". राजस्थान के लोक नृत्य ~ Rajasthan Preparation

राजस्थान के लोक नृत्य


राजस्थान के लोक नृत्य 

व्यावसायिक, क्षेत्रीय, एवं धार्मिक नृत्य

घुमर

  • इस नृत्य का आयोजन गणगौर एवं मांगलिक कार्यक्रमों में होता है यह नृत्य केवल महिलाओं द्वारा किया जाता है।
  • उपनाम- नृत्यो का सिरमौर, नृत्यो कि आत्मा, नृत्यो का ह्रदय 
  • राजस्थान का राज्य नृत्य- घुमर (1986)
  • प्रसिद्ध- जयपुर 
  • 1986 मे गणगौर घुमर अकादमी कि स्थापना की गई।
  • वेषभूषा- अस्सी कली का लहंगा
  • झुमरिया - जब यह नृत्य कुंवारी बालिकाओं द्वारा किया जाता है तो इसे झुमरिया कहा जाता है।
Rajasthan folk dances

भवई नृत्य 

  • इसे ज्ञानदीप नृत्य भी कहा जाता है।
  • यह नृत्य भवई जाति कि महिलाओ एवं पुरूषों द्वारा किया जाता है।
  • इस नृत्य को केकडी (अजमेर) के बाघाजी जाट ने जन्म दिया।
  • प्रसिद्ध नृत्यांगना- अस्मिता काला 

कालबेलिया नृत्य 

  • यह राज्य का एकमात्र नृत्य है जिसे 2010 मे युनेस्को विश्व विरासत सुची मे शामिल किया गया।
  • वाद्य यंत्र- पुंगी
  • यह नृत्य सपेरा व सपेरन कि प्रेम कथा पर आधारित है।
  • प्रसिद्ध नृत्यांगना- गुलाबो

तेरहताली नृत्य 

  • लोकदेवता रामदेवजी कि आराधना मे यह नृत्य किया जाता है।
  • इस नृत्य मे 13 मंजीरो का प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे तेरहताली नृत्य कहा जाता है।
  • प्रसिद्ध नृत्यांगना- मांगी बाई 
  • प्रसिद्ध- रूणेचा -पादरला गाँव (पाली), जैसलमेर, नागौर, शेखावाटी क्षेत्र 
  • यह नृत्य कामड जाति की महिलाओं द्वारा किया जाता है।

कच्छी घोडी नृत्य 

  • प्रसिद्ध- शेखावाटी क्षेत्र 
  • गीत - लश्कारिया
  • वाद्य यंत्र- झांझ व घुंघरू
  • नृत्यकार कमर पर बांस कि घोडी बांध के रखते है जिसे चितलाई कहा जाता है।
  • यह नृत्य पुरुषो द्वारा किया जाता है।
  • प्रसिद्ध नृत्यकार- छावरचन्द गहलोत

कानूडा नृत्य 

  • इस नृत्य का आयोजन भाद्रपद कृष्ण अष्टमी या जनमाष्टमी के अवसर पर किया जाता है।
  • इस नृत्य के समय रसिया गीत गाये जाते हैं।
  • प्रसिद्ध- चौहटन (बाडमेर)

अग्नि नृत्य 

  • यह नृत्य संत जसनाथजी कि आराधना मे किया जाता है।
  • प्रसिद्ध- कतरियासर (बीकानेर)
  • यह नृत्य केवल पुरुषो द्वारा किया जाता है।
  • इस नृत्य को करते समय 'फतेह फतेह' का नारा दिया जाता है।
  • बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने एक नृत्य को संरक्षण दिया।
  • प्रसिद्ध नृत्यकार - लालनाथजी, चौखानाथजी

घुङला नृत्य 

  • प्रसिद्ध- जोधपुर 
  • इस नृत्य का आयोजन चैत्र कृष्ण अष्टमी घुडला महोत्सव मे किया जाता है।
  • इस नृत्य मे महिलाएँ सिर पर छिद्रित मटका रखकर नाचती है।

ढोल नृत्य 

  • यह नृत्य विवाह के अवसर पर पुरुषो द्वारा किया जाता है।
  • प्रसिद्ध- सांचौर (जालौर)
  • इस नृत्य में ढोल बजाने की शैली को थाकना शैली कहा जाता है।

