". महाजनपद काल व मगध साम्राज्य ~ Rajasthan Preparation

महाजनपद काल व मगध साम्राज्य


महाजनपद काल व मगध साम्राज्य

  • बोद्ध धर्मग्रंथ "अगुत्तरनिकाय" व जैन धर्म ग्रंथ "भगवती सुत्र" मे 16 महाजनपदो10 गणराज्यो का उल्लेख मिलता है।

महजनपद, उनकी राजधानियाँ व उनका वर्तमान स्वरूप 

1) कंबोज महाजनपद                  

  • राजधानी- राजपुर या हाटक 
  • वर्तमान स्थिति - जम्मू कश्मीर, अफ़ग़ानिस्तान व पाकिस्तान का कुछ भाग

2) गांधार महाजनपद                  

  • राजधानी- तक्षशिला 
  • वर्तमान स्थिति - पाकिस्तान के पेशावर एवं रावलपिंडी जिले।

3) कुरू महाजनपद                          

  • राजधानी - इंद्रप्रस्थ 
  • वर्तमान स्थिति- मेरठ, दिल्ली व गाजियाबाद का क्षेत्र।

4) पांचाल महाजनपद                  

  • राजधानी - अहिछत्रपुर व कांपिल्य
  • वर्तमान स्थिति- बरेली, बदायूं, फरुखाबाद एवं रूहेलखण्ड जिले।

5) कौशल महाजनपद                       

  • राजधानी- श्रावस्ती 
  • वर्तमान स्थिति - अयोध्या, फैजाबाद एवं अवध क्षेत्र

6) मल्ल महाजनपद                        

  • राजधानी - कुशीनारा
  • वर्तमान स्थिति - देवरिया (उत्तर प्रदेश), कुशीनगर एवं पावा (बिहार)
  • इसमे 2 गणराज्य थे।

7) वज्जि संघ                  

  • राजधानी- वैशाली
  • वर्तमान स्थिति - मुजफ्फरनगर (बिहार)
  • इसमे 8 गणराज्य थे।

8) मगध महाजनपद

राजधानी - राजगृह (बाद मे पाटलिपुत्र बनी)

वर्तमान स्थिति- पटना व गया(बिहार)

9) अंग साम्राज्य

  • राजधानी- चम्पा
  • वर्तमान स्थिति- भागलपुर व मुंगेर (बिहार),

10) काशी महाजनपद

  • राजधानी- वाराणसी 
  • वर्तमान स्थिति- वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

11) वत्स महाजनपद               

  • राजधानी- कोशाम्बी 
  • वर्तमान स्थिति- इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) 

12) शूरसेन महाजनपद                 

  • राजधानी- मथुरा
  • वर्तमान स्थिति - मथुरा व वृन्दावन

13) मत्स्य महाजनपद                   

  • राजधानी - विराटनगर 
  • वर्तमान स्थिति- बैराठ क्षेत्र
  • पाण्डवों ने अपना अज्ञातवास का 13वाँ साल यही बिताया था, महाभारत काल में मत्स्य जनपद का राजा विराट था, इसने विराट नगर की स्थापना की एवं महाभारत में पांडवों की ओर से लड़ते हुए मारा गया इसकी पुत्री का विवाह अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से हुआ जिन से उत्पन्न पुत्र परीक्षित पांडवों का उत्तराधिकारी बना।

14) अवन्ति महाजनपद                 

  • राजधानी- उज्जयिनी व महिष्मति
  • वर्तमान स्थिति - मालवा क्षेत्र 

15) चेदि महाजनपद

  • राजधानी- शक्तिमति
  • वर्तमान स्थिति- बुंदेलखंड एवं झाँसी क्षेत्र

16) अश्मक महाजनपद

  • राजधानी- पोटन
  • वर्तमान स्थिति- महाराष्ट्र
  • यह एकमात्र महाजनपद था जो दक्षिण भारत मे स्थित था।

मगध साम्राज्य

मगध साम्राज्य के विभिन्न राजवंश निम्न है।

वृहद्रथ वंश

वृहद्रथ
  • संस्थापक - वृहद्रथ 
  • वृहद्रथ ने अपनी राजधानी गिरीवज्र को बनाया।
जरासंध
  • यह वृहद्रथ का पुत्र था इसका जन्म जरा नामी राक्षसों के आशीर्वाद से हुआ।
  • इसने भगवान श्रीकृष्ण से अनेक युद्ध भी किए।
  • पांडु पुत्र भीम के हाथो इसकी मृत्यु हुई।
रिपुजन्य
  • यह वृहद्रथ वंश का अंतिम शासक था।
  • इसके सामंत भट्टिय ने इसे मारकर हर्यक वंश की नींव रखी।

हर्यकवंश (545 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व)

