राजस्थान का भौतिक/भौगोलिक स्वरूप (Physical Structure of Rajasthan)
🔷️प्रारंभ में पृथ्वी दो भागो स्थलमंडल(पेंजिया) एवं जलमंडल(टेथिस सागर) मे विभक्त थी, कालांतर में स्थलमंडल दो भागो उत्तरी पेंजिया (अंगारालैण्ड) और दक्षिणी पेंजिया (गोंडवाना लैण्ड) मे विभाजित हो गया, राजस्थान का पश्चिमी मरूस्थल टेथिस सागर का अवशेष माना जाता है। जबकि अरावली, पूर्वी एवं दक्षिण पूर्वी प्रदेश गोंडवाना लैंड का अवशेष माना जाता है।
Physical structure of rajasthan |
राजस्थान मरूस्थलीय प्रदेश कि उत्पत्ति टेथिस सागर से होने के प्रमाण
- थार के मरूस्थल मे अवसादी चट्टानो कि प्रधानता
- जीवाश्म खनिज के भंडार
- कुलधरा ग्राम जैसलमेर मे पाए गए मछली के अवशेष
- इस क्षेत्र मे स्थित खारे पानी की झीले
पश्चिमी शुष्क प्रदेश
अर्दशुष्क प्रदेश
नहरी क्षेत्र
अरावली प्रदेश
पूर्वी कृषि ओद्योगिक प्रदेश
दक्षिणी पूर्वी कृषि प्रदेश
चम्बल बीहड प्रदेश
1971 मे प्रोफेसर रामलोचन सिंह ने भारत प्रादेशिक वर्गीकरण करते किया जिसके अंतर्गत उन्होंने राजस्थान को 2 वृहत प्रदेशो, 4 उप प्रदेशो एवं 12 लघु प्रदेशो मे वर्गीकृत किया।
प्रो तिवारी एवं सक्सेना ने 1994 मे राजस्थान का प्रादेशिक भूगोल नामक पुस्तक में राजस्थान के भौतिक प्रदेशो का वर्गीकरण प्रस्तुत किया।
राजस्थान को मुख्य रूप से 4 भौतिक स्वरूपो मे विभाजित किया गया है।
- उत्तरी पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश
- अरावली पर्वतीय प्रदेश
- पूर्वी मैदानी प्रदेश
- दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश
राजस्थान के भौगोलिक प्रदेश NCERT |
राजस्थान भौतिक प्रदेशो का कालखंड के अनुसार सही क्रम
- अरावली पर्वतीय प्रदेश
- दक्षिण पूर्व पठारी प्रदेश
- पूर्वी मैदानी भाग
- पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश
1) उत्तर पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश ( Western desert region)
- उत्पत्ति- टेथिस सागर से
- काल - नियोजोइक महाकल्प के प्लीस्टोसीन युग मे
- क्षेत्रफल - 2,09,042 वर्ग किमी
- पूर्ण मरूस्थलीय क्षेत्रफल- 1,75,000 वर्ग किलोमीटर
- इसरो रिपोर्ट 2007 के अनुसार राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 67% या 2/3 भाग पर मरूस्थल है।
- इस क्षेत्र को थार का मरूस्थल कहाँ जाता है, वर्तमान में राजस्थान में थार के मरुस्थल में 2.88% की कमी दर्ज की गई है।
- राजस्थान मे सबसे न्युनतम जन घनत्व इस प्रदेश में है।
- यहाँ वायुदाब निम्न रहता है।
- यह विश्व मे सर्वाधिक आबादी एवं जैव विविधता वाला मरूस्थल है।
- थार मरूस्थल राजस्थान,पंजाब हरियाणा, गुजरात एवं पाकिस्तान मे विस्तृत है। कुल भारतीय थार का 61.11% भाग राजस्थान मे एवं 0.89% भाग पंजाब, हरियाणा एवं गुजरात मे एवं 38% भाग पाकिस्तान में है।
- राजस्थान के 12 जिले इस भूभाग में स्थित है - जैसलमेर, बीकानेर, बाडमेर, जोधपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ, नागौर, चुरू, झंझुनू, सीकर, पाली एवं जालौर।
- इस क्षेत्र मे छोटे पौधे, कंटिली झाड़ियां एवं बबुल, कीकर, नागफणी आदी वनस्पति पाई जाती है।