डांग नृत्य

  • यह होली के अवसर पर स्त्री व पुरुषों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
  • यह नाथद्वारा (राजसमंद) का प्रसिद्ध है।

बम नृत्य /बम रसिया

  • नई फसल के आगमन कि खुशी मे किया जाने वाला नृत्य।
  • प्रसिद्ध- भरतपुर व अलवर 
  • गीत- बम रसिया

धमक- मुसल नृत्य 

  • प्रसिद्ध - जोधपुर 
  • गाँव मे महामारी से बचने के लिए इस नृत्य का आयोजन किया जाता है।

किलियो-बोरियो नृत्य 

  • प्रथम बार जंवाई के घर आगमन पर यह नृत्य किया जाता है।
  • प्रसिद्ध- मारवाड व मेवात क्षेत्र

मछली नृत्य 

  • प्रसिद्ध - बाडमेर 
  • विश्व का एकमात्र ऐसा नृत्य जो हर्ष के साथ शुरू होकर अत्यंत दुःख के साथ समाप्त होता है।

डांडिया नृत्य

  • यह पुरुषों द्वारा वृत्ताकार घेरे में किया जाने वाला नृत्य है।
  • यह मारवाड़ क्षेत्र का प्रसिद्ध है।

ढफ नृत्य

  • यह शेखावाटी का प्रसिद्ध है।
  • यह नृत्य बसंत पंचमी के अवसर पर किया जाता है।

झुमर नृत्य

  • प्रसिद्ध- हाडौती क्षेत्र 
  • प्रसिद्ध नृत्यांगना- डाली बाई

घमर-घुमरा 

  • प्रसिद्ध- वागड क्षेत्र 
  • यह राजस्थान का एकमात्र शोक नृत्य है क्योंकि इसका आयोजन मृत्यु के अवसर पर किया जाता है।

गींदड नृत्य

  • होली के अवसर पर शेखावाटी मे पुरुषो द्वारा किया जाता है।
  • वाद्य यंत्र- नगाडा
  • इस नृत्य के दौरान कुछ पुरुष स्त्रियों का स्वांग करते हैं।

थाली नृत्य 

  • चैत्र अमावस्या को कोलूमण्ड (जोधपुर) मे पाबूजी के मेले व पुत्र के जन्मोत्सव पर इस नृत्य का आयोजन होता है।

छमछडी नृत्य 

  • मेवाड क्षेत्र में गणेश चतुर्थी पर छोटे बच्चों द्वारा किया जाता है।

कक्का नृत्य 

  • जैसलमेर मे बसंत पंचमी के अवसर पर कामदेव कि आराधना मे किया जाता है।

लहुर नृत्य

  • यह शेखावटी मे किया जाने वाला अश्लील नृत्य है।

लांगुरिया नृत्य

  • कैलादेवी (करौली) की अराधना मे किया जाने वाला नृत्य।

पेजण नृत्य

 बांगड क्षेत्र मे दीपावली के अवसर पर किया जाने वाला नृत्य। 

कठपुतली नृत्य 

  • कठपुतली नाट्य के दौरान किया जाने वाला नृत्य। 
  • यह नाट जाति द्वारा किया जाता है।

नाहर नृत्य 

  • यह मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) का प्रसिद्ध नृत्य है। 
  • इसकी शुरुआत शाहजंहा के काल मे हुई। 
  • इसे एक सिंह वाले शेरो का नृत्य भी कहा जाता है।

कत्थक नृत्य 

  • यह राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य है। 
  • प्रसिद्ध - जयपुर 
  • कत्थक के जनक - भानुजी महाराज

जनजातीय नृत्य

मीणा जनजाति के प्रमुख नृत्य
  • मुहोली
  • लाठी
  • सुन्दरी

भीलो के प्रमुख नृत्य

  • TRICK - भीलो की गवरी गैरो के युद्ध मे रम पीकर द्वीचक्री घुमी।
  • गवरी, गैर, युद्ध, रमणी, द्वीचक्री, घुमरा, नैजा, हाथीमन्ना, भगोरिया, लाठी

