राजपूतो की उत्पत्ति व गुर्जर प्रतिहर वंश
राजपूतों की उत्पत्ति
विदेशियों की संतान
- कर्नल जेम्स टॉड - इन्होने राजपूतों को शको की सिथियन जाति से उत्पन्न माना है।
- हूणों से उत्पत्ति - विंसेंट स्मिथ, स्टेनफोनो
- कुषाणो (यु ची जाति) से उत्पत्ति - अलेक्जेंडर कनिंघम -
- विदेशी ब्राह्मणों से उत्पत्ति - D R भंडारकर, गोपीनाथ शर्मा
अग्निकुंड से उत्पत्ति
- पृथ्वीराज चौहान तृतीय के दरबारी कवि चंद्रबरदाई के ग्रंथ पृथ्वीराज रासो के अनुसार वशिष्ठ मुनि के द्वारा अर्बुदा पर्वत (माउण्ट आबू) पर किए गए अनुष्ठान चार राजपूतों जातियों की उत्पत्ति हुई - गुर्जर प्रतिहार, परमार, चालुक्य, चौहान
- मोहणोत नैंणसी व सूर्यमल मिश्रण में इस मत का समर्थन किया।
सूर्यवंशी एवं चंद्रवंशी
- चारण व भाटो ने इन्हें सूर्यवंशी अथवा चंद्रवंशी बताया है।
- दशरथ शर्मा ने इस मत का समर्थन किया।
- गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने राजपूतों को आर्यों की संतान बताया है।
- बिजोलिया शिलालेख में राजपूतों को वत्सगौत्रीय ब्राह्मणों की संतान बताया है।
- घटियाला शिलालेख में गुर्जर प्रतिहार वंश के मूल पुरुष को ब्राह्मण बताया गया है।
- डी आर भंडारकर के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति नगर ब्राह्मणों से हुई है।
मिश्रित जाति का सिद्धांत
- डीपी चट्टोपाध्याय ने राजपूतों को मिश्रित जाति की संतान बताया है।
गुर्जर प्रतिहार वंश
- एहोल प्रशस्ति कर्नाटक मैं गुर्जर प्रतिहार वंश का उल्लेख मिलता है।
- घटियाला शिलालेख में गुर्जर प्रतिहार वंश के मूल पुरुष को ब्राह्मण बताया गया है।
- आरसी मजूमदार ने गुर्जर प्रतिहार वंश को लक्ष्मण से उत्पन्न माना है।
- गुर्जर प्रतिहार वंश का मूल पुरुष संस्थापक हरिश्चंद्र (861ई) था।
- मुहणौत नैणसी के ग्रंथ मारवाड़ रा परगना री विगत के अनुसार गुर्जर प्रतिहार वंश की कुल 26 शाखाएँ थी।
मंडोर या मांडव्यपुर शाखा
- गुर्जर प्रतिहार वंश की मंडोर शासक शाखा का संस्थापक रज्जिल (560ई) को माना जाता है।
- रज्जिल ने मंडोर में महामंडलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया।
- इस शाखा के नरभट्ट नामक शासक ने पिल्ला पणी की उपाधि धारण की।
- नागभट्ट ने अपनी राजधानी मंडोर से मेडन्तकपुर (मेड़ता) स्थानांतरित की।
शिलुक
- इसने मल्ल क्षेत्र (जैसलमेर) के शासक देवराय भाटी को पराजित किया।
- इसने मंडोर में सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर बनवाया।
झोठ प्रतिहार - इसने ने गंगा में जीवित समाधि लेली थी।
कक्क - इस शाखा का कक्क नामक शासक व्याकरण व ज्योतिष का ज्ञाता था।
कक्कुक - उद्योतन सुरी ने कक्कुक नामक शासक को प्रतिहार वंश का कर्ण कहा है।
इन्दिरा प्रतिहार - यह शाखा का अंतिम शासक था।
भीनमाल शाखा
नागभट्ट प्रथम (730-760)
- यह गुर्जर प्रतिहार वंश की भीनमाल शाखा का संस्थापक था।
- उपाधि - क्षत्रिय ब्राह्मण
- राजधानियाँ - भीनमाल व उज्जैन
- दशरथ शर्मा के अनुसार इसने सुवर्णगिरी दुर्ग का निर्माण करवाया।
कक्कुक
- इसने मंडोर में विष्णु स्तंभ का निर्माण करवाया इसे राजस्थान का दूसरा सबसे प्राचीन विष्णु स्तंभ माना जाता है।
देवराज
वत्सराज (783-795)
- उपाधि- रणहस्तिन, जयवराह
- गुर्जर प्रतिहार वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- यह सम्राट की उपाधि धारण करने वाला प्रथम प्रतिहार शासक था।
- त्रिराज्य संघर्ष इसी ने प्रारंभ किया था। इस संघर्ष में इसने पाल शासक धर्मपाल को पराजित किया किंतु राष्ट्रकूट शासक ध्रुव प्रथम से हार गया।
- उद्योतन सूरि ने कुवलयमाला की रचना व जिनसेन सुरि ने हरिवंश पुराण की रचना वत्सराज के शासनकाल में की।
नागभट्ट द्वितीय (795-833)
- उपाधि - परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर
- इसने भी त्रिराज्य/त्रिपक्षीय संघर्ष में धर्मपाल को पराजित किया। किंतु राष्ट्रकूट शासक गोविंद तृतीय से पराजित हो गया।
- इसने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया।
- ग्वालियर अभिलेख में इसे कर्ण की उपाधि दी गई है।
- इसमें गंगा में जीवित समाधि ली थी।
रामभद्र (833-836)
- इसे हराकर पाल शासक देवपाल ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया।
मिहिरभोज (836-885)
- उपाधि - आदिवराह, मदादिवराह
- त्रिपक्षीय संघर्ष के दौरान पाल शासक नारायण पाल व विग्रहपाल को पराजित किया एवं राष्ट्रकूट शासक कृष्ण द्वितीय को भी पराजित किया एवं कन्नौज पर अंतिम रूप से अपना अधिकार स्थापित किया।
- इसे पितृहंता भी कहा जाता है।
- अरब यात्री सुलेमान ने मिहिर भोज के समय भारत की यात्रा की इसने मिहिर भोज को अरबो का शत्रु कहा एवं भारत को काफिरों का देश कहा।
महेंद्र पाल प्रथम (885-910)
- उपाधि - निर्भय नरेश, रघुकुल चुडामणि।
- राजशेखर इन्ही का दरबारी साहित्यकार था।
- इसन बंगाल व बिहार के क्षेत्रो को गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य में शामिल किया।
भोज द्वितीय
महिपाल प्रथम (912- 43)
- उपाधियाँ- हेरम्भ पाल एवं विनायक पाल
- इसके शासनकाल में अरब यात्री अलमहूदी ने भारत की यात्रा की।
- इसे आर्यव्रत का महाराजाधिराज भी कहा जाता था।
- यह राष्ट्रकूट शासक इन्द्र तृतीय से पराजित हुआ
राज्यपाल
- 1018 ईस्वी में जब मोहम्मद गजनवी ने कन्नौज पर आक्रमण किया तब कन्नौज का शासक राज्यपाल था किंतु यह गजनवी से बीना लड़े जान बचाकर भाग गया इस बात से नाराज होकर चंदेल शासक विद्याधर ने राज्यपाल को मार दिया।
यशपाल
- यह गुर्जर प्रतिहार वंश का अंतिम शासक था।
- इसे चंद्रदेव गडहवाल ने पराजित किया एवं कन्नौज पर गडहवाल वंश स्थापित किया
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