- इस क्षेत्र मे मुख्यतः सेवण एव तुरडीगम घास पाई जाती है।
पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश दो भागो में विभाजित है।
शुष्क मरूस्थल
- राष्ट्रीय आकल वुड फोसिल पार्क इसी क्षेत्र में स्थित है।
- राजस्थान मे मरूस्थल का सर्वाधिक विस्तार जैसलमेर जिले में है।
- क्षेत्र - जैसलमेर, बाडमेर, दक्षिण पूर्वी बीकानेर, पश्चिमी जोधपुर, दक्षिण पश्चिम चुरू, पश्चिमी नागौर।
- मांड क्षेत्र- जैसलमेर
- हम्मादा- शुष्क मरूस्थल मे बालूका स्तुप मुक्त प्रदेश को हम्मादा कहा जाता
है यह पथरीला चट्टानी मरूस्थल है इस क्षेत्र मे SEEZ ( solar energy
enterprising zone) कि स्थापना की गई।
राजस्थान का भौगोलिक वर्गीकरण NCERT |
अर्दशुष्क मरूस्थल
अर्दशुष्क मरूस्थल को चार भागों में विभाजित किया गया है।
घग्गर प्रदेश
- इस क्षेत्र मे श्री गंगानगर और हनुमानगढ दो जिले सम्मिलित हैं। यह क्षेत्र राजस्थान मे घग्गर नदी का प्रवाह क्षेत्र है।
शेखावाटी प्रदेश
- इस क्षेत्र मे राजस्थान के तीन जिले सीकर, चुरू व झुंझनूं सम्मिलित हैं।
- इसे बांगर प्रदेश कहां जाता है।
- इस क्षेत्र मे राजस्थान कि आंतरिक प्रवाह कि दुसरी सबसे लंबी नदी कांतली नदी बहती है, कांतली नदी के प्रवाह क्षेत्र को तोरावटी कहा जाता है, इस नदी के किनारे गणेश्वर सभ्यता(सीकर) का विकास हुआ।
- शेखावाटी क्षेत्र में पाए जाने वाले कच्चे कुए जोहड कहलाते हैं और पक्के कुए नाडा कहलाते हैं।
नागौरी उच्च भुमि
- अरावली से पृथक जो पहाडी क्षेत्र है उसे नागौरी उच्च भुमि कहा जाता है। इसमे नागौर जिला सम्मिलित है।
- इसमे तीन पर्वत श्रेणियां पाई जाती है।
- मकराना श्रेणी - संगमरमर जमाव क्षेत्र
- मांगलोद श्रेणी- जिप्सम जमाव क्षेत्र
- जायद श्रेणी- फ्लोराइड क्षेत्र। यहां कि फ्लोराइड युक्त जलपट्टी को कुबडपट्टी कहा जाता है।
गौडवाड प्रदेश
- लुनी नदी प्रवाह क्षेत्र गौडवाड प्रदेश कहलाता है।
- इसमे चार जिले जोधपुर, पाली, बाडमेर, जालौर सम्मिलित हैं।
- इस क्षेत्र मे छप्पन कि पहाडिय़ा(बाडमेर) पाई जाती है इन पहाड़ीयो के नाकोडा पर्वत पर पार्श्वनाथ को समर्पित नाकोडा भैरव का मंदिर स्थित है।
- राजस्थान मे सर्वाधिक बांगर मृदा का विस्तार लुनी बेसिन मे है।
- ग्रेनाइट पर्वत- जालोर
- डोरा पर्वत- यह जालोर मे जसवंतपुरा पहाडिय़ों मे स्थित पश्चिमी राजस्थान कि सबसे उँची चोटी है जिसकी ऊँचाई 869 मी है।
- पिपलुद ग्राम (बाडमेर) - यह पश्चिमी राजस्थान मे सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान है इसलिए इसे पश्चिमी राजस्थान का माउण्ट आबू भी कहा जाता है, यहां हल्देश्वर महादेव का मंदिर भी है।
- मिट्टी- रेतीली बलुई मृदा (एण्टीसोल)
- प्रमुख वनस्पति- मरूदभिद( जिरोफिइटस)
- प्रमुख घास- सेवण, धामण, करड, अंजन , बुर, सुगनी
बालुका स्तुप
- अनुदैधर्य बालुका स्तुप - पवन कि दिशा के समान्तर या अनुदिश बनने वाले बालुका स्तुप।
- अनुप्रस्थ बालुका स्तुप- पवन कि दिशा के लम्बवत या समकोण पर बनने वाले बालुका स्तुप।
