". दिल्ली सल्तनत ~ Rajasthan Preparation

दिल्ली सल्तनत


दिल्ली सल्तनत (1206-1526)

1130-45 तक इस क्षेत्र पर तौमर शासक अनंगपाल का शासन था।

बारहवीं सदी के मध्य में तोमरों को अजमेर के चौहानों (जिन्हें चाहमान नाम से भी जाना जाता है) ने परास्त किया । तोमरों और चौहानों के राज्यकाल में ही दिल्ली वाणिज्य का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। इस शहर में बहुत सारे समृद्धिशाली जैन व्यापारी रहते थे जिन्होंने अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया। यहाँ देहलीवाल कहे जाने वाले सिक्के भी ढाले जाते थे जो काफ़ी प्रचलन में थे।

तेरहवीं सदी के आरंभ में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई
शासन की भाषा फारसी थी।

गुलाम वंश (1206 - 1290ई)

इसे मामलुक वंश भी कहा जाता है।

कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210ई)

  • 1192 मे मोहम्मद गौरी ने अपने भारतीय साम्राज्य का प्रभार इसे दिया, 1206 मे गौरी की मृत्यु के बाद  कुतुबुद्दीन ऐबक ने गुलाम वंश की स्थापना की यह मोहम्मद गौरी का गुलाम था।
  • गुलामो को फारसी मे बंदगा कहा जाता था।
  • उपनाम- हातिम, कुरानखान, लाखबक्स
  • इसने अपनी राजधानी लाहौर को बनाया।
  • इसने दिल्ली मे कुँवत-उल-इस्लाम मज्जिद का निर्माण करवाया यह भारत की प्रथम मस्जिद मानी जाती है, इसपर अलाउद्दीन खिलजी ने अलाई दरवाजा लगवाया।
  • इसने कुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया यह मीनार इसके गुरू सूफी संत ख्वाजा बख्तियार की स्मृति में बनाई गई, इसे इल्तुतमिश ने पूर्ण करवाया, फिरोजशाह तुगलक ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
  • इसके सेनापति बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को जला दिया था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर मे संस्कृत पाठशाला के स्थान पर अढाई दिन के झोपड़े का निर्माण करवाया।
  • चौगान (पोलो) खेलते समय घोडे से गिरने के कारण 1210 मे इसकी मृत्यु हो गई।
  • इसका मकबरा लाहौर मे स्थित है।
  • फखर उल बद्दवर एवं हसन निजामी इसके प्रमुख दरबारी रचनाकार थे।
  • हसन निजामी ने ताज-उल-मसिर की रचना की, यह दिल्ली सल्तनत पर लिखि गई पहली किताब है।
  • इसके बाद इसका पुत्र आरामशाह शासक बना।

इल्तुतमिश (1211-1236ई)

