". राजस्थान के दुर्ग (Forts of rajasthan) ~ Rajasthan Preparation

राजस्थान के दुर्ग (Forts of rajasthan)


राजस्थान के दुर्ग (Forts of rajasthan)

  • सर्वप्रथम मनुस्मृति ग्रंथ में राजस्थान के दुर्गों का 6भागो मे वर्गीकरण किया गया।
  • कौटिल्य ने दुर्गों को चार भागों में वर्गीकृत किया।

शुक्र नीति के अनुसार दुर्गों को 9 भागों में वर्गीकृत किया गया है।

  1. एरण दुर्ग - ऐसा दुर्ग जिस तक पहुंचने का रास्ता दुर्गम हो।
  2. गिरी दुर्ग - पहाड़ी पर निर्मित दुर्ग।
  3. वन दुर्ग - जंगलों से घिरा हुआ दुर्ग।
  4. धान्वय दुर्ग - समतल भूमि पर निर्मित दुर्ग।
  5. जल दुर्ग - चारों और पानी से घिरा हुआ दुर्ग।
  6. पारिख दुर्ग - जिस दुर्ग के चारों तरफ गहरी खाई हो।
  7. पारिध दुर्ग - जिस दुर्ग के चारों तरफ परकोटा बना हुआ हो।
  8. सैन्य दुर्ग - ऐसा दुर्ग जहां सैनिक निवास करते हो शुक्र नीति के अनुसार सैन्य दुर्ग सबसे सर्वश्रेष्ठ दूर्ग है।
  9. सहाय दुर्ग - ऐसा दुर्ग जहां सैनिक एवं आमजन निवास करते हो।
महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश के बाद सर्वाधिक दुर्ग राजस्थान में है।(लगभग - 250)
वीर विनोद के रचनाकार श्यामलदास के अनुसार मेवाड कुल 84 दुर्गों में से 32 कुंभा द्वारा बनवाए गए।
महाराणा कुंभा को स्थापत्य कला का जनक माना जाता है।

कुंभा के शासनकाल के सबसे बड़े शिल्पी मंडन ने स्थापत्य कला से संबंधित निम्न पुस्तकें लिखी।
1) प्रासाद मंडन - देवालय निर्माण से संबंधित
2) रूप मंडन - मूर्ति निर्माण की आवश्यक वस्तुएँ
3) रूपावतार - मूर्ति निर्माण के विषय
4) ग्रहमंडन - साधारण व्यक्ति के लिए महल, कुआँ, बावडी, घर आदी का निर्माण।
5) वास्तुसार मंडन - सभी बातो पर चर्चा 

21 जून 2013 को राजस्थान के 6 दुर्गों को यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
  1. गागरोन
  2. चित्तोडगढ़ 
  3. आमेर 
  4. कुंभलगढ़ 
  5. रणथंभौर 
  6. जैसलमेर

भटनेर दुर्ग- हनुमानगढ 

  • निर्माण- भूपत भाटी
  • वास्तुकार- कैकेया
  • इसे राजस्थान की उत्तरी सीमा का प्रहरी का जाता है।
  • यह दुर्ग घग्गर नदी के किनारे स्थित है।
  • यह दुर्ग दिल्ली मुल्तान मार्ग पर स्थित है।
  • यह राजस्थान का सबसे प्राचीनतम दुर्ग है।
  • राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी आक्रमण इसी दुर्ग पर हुए।
  • इस दुर्ग पर सर्वप्रथम विदेशी आक्रमण 1001 में महमूद गजनवी ने किया।
  • इस दुर्ग पर अंतिम विदेशी आक्रमण 1532 मे कामरान ने किया।
  • यह एकमात्र दुर्ग है जहां मुस्लिम महिलाओं ने जौहर किया, दुलचंद के शासनकाल में 1399 तैमूर लंग के आक्रमण के कारण यह जौहर हुआ।
  • यह मिट्टी से निर्मित दुर्ग है।
  • यहां पर गुरु गोरखनाथ का मंदिर है।
  • यहा गयासुद्दीन बलबन (1249-1286) के भाई शेर खान की कब्र स्थित है।

