". राजस्थान : सिंचाई परियोजनाएँ ~ Rajasthan Preparation

राजस्थान : सिंचाई परियोजनाएँ


राजस्थान कि सिंचाई परियोजनाएँ (Irrigation projects of rajasthan)

सिंचाई - कृत्रिम तरीके से फसलों को पानी देना सिंचाई कहलाता है।

सिंचाई परियोजना क्या है?
What is irrigation project?

किसी विशेष नदी पर बांध बनाकर किसी विशेष क्षेत्र में लिफ्ट एवं नहर से सरकार द्वारा बनाई सिंचाई कि व्यवस्था को सिंचाई परियोजना कहा जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सिंचाई परियोजनाओ को आधुनिक भारत का मंदिर कहा था।

सिंचाई परियोजना कि आवश्यकता 

  • वर्षा कि कमी 
  • वर्षा कि अनियमितता
  • वर्षा कि अनिश्चितता 
  • सतही जल का अभाव 
  • भूमिगत जल स्तर का गिरना 

Irrigation projects of rajasthan 

राजस्थान मे सिंचाई के साधन

  • नहर - नहरो से सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर जिले मे होती है।
  • तालाब - तालाबो से सर्वाधिक सिंचाई भीलवाड़ा में होती है।
  • झीले - झीलो से सर्वाधिक सिंचाई उदयपुर में होती है।
  • कुएँ - कुओ से सर्वाधिक सिंचाई जयपुर मे होती है।
  • नलकूप - नलकूपों से सर्वाधिक सिंचाई भरतपुर मे होती है।

नोट - राजस्थान मे सर्वाधिक सिंचाई कुओ एवं नलकूपों के माध्यम से होती है।

सिंचाई परियोजनाओ के प्रकार 

1) बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना

2) वृहद सिंचाई परियोजना 

1) बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना 

वह सिंचाई परियोजना जिसके द्वारा सिंचाई के अलावा भी अन्य बहुत सारे उद्देश्यों की पूर्ति कि जाती हैं।

बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के उद्देश्य 

1) विद्युत का उत्पादन 

2) बाढ पर नियंत्रण 

3) सिंचाई व्यवस्था का विकास करना

4) जैव विविधता संरक्षण 

सिंचाई परियोजना का प्रमुख दोष यह है कि सिंचाई परियोजना मे नदी पर बांध बना लिया जाता है जिससे उस क्षेत्र कि समस्थिति पर प्रभाव पड़ता है जिससे उस क्षेत्र में भूकम्प आने कि संभावनाए बढती है।

भाखडा - नांगल परियोजना 

यह पंजाब, हरियाणा व राजस्थान कि संयुक्त परियोजना है। इसमे राजस्थान का हिस्सा 15.2% है।

सतलज नदी पर होशियारपुर (पंजाब) मे भाखडा बांध बना हुआ है, यह गुरुत्व कि दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।

इस बांध से 13Km आगे रोपड(पंजाब) मे नांगल बांध बना हुआ है। 

नांगल बांध से दो नहरे निकलती है।

1) बिस्त दोआब नहर - इससे पंजाब में सिंचाई कि जाती है।

2) नांगल नहर - इससे पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के हनुमानगढ जिले मे सिंचाई कि जाती है। 

व्यास परियोजना 

देहर बांध - व्यास नदी पर हिमांचल प्रदेश में देहर बांध बनाया गया है, इसे पडोह बांध भी कहा जाता है, इससे एक नहर निकलती है जिससे व्यास नदी के अतिरिक्त जल का संरक्षण करने के लिए IGNP ( इंन्दिरा गांधी नहर परियोजना) मे जलापूर्ति कि जाती है। 

पोंग बांध- व्यास नदी पर हिमांचल प्रदेश में ही पोंग बांध बना हुआ है, इससे भी एक नहर निकलती है जिससे IGNP (इंन्दिरा गांधी नहर परियोजना) मे जलापूर्ति कि जाती है। 