  • इल्तुतमिश कुतुबुद्दीन ऐबक का गुलाम था इसलिए इसे गुलामों का गुलाम भी कहा जाता है, यह बदायूं (उत्तर प्रदेश) का सुबेदार था।
  • यह इलबरी तुर्क था इसलिए इसके काल से इस वंश को इल्बरी बंश भी कहा जाता है।
  • यह आरामशाह को मारकर दिल्ली का शासक बना।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी पुत्री का विवाह इल्तुतमिश के साथ किया था।
  • इल्तुतमिश ने लाहौर से अपनी राजधानी दिल्ली स्थानांतरित की इसलिए इसे दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है।
  • यह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था जिसने सुल्तान की उपाधि धारण की।
  • यह पहला तुर्क सुल्तान था जिसने शुद्ध अरबी सिक्के चलाए, इसने चांदी का टका एवं जीतल (तांबे) के सिक्के चलाए।
  • अपने दरबार में 40 गुलामों का एक समूह बनाया था जिसे तुर्कान- ए- चहलगानी या खास ए बंदगान कहा जाता है।
  • ताजुद्दीन यालदौज एवं नासिरूद्दीन कुबाचा मोहम्मद गौरी के अन्य गुलाम थे एवं यह इल्तुतमिश के प्रतिद्वंदी थे।
तराइन का तृतीय युद्ध - 1215ई
  • यह युद्ध गजनी के सूबेदार ताजुद्दीन याल्दौज व इल्तुतमिश के मध्य हुआ इसमें याल्दौज पराजित हुआ इल्तुतमिश ने ख्वारिज्म शाह को गजनी का सूबेदार नियुक्त किया।
  • 1217 मे इसने मंसुरा नामक स्थान पर कुबाचा को पराजित किया।
  • इसने अपने पुत्र की स्मृति में सुल्तान गढ़ी का मदरसा या मदरसा ए नसिरी का निर्माण करवाया यह तुर्को द्वारा भारत में निर्मित प्रथम मकबरा है।
  • 1226 मे इसने रणथंभौर पर अधिकार किया।
  • 1227 मे इसने मंडोर पर अधिकार किया।
  • 1227 मे मेवाड शासक जैत्रसिंह ने भुताला के युद्ध में इसे पराजित किया।
  • 1231 मे ग्वालियर के शासक मंगलदेव को पराजित कर ग्वालियर दुर्ग जीता।
  • ख्वारिज्म शाह के पुत्र जलालुद्दीन मंगबर्नी एवं मंगोल आक्रांता चंगेज खाँ की पुत्री के मध्य प्रेम प्रसंग के कारण मंगबर्नी मंगोलो से बचाव हेतु सिंध की ओर आया किंतु इल्तुतमिश ने उसकी सहायता नही की इस प्रकार इल्तुतमिश ने भारत को मंगोलो के आक्रमण से बचा लिया।
  • इसने इक्ता व्यवस्था का प्रचलन किया, 
  • इसने कुतुबमीनार का निर्माण पुर्ण करवाया।
  • मिन्हाज उल सिराज इसका दरबारी था।
  • 30 अप्रैल 1236 को दिल्ली में इसकी मृत्यु हो गई, इसका मकबरा दिल्ली मे स्थित है।
  • लाल वस्त्र पहनकर न्याय की व्यवस्था शुरू की थी।
  • इसके बाद कुछ समय के लिए रूक्नूद्दीन फिरोजशाह शासक बना।

रज़िया सुल्ताना (1236-1240ई)

  • यह इल्तुतमिश की पुत्री थी।
  • यह भारतीय इतिहास की प्रथम मुस्लिम महिला शासिका बनी।
  • इसके सलाहकार याकुत से इसे प्रेम हो गया इससे नाराज होकर भटिंडा के गर्वनर अल्तुनिया ने विद्रोह कर दिया।
  • यह भटिंडा के गवर्नर अल्तुनिया से युद्ध मे पराजित हुई, याकुत मारा गया एवं इसे बंदी बना लिया गया इसलिए इसने अल्तुनिया से विवाह कर दिया, इस बीच रजिया के भाई बेहराम शाह दिल्ली का शासक बन गया।
  • बाद मे अल्तुनिया ने बेहराम शाह से युद्ध किया किंतु पराजित हुआ, एवं भागना पडा, रजिया सुल्ताना व अल्तुनिया को कैथल  (हरियाणा) मे डाकूओ ने मार दिया।

बहराम शाह (1240-42)

इसके काल मे मंगोल पहली बार भारत आते है।
यह नायब ए मुमलकत नामक पद का सृजन करता है, यह प्रतिशासक का पद था जो राजा की अनुपस्थिति मे शासन कर सके।

इसके बाद मसूद शाह शासक बना
इसे हटाकर बलबन ने नसीरुद्दीन महमूद को शासक बनाया, बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरूद्दीन से किया था।

नासिरूद्दीन महमुद (1245-1266)