- बरखान - गतिशील या अर्धचंद्राकार बालुका स्तुप। बरखान का सर्वाधिक विस्तार भालेरी( चुरू) मे है ये बालुका स्तुप मरूस्थलीकरण के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी है।
- इर्ग - रेतीले मरूस्थल को इर्ग कहा जाता है।
- प्लाया झील- दो बालुका स्तुपो के बीच वर्षा जल एकत्र होने से जिस झील का निर्माण होता है उसे प्लाया झील कहा जाता है।
- रन - प्लाया झील का पानी सुख जाने पर जो दलदली क्षेत्र रहता है उसे रन कहते हैं।
- बालसन - रन जब मैदान में परिवर्तित हो जाते हैं तब उन्हें बालसन कहते है।
- खडिन - बालसन क्षेत्र में जो कृषि कि जाती हैं उसे खडिन कहा जाता है।
- मावठ - भूमध्य सागरीय पश्चिमी विक्षोभो से शीत ऋतु में होने वाली वर्षा मावठ कहलाती है इसे राजस्थान के लिए गोल्डन ड्रोप्स या सुनहरी बुंदे कहा जाता है। यह एक चक्रवात का उदाहरण है।
- पुरवईया- दक्षिण पश्चिम मानसून कि बंगाल कि खाडी से आने वाली हवाओं को पुरवईया कहा जाता है यह समसामयिक पवने है।
- लू - ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाएं लू कहलाती है। यह स्थाई पवने है।
- लाठी सीरीज - पोकरण से मोहनगढ(जैसलमेर) तक जो भूगर्भीय पट्टी पाई जाती है उसे लाठी सीरीज कहा जाता है यही पर सेवण घास के मैदान पाए जाते हैं। सेवण घास को स्थाई भाषा में लीलोण कहा जाता है लाठी सीरीज को थार का नखलिस्तान या ओएसीस कहा जाता है।
2) अरावली पर्वतीय प्रदेश (The Aravali hill region)
- उत्पत्ति- गोंडवाना लैंड से
- काल - एजोइक महाकल्प के प्री कैम्ब्रियन काल मे
- क्षेत्रफल- सम्पूर्ण राजस्थान का 9.3%
- राजस्थान के 7 जिले इस भूभाग में स्थित है- सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, अजमेर, जयपुर, दौसा व अलवर
- अरावली पर्वत श्रेणी का विस्तार भारत मे गुजरात के खेडब्रम्मा(पालनपुर) से लेकर रायसीना (दिल्ली)तक विस्तृत है इसकी कुल लंबाई 692 KM है राजस्थान मे यह सिरोही से लेकर खेतडी (झुंझनूं ) तक विस्तृत है राजस्थान मे इसकी लंबाई 550 Km है।
- अरावली कि औसत उँचाई 930मी है।
- गुरु शिखर - 1722मी ( सिरोही) - यह अरावली कि सबसे उँची चोटी है।
- सेर - 1597मी (सिरोही)
- दिलवाडा -1442 मी( सिरोही)
- जरगा- 1431 मी( उदयपुर)
- अचलगढ -1380मी (सिरोही)
- आबु - 1295 मी (सिरोही)
- कुंभलगढ- 1224मी (राजसमन्द)
- ॠषिकेष -1017मी (सिरोही)
- कमलनाथ - 1001मी (उदयपुर)
- सज्जनगढ- 938 (उदयपुर)
- लीलागढ - 874
- अन्य चोटियां - नागपानी, तारागढ
अरावली का वर्गीकरण
उत्तरी अरावली
- इसमें तीन जिले जयपुर, अलवर व दौसा सम्मिलित हैं।
- काकनवाडी का पठार- अलवर
मध्य अरावली
- इसमें अजमेर जिला सम्मिलित है ।
- तारागढ पहाडी - 870 मी
- नागपहाड -795 मी
- ब्यावर तहसील मे 4 प्रमुख दर्रे है - बर, परवेरिया, शिवपुर घाट, सुरा घाट
- NH-162 इसी बर दर्रे से गुजरता है।
दक्षिणी अरावली
दक्षिणी अरावली को दो भागो में वर्गीकृत किया गया है।
1 सिरोही प्रदेश
- भाकर- पूर्वी सिरोही मे पाई जाने वाली तीव्र ढाल वाली पहाडिया भाकर कहलाती है।
- उडिया का पठार- यह राजस्थान का सबसे उँचा पठार है इसकी उचाई 1360 मी है यह सिरोही मे स्थित है।