इराडी आयोग - 1986 मे रावी व व्यास नदी के अतिरिक्त जल का संरक्षण करने के लिए इराडी आयोग का गठन किया गया।

चम्बल परियोजना 

यह राजस्थान व मध्यप्रदेश कि संयुक्त परियोजना है। इसमे दोनों राज्यों का 50-50% हिस्सा है।

इस परियोजना का विकास तीन चरणों में हुआ।

🔶️प्रथम चरण

प्रथम चरण में चम्बल नदी पर 1960 मे दो बांध बनाए गए।

1) गांधी सागर बांध - इस बांध का निर्माण मध्यप्रदेश में किया गया है, यह चम्बल नदी का सबसे बड़ा बांध है।

2) कोटा बैराज - यह कोटा में बनाया गया है, इस बांध का उपयोग केवल सिंचाई के लिए ही किया जाता है, इसका कैचमेट (भराव क्षमता) सबसे बड़ा है।

कोटा बैराज के दाई ओर 8 नहरे है जिससे कोटा व मध्यप्रदेश में सिंचाई कि जाती है, एवं बाई ओर 2 नहरे है जिनसे कोटा व बुंदी मे सिंचाई कि जाती है।

🔶️द्वितीय चरण 

द्वितीय चरण के अंतर्गत 1970 मे इस नदी पर राणा प्रताप सागर बांध बनाया गया।

🔶️तृतीय चरण 

तृतीय चरण के अंतर्गत इस नदी पर कोटा व बुंदी मे जवाहर सागर बांध बनाया गया, इसे कोटा बांध भी कहा जाता है।

माही बजाज सागर परियोजना 

यह राजस्थान व गुजरात कि संयुक्त परियोजना है जिसमे 45% हिस्सा राजस्थान का है एवं 55% हिस्सा गुजरात का है।

माही बजाज सागर बांध - बोरखेडा (बांसवाडा) मे माही बजाज सागर बांध बना हुआ है।

इससे डूंगरपुर, बांसवाडा एवं प्रतापगढ़ मे सिंचाई कि जाती है।

कागजी बांध- इस बांध से दो नहरे निकाली गई है।

1) भीखाभाई सागवाडा नहर

2) आनन्दपुरा नहर

कडाना बांध- गुजरात 

इसमे राजस्थान का हिस्सा नहीं है।

2) वृहद सिंचाई परियोजना

  वह सिंचाई परियोजना जिसके अंतर्गत 10000 हेक्टेयर क्षेत्र मे सिंचाई होती है वृहद सिंचाई परियोजना कहलाती है। राजस्थान कि विभिन्न वृहद सिंचाई परियोजनाएं निम्न है।

गंगनहर परियोजना 

यह राजस्थान कि प्रथम सिंचाई परियोजना है।

4 सितम्बर 1920 को पंजाब, बहावलपुर एवं बीकानेर रियासत के मध्य एक समझौता हुआ जिसके अंतर्गत यह निर्णय लिया गया कि सतलज नदी से नहर निकालकर उससे बीकानेर रियासत मे सिंचाई कि जाएगी।

गंगनहर को राजस्थान मे लाने कि क्षेय बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को जाता है।

5 सितम्बर 1921 को महाराजा गंगासिंह ने हुसैनीवाला हैड मे इसका उद्घाटन किया गया। 

निर्माण - 1922-27

खंखा गाँव(गंगानगर) से यह राजस्थान मे प्रवेश करती है एवं इसका अंतिम बिंदु शिवपुर हैड (गंगानगर)है। 

गंगनहर कि कुल लंबाई- 129 km (112 km पंजाब में व 17 km राजस्थान मे)

गंगनहर से कुल 4 शाखाएँ निकाली गई है जो निम्न प्रकार है-

1) लक्ष्मी नारायण शाखा 

2) समेजा कोठी शाखा 

3) लालगढ शाखा 

4) करणी शाखा 

शाखा सहित गंगनहर कि कुल लंबाई 1280 km है।

इन्दिरा गांधी नहर परियोजना(IGNP)