इसके शासनकाल मे बलबन नायब ए मुमल्लिक के पद पर रहता है, किंतु 1253-54 मे एक वर्ष के लिए नागौर का इक्तेदार इमाद्दीन रेहान नायब बनता है किंतु बाद मे फिर से बलबन को बना दिया जाता है। 
यह शांत शासक था इसलिए इसे दरवेश शासक भी कहा जाता है।

बलबन (1265-1287ई)

  • मूल नाम - बहाउद्दीन
  • उपाधि - उलुंग खां, जिल्ले इलाही
  • बलबन इल्तुतमिश के 40 गुलामों के समूह का सदस्य था।
  • इसने सजदा व पाबोस शुरू किया।
  • इन्होने भारत मे फारसी त्यौहार नवरोज की शुरुआत की।
  • इसने दरबार मे 40 गुलाम रखने की प्रथा को समाप्त किया।
  • इसने लोह रक्त शुद्धि नीति का प्रयोग किया।
  • इसने सैन्य विभाग की स्थापना की जिसे दीवान-ए-अर्ज कहा जाता था।
  • इसने गुप्तचर विभाग की स्थापना की जिसे दीवान-ए-बरीद कहा जाता था।
  • इसके बाद इसका पौत्र कैकुवाद शासक बना जिसने दिल्ली में  किलूखरी महल का निर्माण करवाया।
  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने कैकूवाद व इसके पुत्र क्युमर्स की हत्या कर दी।

खिलजी वंश (1290-1320ई)

जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290 -96)

  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की।
  • जलालुद्दीन फिरोज खिलजी कैकुवाद के दरबार मे नायाब-ए-मुमालिक के पद पर नियुक्त था।
  • यह शांतिप्रिय शासक था।
  • इसे दिल्ली सल्तनत का सबसे वृद्ध शासक माना जाता है क्योंकी यह लगभग 70 वर्ष की आयु में शासक बना था।
  • इसने मंगोलो को पराजित किया।
  • इन्होने किलुखरी को अपनी राजधानी बनाया।
  • इसने अपने भतीजे अलाउद्दीन खिलजी को कारा का सूबेदार बनाकर अपनी पुत्री की शादी इससे कर दी।

झाईन का युद्ध 

  • जलालुद्दीन खिलजी ने रणथंभौर शासक हम्मीर देव चौहान पर आक्रमण कर दिया किंतु दुर्ग पर विजय प्राप्त करने मे असफल रहा। इस कारण इसने कहा कि मैं मुसलमान के एक बाल की कीमत ऐसे 100 दुर्गो से अधिक समझता हूं।

देवगिरी आक्रमण

  • जलाउद्दीन खिलजी के काल मे अलाउद्दीन खिलजी ने देवगिरि (महाराष्ट्र) के शासक रामचंद्र पर आक्रमण करने भेजा इसमें देवगिरि यादव शासक रामचंद्र की पराजय हुई, यहा से इसे बहुत धन प्राप्त हुआ जिसके बाद इसने धोखे से जलालुद्दीन की हत्या कर दी, यह उत्तर भारत के शासकों का दक्षिण भारत पर पहला आक्रमण था।
  • 1296ई मे अलाउद्दीन खिलजी ने जलालुद्दीन खिलजी को मार दिया।

अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316)

  • बचपन का नाम- अली गुर्शास्प
  • उपाधि- खलीफा का नायाब, सिकंदर-ए-सादी
  • यह दिल्ली सल्तनत का सबसे शक्तिशाली शासक था।
  • दक्षिण भारत पर आक्रमण करने वाला यह पहला सुल्तान था।
  • इसने राजनीति को धर्म से अलग किया एवं उलेमा की शक्ति को कम किया एवं शासन की सारी शक्तियां अपने पास रखी।
  • यह पहला सुल्तान था जिसने स्थायी सेना रखना प्रारंभ किया, एवं इन्हे नकद वेतन दिया।
  • इसके शासनकाल में मंगोलों ने सर्वाधिक बार आक्रमण किया।