2 मेवाड प्रदेश
- देशहरो - उदयपुर में जरगा व रागा कि पहाडियो के बीच वर्ष भर हरा भरा रहने वाला क्षेत्र देशहरो कहलाता है।
- मेवल - डूंगरपुर व बांसवाडा के क्षेत्र को मेवल कहा जाता है।
- भोराठ का पठार- गोगुन्दा( उदयपुर) से कुंभलगढ(राजसमन्द) के बीच के पठार को भोराठ का पठार कहा जाता है। यह राजस्थान का तीसरा सबसे ऊँचा पठार है।
- उपरमाल - बिजौलिया( भीलवाड़ा) से भैसरोडगढ(चित्तौड़गढ़) का बीच का क्षेत्र उपरमाल कहलाता है।
- भौमट का पठार - उदयपुर, डूंगरपुर एवं बांसवाडा के बीच के पठारी क्षेत्र को भौमट का पठार कहा जाता है।
- मैसा का पठार- चित्तौड़गढ़ मे स्थित है इस पठार पर चित्रांगद मौर्य ने चित्तौड़गढ़ दुर्ग का निर्माण किया।
- लासौडिया पठार- उदयपुर
- दक्षिण अरावली के प्रमुख दर्रे
- देसुरी कि नाल- पाली
- सोमेश्वर की नाल - पाली
- कामलीघाट दर्रा-राजसमन्द
- गोरमघाट दर्रा- राजसमन्द
- देबारी - उदयपुर - राजस्थान का एकमात्र एक्सप्रेसवे NH-48 यहां से गुजरता है एवं यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग NH-27 भी गुजरता है।
- हाथीगुढा दर्रा (उदयपर) - कुंभलगढ दुर्ग इसी के पास बना हुआ है, यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग NH-27 भी गुजरता है।
- केवडा कि नाल- उदयपुर
- फुलवारी कि नाल - उदयपुर
- जीलवा/ पगल्या नाल - यह दर्रा मेवाड़ को मारवाड़ से जोड़ता है।
3) पूर्वी मैदानी भाग (The eastern plain region)
- उत्पत्ति - गंगा व यमुना नदी द्वारा लाई गई मिट्टी द्वारा
- काल- नियोजोइक महाकल्प के प्लीस्टोसीन काल मे
- क्षेत्रफल- राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 23.6%
- यह राजस्थान का सर्वाधिक जनसंख्या एवं जन घनत्व वाला भौतिक प्रदेश है।
- इसमे राजस्थान के 10 जिले सम्मिलित हैं।
- राजस्थान मे सवाई माधोपुर मे रंगीन पहाडिय़ा पाई जाती है
पूर्वी मैदानी प्रदेश को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।
- 1) चम्बल बेसिन
- बीहड - चम्बल नदी मे अवनलिका अपरदन से निर्मित कंदराओं युक्त क्षेत्र बीहड कहलाता है बीहड क्षेत्र में घने जंगलों का विकास होता है विश्व मे सर्वाधिक बीहड के लिए चम्बल नदी जानी जाती है राजस्थान मे सर्वाधिक बीहड धौलपुर जिले में है करौली जिले को बीहड कि रानी कहा जाता है बीहड युक्त क्षेत्र को डांग प्रदेश कहा जाता है डांग प्रदेश में राजस्थान के तीन जिले धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर सम्मिलित हैं।
- राजस्थान मे सर्वाधिक खादर का विस्तार चम्बल बेसिन में है।
- 2) बनास - बाणगंगा बेसिन
- बनास नदी खमनौर कि पहाडिय़ों(राजसमन्द) से निकलकर रामेश्वरम( सवाई माधोपुर) मे चम्बल नदी मे मिल जाती है।
- बाणगंगा नदी बैराठ कि पहाडिय़ों( जयपुर) से निकलकर यमुना नदी मे मिलती है।
- पिडमांड का मैदान- देवगढ( राजसमन्द) से भीलवाड़ा तक बनास का मैदान पिडमांड का मैदान कहलाता है।
- खेराड क्षेत्र- जहाजपुर( भीलवाड़ा) से टोंक तक का क्षेत्र खेराड क्षेत्र कहलाता है।
- रोही का मैदान- जयपुर से भरतपुर तक बाणगंगा एवं यमुना नदियों के बीच का क्षेत्र रोही का मैदान कहलाता है इसे रोही दोआब क्षेत्र भी कहा जाता है।