लोहागढ दुर्ग - भरतपुर 

  • निर्माण  - सुरजमल जाट, 1733
  • श्रेणी- पारिख
  • प्रवेश द्वार- लोहिया पोल
  • दुर्ग बनाने से पूर्व यहा पर कच्ची गढी थी जिसे विकासित कर लोहागढ दुर्ग का निर्माण किया गया।
  • इसे राजस्थान की पूर्वी सीमा का प्रहरी कहा जाता है।
  • इसे राजस्थान का अजय दुर्ग भी कहा जाता है।
  • यह भी मिट्टी से बना हुआ दुर्ग है।
  • यह राजस्थान का सबसे गहराई में बना हुआ दुर्ग है।
  • भरतपुर की मोती झील से सुजानगंगा नहर निकाली गई है जो लोहागढ़ में पेयजल की आपूर्ति करती है।
  • जवाहर सिंह ने 1765 में यहां अष्टधातु दरवाजा स्थापित किया।
  • इस दुर्ग की रक्षा हेतु लडे हुए दुर्जनसाल व माधवसिंह के लिए एक कहावत प्रसिद्ध है की 8 फिरंगी 9 गोरे, लड़े जाट के दो छोरे।

लौहागढ़ दुर्ग मे स्थित महल 

  • दादी माँ का महल
  • वजीर की कोठी
  • किशोरी माँ का महल
  • कोठी खास

लौहागढ़ दुर्ग मे स्थित मंदिर

  • लक्ष्मण मंदिर 
  • बिहारी जी का मंदिर 
  • जामा मज्जिद
  • गंगा मंदिर 
  • जवाहर सिंह ने इस दुर्ग में दिल्ली विजय के उपलक्ष में जवाहर बुर्ज का निर्माण करवाया इसमें भरतपुर के शासकों का राज्य अभिषेक होता था।
  • 1805-06 मे मराठा सरदार जसवंत राय होल्कर को शरण देने के कारण अंग्रेजी अधिकारी लॉर्ड लेक ने इस दुर्ग पर लोहे के गोले दागे, एवं 5 बार दुर्ग पर आक्रमण करने के बाद भी वह दुर्ग को जीत नही सका।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग- चित्तौड़गढ़ 

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Chittorgarh Fort
  • निर्माण- चित्रांगद मौर्य (8वी सदी)
  • उपनाम - किलो का सिरमौर, राजस्थान का गौरव, चित्रकुट, दक्षिण- पूर्वी प्रवेश द्वार, मालवा का प्रवेश द्वार, खिज्राबाद  
  • इसकी आकृति व्हेल मछली के समान है।
  • श्रेणी - इसे धान्वय को छोडकर अन्य सभी श्रेणियों में सम्मिलित किया जा सकता है।
  • यह दुर्ग मेसा के पठार (616मी ऊँचाई) पर चित्रकुट पहाडी पर स्थित है।
  • इसे राजस्थान की दक्षिणी सीमा का प्रहरी कहा जाता है।
  • यह राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग फाॅर्ट है।
  • यह गंभीरी व बेडच नदियो के संगम पर स्थित है।
  • कुल द्वार - 7
  • मुख्य द्वार- पाडनपोल
  • अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग को जीतकर इसका नाम खिज्राबाद रख दिया था।
  • इस दुर्ग का आधुनिक निर्माता राणा कुंभा को कहा जाता है
प्रवेश द्वार 
  • पाडनपोल पर रावत बाघसिंह का स्मारक बना हुआ है।
  • भैरवपोल पर कल्लाजी राठौड की 4 खम्भो की छतरी बनी हुई है।
  • हनुमान पोल
  • गणेश पोल
  • जोडला पोल
  • लक्ष्मण पोल
  • रामपोल पर फत्ता सिसोदिया का स्मारक बना हुआ है।
  • इस दुर्ग के लिए एक युक्ति प्रचलित है- गढ तो गढ चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढैया।