गवरी या राई नृत्य 

यह नृत्य भगवान शिव व माता पार्वती को समर्पित है।

यह नृत्य सावन भादो में किया जाता है।

प्रसिद्ध- उदयपुर 

गैर नृत्य 

  • यह नृत्य भील पुरुषो द्वारा होली के अवसर पर किया जाता है इन्हें गेरिये कहा जाता है।
  • गैर नृत्य में उपयोग में ली जाने वाली छड कोखांडा कहा जाता है।
  • प्रसिद्ध- कनाना गाँव (बाडमेर)
  • वाद्य यंत्र- ढोल
  • ओंकारेश्वर मंदिर मेनार गाँव (उदयपुर) मे तलवारो कि गैर का आयोजन होता है।
  • घुमर गैर - भीलवाड़ा 
  • रावजी की गैर, मण्डोर (जोधपुर)
  • तितलियाँ गैर - मेवात क्षेत्र - यह एकमात्र गैर है जिसमे महिलाएँ भाग लेती है।

नेज़ा नृत्य 

  • यह खेल नृत्य है 
  • इसके अंतर्गत होली के अवसर पर एक डंडे पर नारियल बांधकर रोप देते है पुरुष नारियल उतारने का प्रयास करते है एवं महिलाए उन्हे कोड़े मार्टी है।

युद्ध नृत्य

  • इस नृत्य मे भील जनजाति द्वारा तीर कमान आदि से युद्ध कला का प्रदर्शन किया जाता है।

द्वीचक्री नृत्य

  • यह नृत्य विवाह के अवसर पर महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा किया जाता है इसमें बाहर के घेरे में पुरुष एवं अंदर के घेरे में महिलाएं नृत्य करती हैं।

घुमरा नृत्य- जैसलमेर

गरासिया जनजाति के प्रमुख नृत्य

  • TRICK - गोलू मामु ज्वारा मे कुदो।
  • गोल, लुर, मांदल, मोरिया, ज्वारा, वालर, रायण, कुद

वालर नृत्य

  • इस नृत्य को गरासियो कि घुमर कहा जाता है।
  • यह नृत्य बिना किसी वाद्य यंत्र के आयोजित होता है।
  • यह नृत्य पिंडवाड़ा व आबू क्षेत्र (सिरोही) में होता है।
सहरिया जनजाति के प्रमुख नृत्य
  • TRICK- शहर का शिकारी इंद्र परी के लिए जिला व लहंगा लाया।
  • स्वांग नृत्य, शिकारी नृत्य, इंद्रपरि नृत्य, झेला नृत्य, लहंगा नृत्य

कंजर जनजाति के नृत्य

  • धाकड नृत्य
  • कंजर नृत्य

चकरी नृत्य

  • कजली तीज पर अविवाहित कन्याओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य।

कलबेलिया जनजाति के प्रमुख नृत्य  

  • पाणिहारी, इंडोली, शंकरिया, बागड़िया 

बागड़िया 

  • कालबेलिया जनजाति की महिलाओ द्वारा भीख मांगते समय किया जाने वाला नृत्य।

कथौडी जनजाति के प्रमुख नृत्य

  • होली
  • मावलिया 
गुर्जर जाति के नृत्य 

चरी नृत्य 

  • यह नृत्य गुर्जर जाति कि महिलाओं द्वारा किया जाता है।
  • प्रसिद्ध- किशनगढ़ (अजमेर)
  • प्रसिद्ध नृत्यांगना- फल्कु बाई

बलेदी नृत्य 

  • यह नृत्य गुर्जर जाति के युवको द्वारा किया जाता है।
  • प्रसिद्ध - हाडौती क्षेत्र

अन्य महत्वपूर्ण नृत्य

चंग नृत्य - शेखावटी

मयूर नृत्य- ब्यावर (अजमेर)

भैरव नृत्य- ब्यावर (अजमेर)

हलचला घुमर- करौली 

चरकुला नृत्य- भरतपुर 

मोहिली नृत्य- प्रतापगढ़ 

लुम्बर नृत्य- जालौर 

कबुतरी नृत्य- चूरू

झुमरा नृत्य- मेवाड

बिंदौरी नृत्य- झालावाड़ 

नावडा नृत्य- कोटा

नाहर नृत्य - भीलवाड़ा

हिंडोला नृत्य- जैसलमेर 


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