- 3) माही बेसिन
- प्राचीन काल में माही बेसिन को पुष्प प्रदेश कहा जाता था।
- माही नदी विश्व कि एकमात्र नदी है जो कर्क रेखा को दो बार काटती है।
- छप्पन का मैदान- बासवाडा एवं प्रतापगढ़ के मध्य जो छप्पन गांवो या नदी नालो का क्षेत्र छप्पन का मैदान कहलाता है।
- कांठल - माही नदी के तटवर्ती मैदान को कांठल कहा जाता है।
- वागड क्षेत्र- डूंगरपुर व बांसवाडा
4) दक्षिण पूर्व पठारी प्रदेश/ हाडोती का पठार)(The south eastern platue region)
- उत्पत्ति- गोंडवाना लैंड मे ज्वालामुखी द्वारा
- काल - मिसोजोइक महाकल्प के क्रिटेशियस काल मे
- क्षेत्रफल- राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 6.49% क्षेत्रफल कि दृष्टि से यह प्रदेश राजस्थान का सबसे छोटा भौतिक प्रदेश है, इसका क्षेत्रीय विस्तार 24185 वर्ग किमी है।
- इसमे राजस्थान के चार जिले सम्मिलित हैं।- बुंदी, कोटा,बारां एवं झालावाड़
- इस क्षेत्र मे बाह्य आग्नेय/ बेसाल्ट चट्टानो कि प्रधानता है।
- प्रमुख मृदा- काली मृदा (वर्टीसोल) - यह मिट्टी कपास के उत्पादन के लिए उपयोगी है।
- जल द्वारा मिट्टी का सर्वाधिक अपरदन इस क्षेत्र मे होता है।
- राजस्थान मे सर्वाधिक नदियाँ हाडौती क्षेत्र में पाई जाती है।
इस क्षेत्र को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है।
1) विंध्य कगार क्षेत्र
राजस्थान मे महान सीमा भ्रंश( ग्रेट बाउंड्री फाॅल्ट) बुंदी व सवाई माधोपुर या विंध्य कगार क्षेत्र में स्थित है।
इसमे धौलपुर, करौली व सवाई माधोपुर जिला सम्मिलित है।
विंध्य कगार क्षेत्र को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है।
1) अर्धचंद्राकार पहाडिय़ां
- बुंदी की पहाडिय़ा - बुंदी मे पाई जाने वाली अर्धचंद्राकार पहाड़ियाँ बुंदी की पहाडिय़ां कहलाती है। इसकी सबसे उँची चोटी सतुर(353मी) है।
- मुकुंदरा कि पहाडिय़ां - यह कोटा व झालावाड़ में स्थित है, इसका विस्तार लगभग 120 किमी है, इसकी सबसे उँची चोटी चांदमाडी (517मी)है। मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क इन्हीं पहाडिय़ों के बीच स्थित है।
- रामगढ़ कि पहाडिय़ा - यह बारां मे स्थित है। इस क्षेत्र को भारत का पहला जियो हेरिटेज स्थल है।
- कुंडला कि पहाडिय़ा - यह कोटा में स्थित है।
2) नदी निर्मित मैदान - इस क्षेत्र कि कालिसिंध, परवन, पार्वती ओर आहु द्वारा निर्मित क्षेत्र नदी निर्मित मैदान कि श्रेणी में आता है।
3) शाहबाद उच्च भुमि क्षेत्र - सामान्य भूमि से 450 मी उच्च क्षेत्र जो पूर्वी बारां मे स्थित है। इसे शाहबाज उच्च भुमि क्षेत्र कहा जाता है।
2) दक्कन का पठार
इसमे कोटा बुंदी बांरा व झालावाड़ जिले सम्मिलित है।
- इसे दो भागो में वर्गीकृत किया गया है।
- 1) डग गंगधर प्रदेश - झालावाड़ के दक्षिण- पश्चिमी भाग को डग गंगधर प्रदेश कहा जाता है।
- 2) झालावाड़ का पठार - डग गंगधर प्रदेश के बाद झालावाड़ का शेष भाग झालावाड़ का पठार कहा जाता है।
useful content
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