यह विश्व कि सबसे बडी कृत्रिम सिंचाई परियोजना है।

सतलज व व्यास नदी के संगम पर हरिके बांध का निर्माण किया गया। इसी बांध से 1952 मे इन्दिरा गांधी नहर का निर्माण शुरू हुआ। एवं 1958 मे तत्कालीन ग्रह मंत्री गोविन्द वल्लभ पंत के द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।

इसका प्रचीन नाम राजस्थान नहर था।

सूरतगढ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट को जलापूर्ति इसी नहर से होती है।

इन्दिरा गांधी नहर पंजाब, हरियाणा व राजस्थान मे विकसित है। इसका निर्माण दो चरणो मे हुआ है।

प्रथम चरण

राजस्थान फिडर -  प्रथम चरण में हरिके बेराज से मसीतावाला हैड( हनुमानगढ) तक इस नहर का निर्माण किया गया जिसे राजस्थान फिडर कहा जाता है। इसकी लंबाई 204 km है।

मुख्य नहर - इसी चरण मे मसीतावाला हैड( हनुमानगढ) से पुंगल (बीकानेर) तक मुख्य नहर का निर्माण किया गया। इसकी लंबाई 189Km है।

द्वितीय चरण 

द्वितीय चरण के अंतर्गत पुंगल(बीकानेर) से मोहनगढ (जैसलमेर) तक नहर का निर्माण किया गया इसकी लंबाई 256 Km है।

इन्दिरा गांधी नहर से कुछ शाखाएं निकाली गई है।

इन्दिरा गांधी नहर कि प्रमुख शाखाएँ व लाभान्वित क्षेत्र 

1) सुरतगढ शाखा - गंगानगर 

2) अनुपगढ शाखा- गंगानगर व बीकानेर 

3) पुंगल शाखा- बीकानेर 

4) दंतौर - बीकानेर 

5) बीसलपुर- बीकानेर 

6) चारणा वाला शाखा  - बीकानेर व जैसलमेर 

7)शहीद बीरबल शाखा- जैसलमेर 

6) सागरमल गोपा शाखा- जैसलमेर 

7) बाबा रामदेव शाखा- यह बाडमेर मे जल ले जाने वाली शाखा है।

8) रावतसर शाखा- हनुमानगढ- यह एकमात्र शाखा है जो IGNP के बायी ओर निकलती है। इस शाखा कि एक उपशाखा है नौरंगदेसर। इन्दिरा गांधी नहर मे पहली बार जल आने पर 11 अक्तूबर 1961 को यहा पर डाॅ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने जल का उद्घाटन किया।

इन्दिरा गांधी नहर की प्रमुख लिफ्ट नहरें एवं लाभान्वित क्षेत्र

1) चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर - इसका प्राचीन नाम नोहर साहवा था इससे हनुमानगढ, चुरू व झुंझनूं जिले लाभान्वित होते हैं।

2) कंवर सेन लिफ्ट नहर - इसका प्राचीन नाम लुणकरणसर था इससे गंगानगर एवं बीकानेर जिले लाभान्वित होते हैं। इसे बीकानेर कि जीवन रेखा भी कहा जाता है।

3) पन्नालाल भारूपाल लिफ्ट नहर - इसका प्राचीन नाम गजनेर था इससे बीकानेर जिला लाभान्वित होता हैं।

4) वीर तेजाजी लिफ्ट नहर - इसका प्राचीन नाम भैरूंदा बागडसर था इससे बीकानेर जिला लाभान्वित होता है। 

5) डॉ करणी सिंह लिफ्ट नहर - इसका प्राचीन नाम कोलायत नहर था। इससे बीकानेर व जोधपुर जिले लाभान्वित होते हैं।

6) गुरू जम्भेश्वर लिफ्ट नहर - फलौदी( जोधपुर), बीकानेर व जैसलमेर 

7) जयनारायण व्यास लिफ्ट नहर- इसका प्राचीन नाम पोकरण लिफ्ट नहर था। इससे लाभान्वित जिले जैसलमेर व जोधपुर है।