इसके प्रमुख सेनापति

  • मलिक काफुर - इसने दक्षिण भारत अभियान किए।
  • जफर खाँ- मंगोलों के विरुद्ध अभियान किए।
  • नुसरत खाँ, उलुंग खाँ - इसमे उत्तर-पश्चिमी अभियान किए।

अलाउद्दीन खिलजी के प्रमुख अभियान

गुजरात अभियान

  • अलाउद्दीन खिलजी ने 1299 मे अपने सेनापति नुसरत खाँ व उलुंग खाँ को गुजरात के अन्हिलवाडा के शासक कर्ण (बघेल वंश) पर आक्रमण करने भेजा, कर्ण पराजित हुआ व देवगढ़ चला गया, इसकी पत्नी कमला देवी से अलाउद्दीन खिलजी ने विवाह कर लिया, एवं इन्हे मुख्य बेगम बना दिया।
  • गुजरात अभियान के दौरान इसने मलिक कफूर नामक हिजडे व्यक्ति को 1000 मे खरीद लिया।

रणथंभौर अभियान

  • अलाउद्दीन खिलजी ने 1301 मे अपने सेनापति नुसरत खाँ व उलुंग खाँ को हम्मीर देव चौहान पर आक्रमण करने भेजा जिसमें हम्मीर देव पराजित हुए किंतु नुसरत खाँ मारा गया।
  • हम्मीर देव की पत्नी रंग देवी ने अग्नि जोहर किया व उसकी पुत्री देवल दे ने जल जोहर किया यह राजस्थान का प्रथम साका माना जाता है।

चित्तौड़ अभियान

  • अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 इसी में चित्तौड़ के शासक रावल रतन सिंह पर आक्रमण किया 
  • मलिक मोहम्मद जायसी के पद्मावत ग्रंथ के अनुसार राघव चेतन जिसको रावल रतन सिंह ने अपने दरबार से निकाल दिया था इस आक्रमण के लिए राघव चेतन ने अलाउद्दीन खिलजी को पद्मिनी के सोंदर्य का वर्णन करके प्रोत्साहित किया।
  • इस आक्रमण में अलाउद्दीन खिलजी ने रावल रतन सिंह को बंदी बना लिया किंतु रावल रतन सिंह के सेनापति गोरा और बादल ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए रतन सिंह को आजाद करवाया किंतु बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने युद्ध में रावल रतन सिंह को मार दिया।
  • इसके बाद रानी पद्मिनी ने 16000 विरांगनाओ के साथ जोहर किया यह चित्तौड़ का प्रथम साका माना जाता है।
  • बाद में खिलजी ने यह दुर्ग अपने पुत्र खिज्र खाँ को सौंप दिया व उसका का नाम खिज्राबाद रख दिया खिज्र खां अलाउद्दीन खिलजी व कमला देवी का पुत्र था।
  • इस युद्ध मे अमीर खुसरो अलाउद्दीन खिलजी के साथ था उसने युद्ध का वर्णन खजाइन-उल-फतुह नामक ग्रंथ में किया।

