". गुप्तकाल ~ Rajasthan Preparation

गुप्तकाल


गुप्तकाल (Gupta's period)

  • गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल माना जाता है।

श्रीगुप्त

  • गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था।
  • इसके बाद घटोतकच शासक बना।

चन्द्रगुप्त प्रथम (319ई -335ई)

  • चन्द्रगुप्त प्रथम को गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
  • इसने 9 मार्च 319ई को गुप्त संवत चलाया।
  • इसने वैशाली की लिच्छवी वंश की राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया और उसी के नाम के सोने के सिक्के चलाए। 
  • यह महाराजाधिराज की उपाधि धारण करने वाला प्रथम शासक था।

समुद्रगुप्त (335ई - 375ई)

  • समुद्रगुप्त, गुप्त वंश का सबसे महान शासक था।
  • इसे सौ युद्धो का विजेता माना जाता है।
  • विंसेंट स्मिथ ने समुद्रगुप्त को "भारत का नेपोलियन" कहां है।
  • इसे इसके सिक्के पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है।
  • हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त के बारे मे जानकारी प्राप्त होती है।

रामगुप्त (375ई-380ई)

  • रामगुप्त  निर्बल शासक था इसने अपनी पत्नी ध्रुवस्वामिनी को सको के हवाले कर दिया इस कारण इसके छोटे भाई चंद्रगुप्त द्वितीय ने उसकी हत्या कर दी और शको से ध्रुवस्वामिनी को मुक्त कराया।

चन्द्रगुप्त द्वितीय (380ई-414ई)

  • चंद्रगुप्त द्वितीय की उपाधि - विक्रमादित्य, परमभाग्वत व परमभट्टारक
  • इसने अपनी पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक वंश के शासक रूद्रसेन द्वितीय के साथ किया।
  • इसने वाकाटको की सहायता से शकों को पराजित किया इसलिए इसे शकारी भी कहा जाता है।
  • इसने चांदी के व्याघ्र प्रकार के सिक्के चलाए।
  • इस के दरबार में नौ विद्वानों की उपस्थिति रहती थी जिन्हे नवरत्न कहा जाता था।
  • चीनी यात्री फाह्यान इसी के शासनकाल में भारत आया था फाह्यान ने फा-को-की ग्रंथ की रचना की, इसके अनुसार चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में लोग घरो के ताले नही लगाते थे।

कुमारगुप्त प्रथम (414ई-455ई)

  • कुमारगुप्त का उपनाम (अन्य नाम)- महेन्द्रादित्य
  • तुमैन अभिलेख मे इसे शरदकालिन सुर्य कि भाँति शांत कहा गया है।
  • इसने गुप्तकालीन शासको मे सर्वाधिक अभिलेख लिखवाए।
  • इसी के समय नालंदा बौद्ध विहार(बिहार) की स्थापना हुई। बौद्ध विहार को महायान बौद्ध धर्म का ऑक्सफोर्ड कहा जाता है।

स्कंदगुप्त (455ई- 467ई)

  • स्कंदगुप्त की उपाधि -क्रमादित्य
  • इसके शासनकाल मे हूणों का आक्रमण हुआ जिसे इसने विफल कर दिया।
  • इसने अयोध्या को अपनी दुसरी राजधानी बनाया।
  • इसने सुदर्शन झील का पुनर्निर्माण करवाया।
  • इसके शासनकाल मे सर्वाधिक मिलावटी सिक्के चले।

पुष्यगुप्त

कुमारगुप्त द्वितीय 

बुद्धगुप्त

नरसिंहगुप्त

  • उपनाम- बलादित्य

भानुगुप्त

  • एरण अभिलेख के अनुसार भानुगुप्त ने अपने सेनापति गोपराज के साथ मालवा के हूणों पर आक्रमण किया जिसमे गोपराज मारा गया व इसकी पत्नी सती हो गई यह सती प्रथा का भारतीय इतिहास का पहला प्रमाण है।

वैन्यगुप्त

कुमारगुप्त तृतीय 

विष्णुगुप्त

  •  विष्णुगुप्त गुप्त वंश का अंतिम शासक था।
  • हुण आक्रमण गुप्तो के पतन का मुख्य कारण था।

गुप्तकालीन कला एवं संस्कृति

मंदिर निर्माण शैलियाँ 

नागर शैली

  • इसे आर्य शैली भी का जाता है।
  • यह उत्तर भारत में प्रसिद्ध है।
  • इस शैली से निर्मित मंदिर विशाल शिखर युक्त होते हैं।
  • इसमें सभा मंडपो का भी प्रयोग किया जाता है।

द्रविड़ शैली

  • यह दक्षिण भारत में प्रचलित है।
  • इस शैली के मंदिर विशाल द्वारो के लिए प्रसिद्ध है। इन द्वारो को गोपुरम कहा जाता है।

बेसर शैली

  • यह मध्य भारत में प्रसिद्ध है।
  • यह नागर शैली और द्रविड़ शैली का मिश्रण है।

एकायतन शैली

  • मंदिर के गर्भ गृह में एक ही प्रतिमा हो तो वह शैली एकायतन शैली कहलाती है।

पंचायतन शैली

  • मंदिर के गर्भगृह मे पांच प्रतिमा होती है तो वह पंचायतन शैली कहलाती है।
  • पंचायतन शैली के मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं।
महामारू शैली
  • यदि एक ही स्थान पर अनेक मंदिरों का निर्माण करवा दिया जाए तो वह शैली महामारू शैली कहलाती है।

गुप्तकालीन कला

तक्षण कला

  • छैनी और हथोडे का प्रयोग करके मूर्तियों का निर्माण करना तक्षण कला चलाता है।
  • तक्षण कला करने वाला सिलावट कहलाता है।

गुप्तकालीन प्रमुख मंदिर

दशावतार मंदिर - देवगढ़ (झांसी)

  • यह नागर शैली का मंदिर है।
  • इस मंदिर में पहली बार 12 मीटर ऊंचे शिखर का प्रयोग किया गया।
  • मैं 4 सभा मंडपो का प्रयोग किया गया।
  • यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है इसमें भगवान विष्णु को शेषनाग की सैया पर सोते हुए दर्शाया गया है।

भीतरगांव(उत्तर प्रदेश)

सिरपुर (छत्तीसगढ़)

भुमराशिव मंदिर (मध्य प्रदेश)

नचना कुठार मंदिर (मध्य प्रदेश)

खुशी मंदिर (मध्य प्रदेश)

तिगवा विष्णु मंदिर (मध्य प्रदेश)

एरण विष्णु मंदिर (मध्य प्रदेश)

विदिशा मंदिर (मध्य प्रदेश)

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