भट्टीय

  • इसने हर्यकवंश की स्थापना की - भट्टिय

बिम्बिसार (544 ईपू से 491 ईपू)

  • इसे हर्यक वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • इसमे राजग्रह को मगध की राजधानी बनाया।
  • यह जैन धर्म का अनुयायी था एवं बौद्ध धर्म का उपासक था।
  • जैन धर्म मे इसका नाम श्रोणिक मिलता है।

अजातशत्रु (491 ईपू से 459 ईपू)

  • उपनाम - कुणिक
  • यह अपने पिता बिम्बिसार को मारकर शासक बना था इसलिए इसे भारतीय इतिहास का प्रथम पित्रहन्ता कहा जाता है।
  • इसने कौशल नरेश प्रसेनजीत से युद्ध किया जिसमे प्रसेनजीत ने अजातशत्रु को बंदी बना लिया। बाद मे प्रसेनजीत ने अपनी पुत्री का विवाह अजातशत्रु से कर लिया।
  • इसने वैशाली के लिच्छवी वंश के शासक चेटक के साथ अपने मंत्री वत्सकार की सहायता 16 वर्ष तक संघर्ष किया अंत मे इसने लिच्छवियो को पराजित कर दिया।
  • बौद्ध धर्म की प्रथम संगति राजग्रह मे इसी के शासनकाल मे हुई थी।
  • इसके पुत्र उदायिन ने इसकी हत्या कर दी।

उदायिन या उदयभद्र (459 ईपू से 432 ईपू)

  • इसने पाटलिपुत्र नगर बसाया एवं उसे मगध की राजधानी बनाया।

इसके बाद अनिरूद्ध व इसके बाद मूण्ड शासक बने।

नागदशक

  • यह हर्यक वंश का अंतिम शासक था।
  • इसकी हत्या करके शिशुनाग ने शिशुनाग वंश की स्थापना की।

शिशुनाग वंश/ नागवंश(412 ईपू - 344 ईपू)

शिशुनाग (412 ईपू - 393 ईपू)

  • इसे शिशुनाग वंश का संस्थापक माना जाता है।
  • इसके समय मगध कि दो राजधानियाँ थी - गिरीवज्र व वैशाली।

कालाशोक (393 ईपू - 365 ईपू)

  • उपनाम - काकवर्ण
  • इसके शासनकाल मे वैशाली मे द्वितीय बौद्ध संगति का आयोजन हुआ।
  • इसने फिर से पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया।
  • कालाशोक की रानी ने अग्रसेन की सहायता से इसे मार दिया।

नंदिवर्धन

  • यह नाग वंश का अंतिम शासक था।
  • इसके साथ इसके 9 भाई भी राजा बने।
  • अग्रसेन ने इसे भी मार दिया।

नंद वंश (344 ईपू से 323 ईपू)

महापद्मनंद 

  • इसने नन्द वंश की स्थापना की।
  • यूनानी इतिहासकार कार्टीयस के अनुसार अग्रसेन ही महापद्मनंद था।
  • उपनाम - उग्रसेन, सर्वक्षत्रान्तक
  • कलिंग शासक खारवेल के हाथीगुम्फा अभिलेख के अनुसार महापद्मनंद ने कलिंग पर विजय प्राप्त की थी।

घनानंद 

  • यह नंद वंश का अंतिम शासक था।
  • नंदो के अत्याचारों का वर्णन विशाखदत्त के मुद्राराक्षस मे ग्रंथ मे मिलता है।
  • इसके शासनकाल मे मकदुनिया (यूनान) शासक अलेक्जेंडर या सिकन्दर 325/26 ईपू मे भारत पर आक्रमण कर देता है।
  • चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता से घनानंद को मारकर मौर्य वंश की स्थापना की।

मौर्य वंश (323 ईपू से 185 ईपू)

  • संस्थापक- चन्द्रगुप्त मौर्य 

पारसिक (ईरानी) व युनानी आक्रमण

डेरियस प्रथम

  • यह प्रथम ईरानी आक्रांता था। 

अलेक्जेंडर (सिकंदर)

  • यह मकदुनिया (यूनान) शासक था जिसने 325/26 ईपू मे हिंदुकुश पर्वत पार करके भारत पर आक्रमण कर दिया। 
  • इस समय गांधार का शासक आम्भि था जिसने युद्ध के स्थान पर सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली।

झेलम का युद्ध

  • उपनाम -  हाईडेस्पेस का युद्ध, वितस्ता का युद्ध 
  • झेलम नदी के किनारे पुरू राज्य के राजा पोरस व सिकंदर के मध्य युद्ध हुआ जिसमे सिकन्दर विजयी रहा।
  • इसी युद्ध के कारण सिकंदर की सेना ने व्यास नदी पार करने से मना कर दिया और सिकन्दर पुनः लौट गया।

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