वारंगल अभियान

  • 1303 में अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक काफुर को वारंगल अभियान के तहत रूद्र प्रताप सिंह के विरुद्ध भेजा किंतु मलिक काफुर पराजित हुआ।
  • 1308 में अलाउद्दीन खिलजी ने मलिक काफूर को फिर से इसी अभियान पर भेजा जिसमें मलिक काफूर ने प्रताप रूद्र देव को बंदी बना लिया।
  • इस अभियान से अलाउद्दीन खिलजी को कोहिनूर हीरा प्राप्त हुआ।
  • मलिक काफुर ने द्वारसमुद्र के शासक वीर बल्लाला को जीतने का प्रयास किया किंतु असफल रहा।
  • इसने मदुरई के पांड्य शासक वीर पांड्य को भी पराजित किया।
  • इसने नवीन बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की व अकाल के दौरान अनाज वितरण करने वाला यह पहला शासक था।
  • इसने खाद्य बाजार, कपडा बाजार, मवेशी बाजार एवं विविध बाजारो की स्थापना की, एवं प्रत्येक बाजार को एक अलग शान ए मंडी एवं इसके सहायक बरीद के नियंत्रण मे रखा।
  • इसपे प्रत्येक व्यापरी को दिवान ए रियासत विभाग मे आवेदन करना अनिवार्य कर दिया।
  • इसने सैनिको हेतु सीरी नामक नगर बसाया, जो बाद मे इसकी राजधानी भी बना, एवं इसी शहर मे एक टेंक बनाया जिसे हौज खास कहा जाता है।
  • इसने दिल्ली में सीरी फोर्ट, अलाई दरवाजा का निर्माण करवाया।
  • इसने जमायत खाना मज्जिद का निर्माण करवाया।
  • इसने 1000 खंभो का महल बनवाया।
  • यह पहला सुल्तान था जिसने भुमि का मापन करवाया।
  • खराज - इसके द्वारा कृषि पर लगने वाले खराज कर को 50% कर दिया गया।
  • यह जनता से घरी व चरी कर वसूलने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था घरी कर आवास पर लगाया जाता था व चरी कर दुधारू पशुओ पर लगाया जाता था।
  • खुम्स - लुट के माल को भी तीन चौथाई लगान के रूप में जमा करवाया।
  • इसने शादी या कोई त्यौहार मनाने से पूर्व सुल्तान की अनुमति लाना अनिवार्य कर दिया।
  • इसने मादक पदार्थों पर प्रतिबंध लगा लिया।
  • इसने इक्ता प्रणाली को समाप्त कर दिया।
  • इसने घोडा दागने की व्यवस्था शुरू की।
  • मलिक शाह की दरगाह- जालौर 

    निर्माण- अलाउद्दीन खिलजी 

  • तोपखाना मज्जिद- जालौर 

परमार शासक भाज ने यहा पर सरस्वती कंठाभरण्य पाठशाला बनवाई थी, किंतु अलाउद्दीन खिलजी ने इसे तुडवाकर तोपखाना मज्जिद बनवाई।
  • 2 जनवरी 1316 में जलोदर नामक रोग से अलाउद्दीन की मृत्यु हो गई।
  • महरौली (दिल्ली) में इसका मकबरा बना हुआ है।
  • इसकी मृत्यु के बाद मलिक काफुर ने इसके 6 साल के पुत्र शाहबुद्दीन ऊमर को शासक बनाया किंतु मुबारक शाह ने उसे हटा दिया।

मुबारक शाह खिलजी (1316 से 1320)

  • इसने स्वयं को खलीफा घोषित किया ऐसा करने वाला यह दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था।
  • खुशरव शाह, मुबारक शाह खिलजी का वजीर था 1320 में खुशरव शाह ने इसकी हत्या करके स्वयं को सुल्तान घोषित कर दिया नासिरूद्दीन खुसरो शाह के नाम से सुल्तान बनने वाला यह प्रथम भारतीय मुसलमान था, गाजी मलिक जो पंजाब का सुबेदार था ने इसकी हत्या कर दी।

तुगलक वंश (1320-1414ई)

सर्वाधिक कार्यकाल तक दिल्ली पर शासन करने वाला वंश

गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325ई)

