नागिन तीर्थ स्थित है।
वीरातरा माता - चौहटन बाडमेर
- यह भोपो की कुलदेवी है।
हिंगलाज माता
- मुल मंदिर- ब्लूचिस्तान (पाकिस्तान)
- राजस्थान मे मंदिर- जैसलमेर
- उपनाम- चांगली माई
- यह दो लोद्रवा चौहानों की कुलदेवी है।
- इन्हें चर्म रोग की निवारक देवी कहा जाता है।
- इनके मंदिर में तेरहताली लोकनृत्य का आयोजन होता है।
- हिंगलाज माता का एक अन्य अवतार आवड़ माता है।
आवड माता- जैसलमेर
- उपनाम - भादरेची माता, सांगिया माता, तेमडा ताई
- भाटी राजवंश की कुलदेवी कहा जाता है।
कुशाल माता - बदनौर, भीलवाड़ा
तुलजा भवानी - चित्तौड़गढ़
- निर्माण- बनवीर
- यह छत्रपति शिवाजी की आराध्य देवी है।
आमजा माता - राजसमन्द
इन्हें भीलो की कुलदेवी माना जाता है।
विश्ववंती माता
- इनहे भीलो की आराध्य देवी माना जाता है।
मनसा माता- सीकर
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