चित्तौडगढ़ दुर्ग केे प्रमुख स्थल

  • फतह प्रकाश महल
  • पद्मिनी महल
  • गौरा बादल महल
  • नवकोटा/कुंभामहल - इसी महल मे पन्नाधाय ने अपने पुत्र चन्दन की कुर्बानी दी।
  • आलाहिंगाडु महल
  • भामाशाह की हवेली
  • सलुम्बर की हवेली 
  • मोती महल
  • आँवला महल
  • टमकण महल
  • त्रिपोलिया दरवाजा

मीरा मंदिर

  • निर्माण- राणा सांगा
  • वर्तमान में इस मंदिर की मूर्ति आमेर के जगतशिरोमणि मंदिर मे स्थापित है।

तुलजा भवानी मंदिर

  • निर्माण- बनवीर
  • यह छत्रपति शिवाजी की आराध्य देवी है।

श्याम पार्श्वनाथ मंदिर 

कालिका माता मंदिर

  • यह चित्तौड़गढ़ दुर्ग का सुर्य मंदिर कहलाता है।

समिदेश्वर मंदिर 

  • उपनाम - मोकल मंदिर, त्रिभुवननारायण मंदिर 
  • निर्माण- भोज परमार
  • मोकल ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।

श्रंगार चंवरी

  • शांतिनाथ स्मारक
  • निर्माण- कुंभा के कोषाध्यक्ष वेलका द्वारा 
  • यह राणा कुंभा की पुत्री रमाबाई का विवाह स्थल है।

सतबीस देवरी मंदिर 

कुंभस्वामी मंदिर 

नवकोटा/नवलखा दुर्ग 

  • निर्माण- बनवीर
  • इसे चित्तौड़गढ़ दुर्ग का लघु दुर्ग कहा जाता है।

चित्तौडगढ़ के प्रमुख जलाशय

  • चित्रांग मोरी तालाब
  • घी तेल बावडी 
  • भीमलत कुण्ड
  • रत्नेशवर तालाब 
  • घोसुण्डी की बावडी
  • खातम की बावडी

विजय स्तम्भ

  • उपनाम - विजयस्तम्भ, जयस्तम्भ, विष्णुध्वज
  • निर्माण- महाराणा कुंभा (1440-48)
  • कुंभा ने मालवा विजय के उपलक्ष में इसका निर्माण करवाया।
  • वास्तुकार- जैता, नाथा, पौमा, पुंजा
  • कुल मंजिल - 9
  • कुल ऊंचाई  - 122 फीट
  • कुल सीढीया - 157
  • इसकी तीसरी मंजिल पर 9 बार अरबी भाषा मे अल्लाह शब्द लिखा हुआ है।
  • यह भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • शिल्पी - जैता, नापा, पुंजा।
  • 8वी मंजिल पर कोई प्रतीमा नही है।
  • नौवी मंजिल बिजली गिरने से क्षतिग्रस्त हो गई जिसे महाराणा स्वरूप सिंह ने फिर से बनवाया।
  • विजय स्तंभ को मूर्तियों का अजायबघर एवं भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष कहा जाता है।
  • यह राजस्थान का प्रथम स्मारक है जिस पर 15 अगस्त 1949 को ₹1 का डाक टिकट जारी किया गया।
  • यह राजस्थान पुलिस एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का प्रतीक चिन्ह है।

किर्ति स्तम्भ 

निर्माण- जैन जीजा बघेरवाल
आदिनाथ को समर्पित 
7 मंजिला
ऊँचाई- 75फीट
किर्ति स्तम्भ प्रशस्ति की रचना- अत्रि भट्ट, महेश भट्ट  

  • इस दुर्ग पर पहला विदेशी आक्रमण अफगान शासक मामू ने किया।
  • अबुल फजल ने इस दुर्ग के संबंध में कहा है कि गढ तो गढ चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढैया।