  •  गाजी की उपाधि धारण की।
  • गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद शहर बसाया व उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • 1323 मे इसने अपने पुत्र जौना खाँ को वारंगल अभियान पर भेजा, इसने काकतिय नरेश को पराजित कर वारंगल को दिल्ली सल्तनत मे मिला लिया।
  • किसानों के प्रति उदारवादी नीति अपनाने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था, इसने किसानो से 1/11 हिस्सा ही लगान वसूल किया।
  • इसने कुए एवं नहरो का निर्माण करवाया, नहर निर्माण करने वाला यह प्रथम सुल्तान था।
  • निजामुद्दीन औलिया ने इसे कहा था की 'हुजुर दिल्ली दुरूस्त'
  • अफगानपुर मे अहमद अय्याज ने जौना खाँ के निर्देश पर लकडी के महल का निर्माण करवाया, गयासुद्दीन तुगलक के बंगाल अभियान से लौटते वक्त इस महल मे प्रवेश करते ही महल गिर गया एवं इसमे दबकर इसकी मृत्यु हो गई।
  • इस का मकबरा तुगलकाबाद में बना हुआ है।

मोहम्मद बिन तुगलक (1325-1351)

  • मूल नाम - जौना खाँ (गयासुद्दीन तुगलक का पुत्र)
  • यह सर्वाधिक विद्वान शासक था।
  • उपनाम - रक्त का प्यासा, अंतर्विरोधों का विस्मयकारी मिश्रण, पागल बादशाह, पढा लिखा मूर्ख
  • सूफी संत निजामुद्दीन औलिया इसके आध्यात्मिक गुरु थे।
  • इसने सर्वप्रथम सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन किया।
इसके शासनकाल में दो जैन मुनि इसके दरबार में आए।
  1. राजशेखर 
  2. जिनप्रभ सूरी
  • हिंदू त्योहारों को आनंद से मनाने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था।
  • पहला मुस्लिम शासक जिसने भारतीय हिंदू और मुसलमानों को सरकारी पदों पर नियुक्त किया।
  • इसे अकबर का पूर्वगामी भी कहा जाता है। इसे अभागा आदर्शवादी शासक भी कहा जाता है।
  • इसने दिवान ए अमीर कोही (कृषि विभाग) की स्थापना की।
  • इसने किसानों को ताकावी ऋण दिया।
  • यह सिंचाई कर लगाता है।
  • इसी के शासनकाल में मोरक्को (अफ्रीका) निवासी इब्नबतूता भारत आया, एवं यह 8 साल तक इसके दरबार मे काजी के पद पर रहा था, इब्नबतूता ने रेहला ग्रंथ की रचना की।
  • इसने दोआब क्षेत्र मे कर वृद्धि की किंतु उसी वर्ष अकाल के कारण उस क्षेत्र में विद्रोह हो गया।
  • 1327 मे इसने अपनी राजधानी देवगिरी को बनाकर उसका नाम दौलताबाद कर दिया, एवं देहली ए कुहना शहर के लोगो को यहा ले आया, 2 वर्षो बाद फिर से दिल्ली चला गया।
  • बेगमपुरी मज्जिद - इसपे जहाँपनाह नामक शहर मे इस मज्जिद का निर्माण करवाया।
  •  खुरासान अभियान हेतु इसने सैनिकों को एक वर्ष पूर्व ही वेतन दे दिया किंतु बाद मे दोनो देशो मे समझौता हो गया।
  • काराचिल अभियान हेतु इसने सेना भेजी किंतु सेना पहाडी क्षेत्रो मे जलवायु परिवर्तन का शिकार हो गई।
  • इसी के शासनकाल में 1336 में विजय नगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की। यह प्रथम हिंदू साम्राज्य माना जाता है।
  • इसी के शासनकाल में 1347 मे हसन गंगू ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की।
  • इसने निम्न खानदान के लोगो को उच्च पद पर बिठाया।
  • बदायुँनी ने इसकी मृत्यु के संदर्भ मे कहा की सुल्तान को प्रजा से एवं प्रजा को सुल्तान से मुक्ति मिल गई।

फिरोजशाह तुगलक (1351-1388)

