क्रिया
क्रिया किसे कहते हैं?
किसी कार्य का होना या कार्य का करना बताने वाले शब्दों को क्रिया कहा जाता है।
संस्कृत भाषा कि धातु शब्द मे यदि ना प्रत्यय जोड दिया जाए तो वह क्रिया बन जाता है।कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
कर्म के आधार पर क्रिया के 2 भेद होते है।
1) सकर्मक क्रिया
यदि वाक्य में कर्म होता है एवं क्रिया का प्रभाव कर्म पर पड़ता है तो उसे सकर्मक क्रिया कहते है।
उदाहरण-
राम ने रावण को मारा।
राम पुस्तक पढता है।
सकर्मक क्रिया के दो भेद होते हैं।
1) एककर्मक क्रिया - वह सकर्मक क्रिया जिनमे केवल एक कर्म होता है एककर्मक क्रिया कहलाता है।
जैसे - अध्यापक ने छात्रो को पढाया।
2) द्विकर्मक क्रिया - वह क्रिया जिसमें दो कर्म होते उसे द्विकर्मक क्रिया कहा जाता है।
जैसे - अध्यापक ने छात्रो को हिन्दी पढाई।
2) अकर्मक क्रिया
यदि वाक्य में कर्म नहीं होता है एवं क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता है तो उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण-
पेड़ से पत्ता गिरता है।
यहा पत्ता कर्ता है क्यूकी पत्ता पेड़ से गिरने का कार्य कर रहा है एवं कार्य करने वाला कर्ता कहलाता है।
संरचना के आधार पर क्रिया के भेद
संरचना के आधार पर क्रिया के 5 भेद होते है।
1) संयुक्त क्रिया
यदि वाक्य में एक कार्य का बोध कराने के लिए दो क्रिया पदों का प्रयोग किया जाए तो वह संयुक्त क्रिया कहलाता है।
जैसे - मैंने पाठ पढ़ लिया।
2 ) पूर्वकालिक क्रिया
वाक्य में दो कार्यों का बोध कराने के लिए दो क्रिया
पदों का प्रयोग किया जाए किंतु एक क्रिया कार्य के पूर्ण होने का बोध कराएं
तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता है।
जैसे - मोहन पढ़कर सो गया।
3) प्रेरणार्थक क्रिया
यदि वाक्य में दो कर्ता हो एवं एक कर्ता दूसरे कर्ता
से कार्य करवाता है तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।
जैसे - मां बेटी से भोजन बनवाती है।
4) नामधातु क्रिया
यदि संज्ञा, सर्वनाम एवं विशेषण के बाद कोई प्रत्यय जोड़
दिया जाए एवं बनने वाला शब्द क्रिया हो तो उसे नामधातु क्रिया कहा जाता
है।
जैसे - चमकना
5) कृदंत क्रिया
यदि किसी धातु मैं ना के अलावा कोई भी प्रत्यय जोड़ दिया जाए एवं बनाने
वाला शब्द क्रिया हो तो उसे कृदंत क्रिया कहा जाता है।
जैसे - चलकर
प्रयोग व संरचना के आधार पर क्रिया के भेद
प्रयोग व संरचना के आधार पर क्रिया के 8 भेद होते है।
1) सामान्य क्रिया
यदि वाक्य में एक कार्य का बोध कराने के लिए एक ही क्रिया का प्रयोग किया जाए तो वह सामान्य क्रिया कहलाता है।
जैसे - राम पड़ता है।
2) संयुक्त क्रिया
यदि वाक्य में एक कार्य का बोध कराने के लिए दो क्रिया पदों का प्रयोग किया जाए तो वह संयुक्त क्रिया कहलाता है।
जैसे - मैंने पाठ पढ़ लिया।
3) पूर्वकालिक क्रिया
वाक्य में दो कार्यों का बोध कराने के लिए दो क्रिया
पदों का प्रयोग किया जाए किंतु एक क्रिया कार्य के पूर्ण होने का बोध कराएं
तो उसे पूर्वकालिक क्रिया कहा जाता है।
जैसे - मोहन पढ़कर सो गया।
4) प्रेरणार्थक क्रिया
यदि वाक्य में दो कर्ता हो एवं एक कर्ता दूसरे कर्ता
से कार्य करवाता है तो उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहा जाता है।
जैसे - मां बेटी से भोजन बनवाती है।
5) नामधातु क्रिया
यदि संज्ञा, सर्वनाम एवं विशेषण के बाद कोई प्रत्यय जोड़
दिया जाए एवं बनने वाला शब्द क्रिया हो तो उसे नामधातु क्रिया कहा जाता
है।
जैसे - चमकना
6) कृदंत क्रिया
यदि किसी धातु मैं ना के अलावा कोई भी प्रत्यय जोड़ दिया जाए एवं बनाने
वाला शब्द क्रिया हो तो उसे कृदंत क्रिया कहा जाता है।
जैसे - चलकर
7) सहायक क्रिया
मुख्य क्रिया की सहायता करने वाली क्रिया को सहायक क्रिया कहा जाता है। यह क्रिया वाक्य में काल का बोध कराती है।
जैसे- हम पढ़ रहे हैं।
8) सजातीय क्रिया
वाक्य मैं समान जाति की क्रिया पाए जाने पर उसे सजातीय क्रिया कहा जाता है या वाक्य में कर्म धातु से ही बना हुआ हो एवं क्रिया एवं कर्म दोनो एक ही धातु से बना हो तो उसे सजातीय क्रिया कहा जाता है।
जैसे भारत ने लड़ाई लड़ी
मैंने पढ़ाई पड़ी
मैंने चढ़ाई चढ़ी
काल के आधार पर क्रिया के भेद - 3 भेद
1) वर्तमानकालिक क्रिया - वह किया जिसमें वर्तमान काल में कार्य के होने का बोध हो उन्हें वर्तमान कालिक क्रिया कहा जाता है।
2) भूतकालिक क्रिया - वह क्रिया जिसमें भूतकाल मे कार्य के होने का बोध हो उन्हें भूतकालिक क्रिया कहा जाता है।
3) भविष्यकालिक क्रिया- वह क्रिया जिसने भविष्य काल में कार्य के होने का बोध हो उसे भविष्यकालिक क्रिया कहा जाता है।
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