POSCO Act -2012
- The Protection of Child From Sexual Offence
- बच्चों का लैंगिक उत्पिडन से संरक्षण अधिनियम
- इस अधिनियम के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को संरक्षण प्रदान किया जाता है।
- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 15(3) की अनुपालना करता है।
- अधिनियम पारित- 19 जुन 2012
- अधिनियम प्रकाशित - 09 नवम्बर 2012
- अधिनियम लागु- 14 नवम्बर 2012
- इस अधिनियम में 9 अध्याय तथा 46 धाराएं हैं।
पॉस्को अधिनियम की धाराएँ
- धारा 1 - अधिनियम का नाम व विस्तार
- धारा 2 - Posco से संबंधित शब्दों की परिभाषा
- धारा 3 - लैंगिक प्रवेशन - किसी बालक के निजी अंग में किसी भी वस्तु/निजी अंग का प्रवेशन कराना लैंगिक प्रवेसन कहलाता है, इसे कानूनन अपराध माना गया है।
धारा 4
लैंगिक प्रवेशन के लिए दंड का प्रावधान
- लैगिक प्रवेशन के लिए 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है।
- किसी 16 वर्ष से कम आयु के बालक के साथ ऐसा अपराध होने पर 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
- 12 वर्ष से कम आयु के बालक के साथ ऐसा अपराध होने पर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।
धारा 5
गुरूत्तर लैंगिक प्रवेशन- (गुरूत्तर व्यक्ति से आशय सुरक्षाकर्मी, पुलिसकर्मी, संरक्षणकर्ता आदी अधिकार प्राप्त व्यक्ति)
- इस धारा के अंतर्गत गुरुत्तर लैंगिक प्रवेशन को कानूनी अपराध माना गया है।
धारा 6
गुरूत्तर लैंगिक प्रवेशन के लिए दण्ड का प्रावधान
- गुरुत्तर व्यक्ति द्वारा ऐसा अपराध करने पर 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
- 12 वर्ष से कम आयु के बालक के साथ ऐसा अपराध होने पर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।
धारा-7
लैंगिक हमला
- यदि किसी अच्छा वर्ष से कम उम्र के बालक के निजी अंग को पर किया जाए या स्पर्श करने के लिए बाध्य किया जाए तो उसे लैंगिक हमला कहा जाता है।
धारा 8
लैंगिक हमले हेतु दंड का प्रावधान।
- लैंगिक हमले हेतु 3 वर्ष से 5 वर्ष तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
धारा 9
गुरूत्तर लैंगिक हमला
- यदि किसी गुरूत्तर व्यक्ति द्वारा लैंगिक हमला किया जाए तो यह कानूनन अपराध है।
धारा 10
गुरुत्तर लैंगिक हमले के लिए दंड का प्रावधान।
- इस अपराध हेतु 5 वर्ष से 7 वर्ष तक के दंड का प्रावधान है।
धारा 11
लैंगिक उत्पीड़न
- यदि किसी 18 वर्ष से कम उम्र के बालक को लैंगिक प्रवेशन या लैंगिक हमले के लिए उत्पीड़ित किया जाए तो उसे लैंगिक उत्पीड़न कहा जाता है, लैंगिक उत्पीड़न को कानूनन अपराध माना गया है।
धारा 12
- लैंगिक उत्पीड़न के लिए दंड का प्रावधान।
- लैंगिक उत्पीड़न हेतु 3 वर्ष की सजा का प्रावधान बनाया गया है।
धारा 13
अश्लील प्रयोजनों में बच्चों का उपयोग।
- किसी भी अश्लील वीडियो, फोटो, एमएमएस, साहित्य आदि में बच्चों का उपयोग करना कानूनन अपराध माना गया है।
धारा 14
अश्लील कार्यों हेतु दंड का प्रावधान।
- पहली बार अपराध करने पर 5 वर्ष की सजा एवं अपराध की पुनरावृति करने पर 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।
धारा 15
- यदि कोई व्यक्ति बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री का भंडारण करता है तो उसे कानूनी अपराध माना गया है।
- पहली बार ऐसा अपराध करने पर उसे 3 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक की सजा + ₹5000 जुर्माने का प्रावधान है।
- अपराध की पुनरावृति करने पर 5 वर्ष से 7 वर्ष तक की सजा + ₹10000 जुर्माने का प्रावधान है।
धारा 16
अपराध का दुष्प्रेरण
- बच्चों को अश्लील करें तो लालच देना या प्रोत्साहित करना कानूनन अपराध माना गया है।
- धारा-17 - अपराध के दुष्प्रेरण हेतु दंड का प्रावधान।
धारा 18
- बच्चों से अश्लील कार्य का प्रयत्न करना कानूनन अपराध माना गया है।
- इस अपराध हेतु आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
- धारा 19 - अपराध की रिपोर्ट विशेष किशोर पुलिस ईकाई (SPJU)या स्थानीय पुलिस के पास दर्ज करवाई जाएगी।
- धारा 20 - बच्चों से संबंधित अपराध की जानकारी सार्वजनिक करने पर रोक।
- धारा 21 - बच्चों से संबंधित अपराध की जानकारी गुप्त रखने में विफल रहने पर दंड का प्रावधान।
धारा 22
- बच्चों से अपराध की मिथ्यापूर्ण सूचना पर दंड का प्रावधान।
- इसके लिए 6 माह से 1 वर्ष तक के दंड का प्रावधान किया गया है।
- धारा 28 - लैंगिक उत्पीड़न हेतु विशेष कोर्ट की स्थापना, इसे पोक्सो कोर्ट भी कहा जाता है।
No comments:
Post a Comment
Comment us