". भूकम्प (Earthquakes) ~ Rajasthan Preparation

भूकम्प (Earthquakes)


भूकम्प (Earthquakes)

भूकम्प का साधारण अर्थ है भूमि का काँपना, इसके अध्ययन को सिस्मोलॉजी (Seismology) कहते हैं, भूकम्प के कारण जब धरातल पर कम्पन होता है, तो उसे प्रघात कहते हैं। 

उद्गमकेन्द्र - भूकम्प के मूल उद्गम स्थान को उद्गमकेन्द्र (Focus) कहते हैं। 

अधिकेन्द्र - उद्गम केन्द्र से उठी तरंगें जहाँ धरातल को अपने ठीक ऊपर (90°) पर सबसे पहले स्पर्श करती है उसे अधिकेन्द्र (Epicenter) कहते हैं।

भूकंप मापी यंत्र - रोसी- फेरल स्केल, मरकेली स्केल, रिक्टर स्केल

सुनामी - समुद्र में आने वाले भुकंप को सागरीय भुकंप कहा जाता है एवं इससे उत्पन्न समुद्री लहरो को सुनामी कहा जाता है।

भूकंप के कारण 

1) ज्वालामुखी 

2) प्लेट विवर्तनिकी 

3) जलीय भार

4) प्लेटो के किनारे

5) परमाणु पुनश्चलन सिद्धांत - इसका प्रतिपादन एच एफ रीड ने किया इसके अंतर्गत चट्टानों में तनाव का गुण पाया जाता है इस कारण एक समय आता है जब चट्टानों टूट जाती है एवं इसी कारण भूकम्प आते हैं।

6) परमाणु विस्फोट 

7) भ्रंश एवं वलय

भूकंपीय तरंगें 

P-तरंगें (Primary Waves) - इन्हें प्राथमिक तरंगें, अनुदे संपीड़न तरंगें तथा अनुलम्ब तरंगें भी कहते हैं। 

इनमें अणुओं का कम्पन तरंगों की दिशा में आगे-पीछे की ओर होती है, तो वहीं ये ठोस, तरल, गैसीय माध्यमों से होकर गुजर सकती है।

 ये सर्वाधिक तीव्र गति से चलने वाली तरंगे है तथा इनकी औसत गति 8 किमी. / सेकण्ड होती है।

S-तरंगे (Secondary Waves) -इन्हें अनुप्रस्थ / गौण तरंगें भी कहते हैं।

 इनकी गति जल अथवा प्रकाश तरंगों के समान होती है, जिनमें कणों की गति लहर की दिशा के समकोण पर होती है, तो वहीं ये तरंगें तरल भाग में प्रायः लुप्त हो जाती हैं। 

इनकी औसत गति 4 किमी./सैकण्ड होती है। ये केवल ठोस भाग से ही होकर गुजर सकती है। S तरंगों से पृथ्वी के आंतरिक भाग के तक पहुँचने का मार्ग अवतल होता है तथा इन तरंगों को 'शरीर तरंगें' भी कहते हैं।

L-तरंगें (Long or Surface Waves) - इनकी खोज एच. डी. लव ने की थी, अतः इन्हें लव तरंगें या रेले तरंगें भी कहते हैं।

ये तरंगें लम्बी अवधि वाले भार पर ही होती है। अतः इन्हें धरातलीय तरंगें भी कहा जाता है, तो वहीं इनका भ्रमण पथ उत्तल होता है तथा ये तरंगें जल से भी होकर गुजर सकती है। अधिक गहराई पर ये लुप्त हो जाती है।

इनके कम्पन की गति सर्वाधिक होता है तथा ये सर्वाधिक विनाशकारी होती है। इनकी गति 1.5 से 3 किमी./सैकण्ड होती है।

Note - 1909 में क्रोएशिया की गुफा गाड़ी में आए भूकंप के निरीक्षण से दो अन्य कारणों का पता लगाया गया जिन्हें pg तथा sg तरंगे कहा गया।

भूकंप पेटियाँ

1. परि प्रशांत पेटी यह विश्व की सबसे विस्तृत भूकंप पेटी है तथा समस्त विश्व का दो तिहाई भूकंप इसी पेटी में आता है। यह विश्व का सबसे विस्तृत क्षेत्र है, जहाँ पर समस्त ग्लोब के 63% भूकंप आते हैं। यह पेटी दो प्लेटों के अभिसरण सीमांत पर स्थित है। यह नवीन मोड़दार पर्वतों एवं ज्वालामुखी का क्षेत्र है, जिसके कारण यहां भूकंप अधिक आते हैं। यह पेटी दक्षिण प्रशांत में न्यूजीलैण्ड से शुरू होकर इंडोनेशिया द्वीप, फिलीपींस, ताईवान, चीन के तटीय क्षेत्र, जापानी द्वीप समूह, क्यूराइल, कमचटका प्रायद्वीप, एल्यूशियन द्वीप, संयुक्त राज्य अमेरिका के अलास्का तथा पश्चिमी तटीय भाग से गुजरती हुई दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट के किनारे तक विस्तृत है।

2. मध्य महाद्वीपीय पेटी यह पेटी भू-मध्य सागर से लेकर पूर्वी द्वीप समूह तक फैली हुई हैं। जिसके अंदर पिरेनीज, आल्पस, काकेशस और हिमालय, म्यांमार की पहाड़ियाँ और पूर्वी समूह की श्रेणियाँ आती हैं। विश्व के 21 प्रतिशत भूकंप इसी भाग में आते हैं। भारत का भूकंप क्षेत्र इसी पेटी में सम्मिलित है। यह पेटी पश्चिम में केपवर्डे द्वीप से प्रारम्भ होकर पुर्तगाल, भूमध्यसागर, आल्पस, एशिया माइनर, ईरान, हिमालय के सहारे होती हुई वर्मा के दक्षिण की ओर मुड़ जाती है तथा पू. द्वीप समूह के पास प्रशांत महासागरीय पेटी से मिल जाती है।

3. मध्य अटलांटिक पेटी-यह पेटी मध्य अटलांटिक कटक के सहारे उत्तर में स्पिट बर्जेन, आइसलँड से लेकर दक्षिण में बोवेट द्वीप तक फैली हुई है। यहाँ पर भूकंप मुख्य रूप से प्लेटों के अपसरण के कारण रूपांतर भ्रंश के निर्माण एवं दरारी ज्वालामुखी उद्गार के कारण आते हैं। 

4. अन्य क्षेत्र-जैसे पूर्वी अफ्रीका का दरार घाटी क्षेत्र, जहां मुख्यतः भ्रंश मूलक भूकंप आते हैं।

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