  • इलियट व एलफिन्सटन ने इसे सल्तनतकालीन अकबर कहां है।
  • इसने सरकारी पदो को वंशानुगत कर दिया।
  • इसने दासो के निर्यात पर रोक लगाई, दासो के लिए दिवान ए बंदगान विभाग की स्थापना की, इसके समय 1,80,000 दास थे, जिनका प्रयोग यह कारखाने मे करता था।
  • दो सिक्के चलाए - आधा एवं बीख
  • इसने तास-ए-घड़ियाल नामक एक जल घड़ी का निर्माण करवाया।
  • इसने मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा दिए गए सोंधर ॠण को माफ कर दिया।
  • दार उल सफा नाम से दवाखाने की स्थापना की।
  • दान देने हेतु दीवान ए खैरात विभाग की स्थापना की।
  • इसने खलिफा की शरियत मे वर्णित चार कर के अलावा अन्य सभी को समाप्त कर दिया।
  • चार कर निम्न है।
  • खराज (लगान)
  • खुम्स (युद्ध से लूट)
  • जजिया (गैर मुस्लिमो से लिया जाने वाला)
  • जकात (समपन्न वर्ग से अढाई प्रतिशत दान)
  • इसने नहरो का जाल बिछाया एवं नहर-ए-साहिब का निर्माण करवाया
  • इसने निशुल्क चिकित्सालय प्रारंभ करवाएं।
  • ग्रंथों के अनुवाद हेतु इसने अनुवाद विभाग की स्थापना की।
  • अशोक के दो स्तंभ लेख टोपरा (हरियाणा) व मेरठ (उत्तर प्रदेश) को दिल्ली लाकर गढवाया।
  • इसने जगन्नाथ पुरी मंदिर (उड़ीसा) को तुड़वाया।
  • ज्वालामुखी मंदिर से यह 1300 संस्कृत ग्रंथ ले जाता है एवं इन्हे अरिजुद्दीन खान से फारसी मे दलील ए फिरोजशाही के नाम से अनुवाद करवाता है। 
  • यह इक्ता प्रणाली को पुनः प्रारंभ करता है एवं इसे अनुवांशिक बनाता है।
  • इसने कुतुबमीनार एवं होज खास का जीर्णोद्धार करवाया।
  • फुतुह ए फिरोजशाही इसकी आत्मकथा थी।
इसने निम्न शहरो की स्थापना की 

फिरोजाबाद
जौनपुर 
हिसार
फतेहाबाद 
फिरोजपुर

नासीरूद्दीन महमूद तुगलक इस वंश का अंतिम सुल्तान था इसके शासनकाल मे तैमुर लंग ने आक्रमण किया, एवं खिज्र खाँ को यहाँ का शासक बना दिया।

सैयद वंश (1414-1451ई)

  • इस वंश के शासक अपने आप को पैगंबर का वंशज मानते थे इसलिए यह भारत का एकमात्र यह सा वंशज था जो मुस्लिम धर्म "सिया" का अनुयाई था।

खिज्र खां (1414-1421)

  • खिज्र खां ने सैयद वंश की स्थापना की।
  • यह तैमूर लंग का सहयोगी था तैमूर लंग ने वापस लौटते वक्त अपने भारत में जीते हुए मुल्तान, लाहौर व दीपालपुर क्षेत्र का सुबेदार खिज्र खां को बनाया।
  • इसने सुल्तान की उपाधि धारण नही की, इसने रैयत ए आला की उपाधि धारण की।
  • इस समय खुत्बा तैमुर के नाम से पढा जाता था बाद मे तैमुर का उत्तराधिकार शाहरूख होने के बाद शाहरूख के नाम से खुत्बा पढा जाने लगा।

मुबारक शाह(1421-1434)