चित्तौड़गढ़ दुर्ग के तीन शाके

प्रथम शाका - 1303

  • आक्रमण- अलाउद्दीन खिलजी 
  • केसरिया- रावल रतनसिंह 
  • जौहर- पद्मिनी
  • चित्तौड़ में प्रतिवर्ष चैत्र मास में जौहर मेला लगता है।
  • दुसरा शाका - 1534
  • आक्रमण- गुजरात शासक बहादुर शाह
  • केसरिया- देवलिया (प्रतापगढ़) के सामंत रावत बाघसिंह 
  • जौहर - रानी कर्णावती
  • तीसरा शाका - फरवरी 1568
  • आक्रमण  - अकबर
  • केसरिया- फत्ता सिसोदिया 
  • जौहर - फूल कंवर

भैसरोडगढ दुर्ग- चित्तौड़गढ़ 

  • श्रेणी- जल दुर्ग 
  • चम्बल व बामनी नदी के संगम पर स्थित।
  • निर्माण - भैसाशाह व रोडाचारण
  • इसे व्यापारी दुर्ग भी कहा जाता है, क्योंकि यह राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है जिसका निर्माण व्यापारियों ने करवाया।
  • इसे राजस्थान का वेल्लोर कहा जाता है।

सोनारगढ - जैसलमेर 

  • उपनाम - स्वर्णगिरी, गौहरागढ, रेगिस्तान का गुलाब, राजस्थान का अण्डमान, त्रिकुटगढ, घाघरेनुमा दुर्ग 
  • इसे राजस्थान की पश्चिमी सीमा का प्रहरी कहा जाता है।
  • इस दुर्ग का निर्माण 1155 मे जैसल भाटी ने प्रारंभ किया किंतु इसे 1164 मे शालवाहिन द्वितीय ने पूर्ण करवाया।
  • श्रेणी- धान्वय
  • प्रवेश द्वार- अक्षय पोल
  • इस दुर्ग की छत लकडी से निर्मित है।
  • 2009 में इस पर 5 रूपये का डाक टिकट जारी किया गया।
  • यह राजस्थान का प्रथम दुर्ग था जिस पर फिल्म सत्यजीत रे बनी थी
  • इस दुर्ग में 99 बुर्ज है इसलिए सर्वाधिक बुर्जो वाला किला कहा जाता है।
  • यह राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है जिसे बनाने मे चुने व सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है।

सोनारगढ मे स्थित प्रमुख महल

  • सर्वोत्तम महल/शीशमहल
  • बादल महल - यह राजस्थान का सबसे ऊँचा बादल महल है।
  • गजविलास
  • जवाहर विलास

इस दुर्ग में प्रमुख मंदिर 

लक्ष्मीनाथ जी मंदिर

  • यह जैसलमेर शासकों के आराध्य देव है।
  • इस मंदिर की मूर्ति मेड़ता से लाई गई है।
  • इस मंदिर के दरवाजे व खिड़कियां चांदी से निर्मित है।

आदिनाथ मंदिर 

  • यह इस दुर्ग का सबसे प्राचीन मंदिर है।
  • जैसलु कुआं इसी दुर्ग में स्थित है, यह भगवान श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र से निर्मित है।

यह दुर्ग ढाई साको हेतु प्रसिद्ध है।

  • प्रथम शाका - 1312 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के कारण वहां के शासक मूलराज द्वितीय ने केसरिया एवं रानियो ने जौहर किया।
  • दुसरा शाका - 1370-71 मे फिरोजशाह तुगलक के आक्रमण के कारण यहां के शासक दूदा ने केसरिया एवं रानियों ने जौहर किया।
  • अर्दशाका - 1550 में अमीर अली के आक्रमण के कारण राव लुणकरण ने केसरिया किया किंतु रानियां जौहर नहीं कर पाई इसलिए इसे अर्ध शाका कहा जाता है।
  • इस दुर्ग के संबंध में अबुल फजल का कथन है कि घोड़ा कीजै काठका पग कीजै पाषाण शरीर राखै बख्तरबंद तै पहुंचे जैसाण।

