अव्यय या अविकारी शब्द
संबंधबोधक अव्यय
संबंध का बोध कराने वाले अव्यय शब्दों को संबंधबोधक अव्यय कहा जाता है।
इनका प्रयोग दो संज्ञा या सर्वनाम शब्दों को जोड़ने के लिए किया जाता है।
जैसे - राम के बिना श्याम परेशान है।
समुच्चयबोधक अव्यय
समूह का बोध कराने वाले अव्यय शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय कहा जाता है।
दो वाक्य या उपवाक्य को जोड़ने के लिए योजक के रूप में समुच्चयबोधक अव्यय का प्रयोग किया जाता है।
जैसे - राम सोता है लेकिन मोहन पड़ता है।
समुच्चयबोधक अव्यय के दो प्रकार होते हैं।
1) समानाधिकरण या संयोजक अव्यव
वे समुच्चयबोधक अव्यय शब्द जो दो उपवाक्य को जोड़ते हैं उन्हें समानाधिकरण या संयोजक समुच्चयबोधक अव्यय कहा जाता है। इसमें संयुक्त वाक्य को शामिल किया जाता है।
2) व्याधिकरण या विभाजक अव्यय
वे समुच्चयबोधक अव्यय शब्द जो दो उपवाक्य को अलग करते हैं उन्हें व्याधिकरण या विभाजक समुच्चयबोधक अव्यय कहा जाता है। इसमे मिश्रित वाक्य को शामिल किया जाता है।
विस्मयादिबोधक अव्यय
आश्चर्य या अचरज का बोध कराने वाले अव्यय शब्दों को विस्मयादिबोधक अव्यय कहा जाता है।
इनका प्रयोग सदैव सत्य के आरंभ में ही किया जाता है कभी भी इनका प्रयोग वाक्य के मध्य में नहीं किया जाएगा।
जैसे - वाह!कैसा सुंदर दृश्य है।
क्रिया विशेषण
क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दो को क्रिया विशेषण कहा जाता है।
सभी क्रिया विशेषण अव्यय होते हैं एवं इनका प्रयोग क्रिया से ठीक पहले किया जाता है।
निपात
ऐसे शब्द हैं जो किसी शब्द के साथ जुड़कर उसके अर्थ को बल प्रदान करते हैं, उसे निपात कहते हैं।
जैसे - वह बहुत ही तेज चलता है।
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