घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005
- अधिनियम पारित- 13 सितम्बर 2005
- अधिनियम लागु - 26 अक्टूबर 2006
- इस अधिनियम मे 5 अध्याय एवं 37 धाराएँ है।
अधिनियम की धाराएँ
- धारा 1 - अधिनियम का नाम व विस्तार
- धारा 2 - घरेलू हिंसा से संबंधित शब्दों की परिभाषा
- धारा 3 - घरेलू हिंसा - यदि विवाहित स्त्री को उसके पति नातेदार अथवा रिश्तेदार या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा मानसिक एवं शारीरिक रूप से उत्पीड़ित किया जाता है तो उसे कानूनन अपराध माना गया है।
- धारा 4 - घरेलू हिंसा होने पर संरक्षण अधिकारी को सूचना या शिकायत, इस संबंध में शिकायत कोई भी व्यक्ति कर सकता है।
धारा 5
शिकायत के पश्चात संरक्षण अधिकारी के कर्तव्य
- संरक्षण अधिकारी द्वारा शिकायत के 30 दिन के भीतर कार्यवाही करना अनिवार्य है एवं 60 दिन के मध्य शिकायत का निस्तारण करना अनिवार्य है।
- धारा 8 - राज्य सरकार द्वारा संरक्षण अधिकारी की नियुक्ति
- धारा 9 - संरक्षण अधिकारी समस्त कर्तव्य एवं कार्य।
- धारा 11 - सरकार के कर्तव्य
- धारा 19,20,21 व 22 - महिला संरक्षण के आदेश
- धारा 32 - घरेलू हिंसा संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध है।
घरेलु हिंसा से महिला संरक्षण हेतु IPC की धाराएँ
- धारा 498A- यदि विवाहित स्त्री को उसके पति नातेदार अथवा रिश्तेदार या अन्य किसी व्यक्ति द्वारा मानसिक एवं शारीरिक रूप से उत्पीड़ित किया जाता है तो उसे कानूनन अपराध माना गया है, इसके लिए 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।
- धारा 509 - यदि किसी महिला को अंग विक्षेपित किया जाए तो यह कानूनन अपराध है।
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