तारागढ दुर्ग- अजमेर 

  • इसे राजस्थान का ह्रदय कहा जाता है।
  • उपनाम - राजपूताना की कुंजी, अरावली का अरमान, अजयमेरू
  • इस दुर्ग पर सर्वाधिक स्वदेशी आक्रमण हुए।
  • पहाडी - गठबीठली
  • निर्माण- अजयराज (1113)
  • श्रेणी - गिरी
  • प्रवेश द्वार- जयपोल/पृथ्वीपोल
  • बुर्ज - 14, घुंघट, गूगडी, फूटी, बादरा, इमली, खिडकी, फतेह
  • पृथ्वीराज सिसोदिया ने सर्वप्रथम इस दुर्ग का जीर्णोद्धार करवाया एवं अपने रानी के नाम पर इस दुर्ग का नाम तारागढ़ रख दिया।
  • विश्य हेबर ने इस दुर्ग को राजस्थान का जिब्राल्टर कहां है।
  • यह राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है जहां घोड़े की मजार स्थित है।
  • यहां पर रूठी रानी का महल बना हुआ है।
  • यहां पर राजस्थान का पहला तरणताल बना हुआ है।
  • इसी दुर्ग में दाराशिकोह का जन्म हुआ।
  • इस दुर्ग में शीश खाना गुफा स्थित है।

तारागढ़ दुर्ग के जलाशय

  • बडा साहब का झालरा
  • गोल झालरा
  • इब्राहीम झालरा

जुनागढ दुर्ग- बीकानेर 

  • उपनाम - जमीन का जेवर
  • निर्माण- रायसिंह (1589-94)
  • श्रेणी - धान्वय
  • वास्तुकार- कर्मचंद
  • प्रवेश द्वार- सुरजपोल व कर्णपोल
  • इस दुर्ग के मुख्य द्वार सुरजपोल पर गजारूढ जयमल व फत्ता की मूर्तियां लगी हुई है।
  • यह दुर्ग सूरसागर झील के किनारे स्थित है।
  • दुर्ग में सर्वप्रथम लिफ्ट लगाई गई।

जूनागढ़ दुर्ग के प्रमुख स्थल

  • अनूप सिंह ने इस दुर्ग में 33 करोड़ देवी देवताओं का मंदिर बनवाया।
  • सिह पर सवार हेरम्भ गणपति।
  • रतन सिंह ने इस दुर्ग में लक्ष्मीनारायण जी के मंदिर का निर्माण करवाया।
  • अनुप महल- इस दुर्ग में अनूप सिंह ने अनूप महल का निर्माण करवाया, बीकानेर के राजाओं का राज्य अभिषेक इसी महल में होता था।

अनुप पुस्तकालय 

  • अनूप सिंह ने इस महल में अनूप पुस्तकालय की स्थापना करवाई, राणा कुंभा के ग्रंथ इसी पुस्तकालय में संग्रहित है।
  • एल पी टेस्सीटोरी द्वारा खोजे गए समस्त ग्रंथ इसी संग्रहालय में संग्रहित है।
  • बादल महल - इस दुर्ग में बादल महल स्थित है यह सोने की नक्कासी हेतु प्रसिद्ध है।
  • छत्र महल
  • फूल महल
  • लालगढ महल
  • कर्णमहल
  • रंगमहल
  • महाराणा गंगा सिंह ने यहां पर राज विलास महल की स्थापना की।
  • हर मंदिर 

मेहरानगढ दुर्ग- जोधपुर

  • उपनाम - कागमुखी गढ, गढ चिंतामणि, मयूरध्वजगढ
  • इसे मारवाड़ का सिरमौर भी कहा जाता है।
  • निर्माण - राव जोधा (14/05/1459)
  • श्रेणी- गिरी दुर्ग 
  • पहाडी - चिडियाटुंक (पंचेतिया)
  • मुख्य प्रवेश द्वार- जयपोल
  • इस दुर्ग की नींव में राजा राम घड़ेला व मेहर सिंह को जिंदा चुनवाया गया।