  • इसने यमुना नदी के किनारे मुबारकबाद नगर की स्थापना की।
  • याहिया बिन सरहिंदी ने तारीख ए मुबारकशाही ग्रंथ की रचना की।
  • खोखर जाति के जसरत ने विद्रोह कर दिया जिसका यह दमन नही कर सका।
  • सरवर उल मुल्क इसका वज़ीर था इसने मुबारकशाह के विद्रोही लोगो का समुह बनाया व इस समुह के हिन्दु सदस्यों का मुखिया सिद्दपाल था इसने मुबारक शाह को मार दिया।

मोहम्मद शाह (1434-1445)

  • यह मुबारक शाह के भाई फरीद का पुत्र था।
  • इसके शासनकाल में अफगान सरदार बहलोल लोदी भारत आया था।
  • बहलोल लोदी के सहयोग से इसने मालवा के शासक को पराजित किया।
  • इसने बहलोल लोदी को खान ए खाना की उपाधि प्रदान की।
आलम शाह 

इस वंश का अंतिम शासक अलाउद्दीन आलम शाह था
इसके वजीर हमीद खाँ से मतभेद के कारण इसने दिल्ली छोड दिया।
हमीद खाँ ने सिंहासन बहलोल लोदी को दे दिया।

लोदी वंश (1451-1526ई)

बहलोल लोदी (1451-1489)

  • यह प्रथम अफगान शासक था जिसने भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
  • दिल्ली सल्तनत के समस्त शासको में सर्वाधिक लंबा कार्यकाल इसी का था।
  • जौनपुर के शासक हुसैन शाह को पराजित कर उसे दिल्ली सल्तनत मे मिला लिया।
  • इसके काल मे अहमद यादगार ने तारीख ए सल्तने अफगाना ग्रंथ की रचना की।
  • ग्वालियर अभियान से लौटते वक्त लु लगने से इसकी मृत्यु हो गई।

सिकंदर लोदी (1489-1517)

  • मल नाम - निजाम खाँ 
  • यह गुलरूखी नाम से फारसी भाषा मे कविताएँ लिखता था।
  • संगीत की पुस्तक लज्जत ए सिकंदरी की रचना इसी के काल मे हुई।
  • इसने भुमि को मापने के लिए गज ए सिकन्दरी पैमाना चलाया।
  • इसने बोधन नामक ब्राह्मण को इसलिए फांसी दे दी क्योंकि उसने कहा की हिंदु एवं मुस्लिम दोनो धर्म बराबर पवित्र है।
  • इसने यमुना नदी के किनारे 1504 मे आगरा नगर की स्थापना की व 1506 में इसे अपनी राजधानी बनाया।
  • सिकंदराबाद शहर बसाया।
  • इसने यमुना के किनारे बादलगढ़ दुर्ग का निर्माण करवया जो बाद में आगरा के लाल किले के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
  • ज्वालामुखी मंदिर की मुर्ति को तुडवा दिया।
  • इसने ताजिया पर प्रतिबंध लगाया।
  • इसने महिलाओं के सुफी संतो की मजारो पर जाने पर प्रतिबंध लगा लिया।
  • इसे शहनाई सुनना पसंद था।
  • गले मे बीमारी के कारण इसकी मृत्यु हो गई।

इब्राहिम लोदी (1517-1526)

  • लोदी वंश एवं दिल्ली सल्तनत का अंतिम शासक था।
  • जमाली कमाली मज्जिद का निर्माण इसके शासनकाल मे हुआ।
  • दौलत खाँ लोदी ने इससे बदला लेने हेतु बाबर को आमंत्रित किया क्योंकि इसने दौलत खाँ के पुत्र दिलावर खाँ के साथ बेरहमी दिखाई थी।
खातोली का युद्ध- 1517
  • इसमे मेवाड़ के महाराणा सांगा(संग्राम सिंह) ने सुल्तान इब्राहीम लोदी को हराया। 

पानीपत का प्रथम युद्ध -1526

  • इस युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोदी को मार दिया व इसी के साथ भारत में मुगल वंश की स्थापना हुई।
  • इब्राहिम लोदी युद्ध के दौरान मारा जाने वाला दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था।

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