8) नागौर लिफ्ट नहर- नागौर 

9) राजीव गांधी लिफ्ट नहर- जोधपुर 

क्षेम कि समस्या - नहरो के किनारो का भाग दलदली हो जाना क्षेम कि समस्या कहलाता है।

सर्वाधिक क्षेम कि समस्या वाला जिला- हनुमानगढ 

सर्वाधिक क्षेम कि समस्या वाला स्थान- बडोपल(हनुमानगढ)

नर्मदा घाटी परियोजना 

यह राजस्थान कि एकमात्र परियोजना है जिससे फव्वारा विधि से सिंचाई कि जाती है। इसे बुंद- बुंद सिंचाई परियोजना एवं इजरायल विधि सिंचाई परियोजना भी कहा जाता है।

इस परियोजना के अंतर्गत गुजरात मे नर्वदा नदी से एक नहर निकाली गई है जो शीलू गाँव बाडमेर से राजस्थान मे प्रवेश करती है एवं यह गुढामलानी (बाडमेर) तक विकसित है।

शाखा व लिफ्ट परियोजना व लाभान्वित क्षेत्र 

जाखम परियोजना

प्रतापगढ मे जाखम नदी पर बांध बनाया गया है जिससे उदयपुर, प्रतापगढ़ एवं चित्तौड़गढ़ जिले लाभान्वित होते हैं।

जालौर लिफ्ट नहर - जालौर 

भादरवा व पनरवा शाखा- बाडमेर

बीसलपुर परियोजना

इसका विकास बनास नदी पर टोंक मे 1988-89 मे किया गया।

यह राजस्थान कि सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है।

इससे टोंक, जयपुर व अजमेर जिले लाभान्वित होते हैं।

इसरदा परियोजना 

इसका विकास बनास नदी पर सवाई माधोपुर मे किया गया है।

इससे सवाई माधोपुर, टोंक व जयपुर जिले लाभान्वित होते हैं।

सोम कमला अम्बा परियोजना 

डुंगरपुर के कमला अम्बा गाँव के निकट सोम नदी पर बांध बनाया गया है जिससे राजस्थान के उदयपुर एवं डुंगरपुर जिले लाभान्वित होते हैं।

गुरूग्राम परियोजना 

यमुना नदी से एक नहर निकली गई है जिससे राजस्थान के भरतपुर में सिंचाई कि जाती है।

मेजा बांध परियोजना 

भीलवाड़ा मे कोठारी नदी पर मेजा बांध का निर्माण किया गया है।

कालिसिंध परियोजना- झालावाड़ 

नदी कालिसिंध 

मनोहर थाना परियोजना - बांरा व झालावाड़ 

नदी - परवन नदी 

चोली परियोजना - झालावाड़ 

नदी - चोली नदी

मोरेल परियोजना- दौसा व सवाई माधोपुर 

नदी मोरेल नदी

अजान बांध परियोजना- भरतपुर 

नारायण सागर बांध परियोजना- अजमेर

सावन भादौ परियोजना - कोटा 

मोरा सागर परियोजना - सवाई माधोपुर 

राजगढ परियोजना- झालावाड़ 

बत्तीसा नाला परियोजना- सिंरोही

जल सागर परियोजना- चित्तौड़गढ़ 

उर्मिला सागर परियोजना- भीलवाड़ा 

अखला बेराज परियोजना- भरतपुर 

आलनिया परियोजना- कोटा 

छापी परियोजना - झालावा

भीमसागर परियोजना- झालावा

परवन परियोजना - झालावाड़ 

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य 

डार्क जोन -जिन क्षेत्रो मे भूमिगत जल एक निश्चित स्तर से नीचे चला जाता है उन्हे सरकार द्वारा डार्क जोन घोषित कर दिया जाता है। इन क्षेत्रों पर सरकार द्वारा भूमिगत जल के दोहन पर रोक लगा दी जाती है।

राजस्थान मे कुल 85 क्षेत्रो को डार्क जोन घोषित किया गया है।

राजस्थान की कृषि एवं फसले 

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