मेहरानगढ़ मे स्थित प्रमुख महल

  •  फतहमहल
  • श्रृंगार चौकी महल - जोधपुर के शासकों का राज्य अभिषेक इसी महल में होता था।
  • फुल महल - इसका निर्माण अभय सिंह ने करवाया यह सोने की नक्काशी हेतु प्रसिद्ध है, इसमें सोने की नक्काशी का कार्य तखत सिंह द्वारा करवाया गया।
  • चौखेलाव महल - इस महल का निर्माण राव मालदेव ने करवाया इसमें राम रावण युद्ध एवं सप्तशती का चित्र चित्रित है सप्तशती का चित्र जोधपुर का प्रथम चित्र कहलाता है।
  • तखत विलास
  • बिचला महल

मेहरानगढ़ मे स्थित प्रमुख जलाशय

  • रानीसर तालाब
  • पदमसर तालाब

मेहरानगढ़ मे स्थित प्रमुख मंदिर

चामुंडा माता का मन्दिर 

  • निर्माण - राव जोधा
  • यह राठौड़ राजवंश की आराध्य देवी है

मदनमोहन जी का मंदिर 

नाग्णेच्या माता का मन्दिर 

  • राठौड़ों की कुलदेवी है।

संतोषी माता

  • तोपे - कडक बिजली, किलकीला तोप, शंभुबाण, गजक, गजनी, धुडधाणीद, जमजमा, गुब्बार, गजनी खान, जमजमा, बिच्छू बाण, मीर बक्स, रहस्य कला, नुसरत
  • अकबर की तलवार इसी दुर्ग में रखी गई है।
  • इसमें मामा भांजा की छतरी स्थिति है।
  • इस दुर्ग में मानसिंह ने मान प्रकाश पुस्तकालय की स्थापना करवाई।
  • इस दुर्गे के संबंध में रडयार्ड किपलिंग ने कहा है कि इस दुर्ग का निर्माण फरिश्तों एवं परियों ने करवाया।
  • जैकलीन कैनेडी ने इस दुर्ग को विश्व का आठवां अजूबा कहा।

कुंभलगढ दुर्ग - राजसमन्द 

  • निर्माण - महाराणा कुंभा ने सम्प्रति मौर्य द्वारा बनवाए गए मछेन्द्र दुर्ग के खंडहरो पर इसका निर्माण करवाया।
  •  कुंभा ने अपनी रानी कुंभलमेरू के लिए इस दुर्ग का निर्माण करवाया।
  • उपनाम - मेरूदण्ड, मेवाड महाराणाओ की शरणस्थली, मेवाड की आँख, मारवाड की छाती पर उभरी हुई कटार।
  • श्रेणी - पारिध
  • पहाडी - जरगा
  • कुल द्वार - 8
  • मुख्य प्रवेश द्वार- ओरठपोल
  • वास्तुकार- मण्डन
  • इसे मेवाड़ मारवाड़ सीमा का प्रहरी कहा जाता है।

कुंभलगढ़ दुर्ग मे स्थित प्रमुख महल

  • बादल महल - इस महल की जुनी कचहरी कक्ष में महाराणा प्रताप का जन्म हुआ।
  • झाली रानी रा मालिया - इसे अटपटा महल भी कहा जाता है।

कुंभलगढ़ दुर्ग मे स्थित प्रमुख मंदिर

  • कुंभ स्वामी मंदिर 
  • नीलकण्ठ महादेव मंदिर 

कटारगढ

  • यह दूर्ग महाराणा कुंभा का निवास स्थल था।
  • अबुल फजल ने इस दुर्ग के संबंध में कहा है कि यह दूर्ग इतनी बुलंदी पर है की ऊपर देखने पर पगड़ी नीचे गिर जाती है।
  • मामादेव कुण्ड-इस कुंड के पास उदा ने राणा कुंभा की हत्या की।
  • झालीबाव बावडी
  • उड़ना राजकुमार पृथ्वीराज राठौड की 12 खम्भौ की छतरी कुंभलगढ़ दुर्ग में बनी हुई है।
  • उदयसिंह का राज्याभिषेक एवं महाराणा प्रताप का जन्म इसी दुर्ग मे हुआ है।
  • इस दुर्ग के चारों ओर 36 किलोमीटर लंबी 8 मीटर चौड़ी दीवार बनी हुई है जिसे भारत की महान दीवार कहा जाता है।
  • कर्नल जेम्स टाॅड ने इसकी तुलना एस्ट्रुकन दुर्ग से की है।

मेंगजीन दुर्ग - अजमेर

  • निर्माण- अकबर (1570)
  • उपनाम, अकबर का किला, अकबर का शस्त्रागार, दौलतखाना
  • श्रेणी - धान्वय
  • हल्दीघाटी के युद्ध की योजना इसी दुर्ग से बनी।
  • सर टॉमस रो ने इसी दुर्ग में जहांगीर से मुलाकात की।
  • लाॅर्ड कर्जन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
  • यह एकमात्र ऐसा दुर्ग है जो पूर्ण रूप से मुगल शैली में निर्मित है।
  • 1908 में यहां राजपुताना संग्रहालय की स्थापना की।

टाॅडगढ दुर्ग- अजमेर 

  • निर्माण- कर्नल जेम्स टाॅड 
  • यह अंग्रेजों द्वारा निर्मित दुर्ग है।
  • वर्तमान में यहां जेल संचालित है।
  • विजय सिंह पथिक एवं गोपाल सिंह खरवा को इसी दुर्ग में कैद किया गया।

गागरोन - झालावाड़ 

  • उपनाम - डोडगढ, धुलरगभ, शाहगढ
  • निर्माण- 1195 मे डोडा वंश की परमार शासक बीजलदेव ने।
  • प्रवेश द्वार- बुलंद दरवाज़ा, इसका निर्माण औरंगजेब द्वारा करवाया गया।
  • श्रेणी - जल/औद्युक 
  • यह कालिसिंध व आहू नदी के संगम स्थल पर स्थित है।
  • यह दुर्ग बिना नींव के बनाया गया है।
  • दुर्ग के चारों ओर तीहरा परकोटा बनाया गया है।
  • देवीसिंह खींची ने इस दुर्ग का नाम गागरोन रखा।
  • इस दुर्ग में मधुसूदन मंदिर स्थित है।
  • यहा हमामुद्दीन की दरगाह स्थित है।
  • दुर्ग में मीठे शाह की दरगाह स्थित है।

गागरोन दुर्ग मे स्थित प्रमुख महल

  • अचलदास महल
  • सरपट महल
  • दीवान ए खास
  • रंगमहल 
  • खिचिया महल - इस दुर्ग में संत पीपा की छतरी स्थित है।

गगरोंन दुर्ग का शाका

  • 1423 ईस्वी में अचलदास के शासनकाल में होसंगशाह (मांडु के सुल्तान अलपखाँ गौरी) के आक्रमण के कारण शाका हुआ।
  • 1444 में पलहणसी खींची के शासनकाल में मांडु के सुल्तान महमूद खिलजी के आक्रमण के कारण दूसरा  शाका हुआ, महमूद खिलजी ने इसका नाम मुस्तफाबाद रख दिया।

रणथंभौर दुर्ग - सवाई माधोपुर 

  • निर्माण - इसके निर्माण के संबंध मे दो मत है, इसका निर्माण 9 वीं सदी में चौहान शासक रणथान देव चौहान ने एवं कुछ इतिहासकारों के अनुसार इसका निर्माण आठवीं सदी में रंतिदेव ने करवाया।
  • उपनाम - दुर्गाधिराज
  • श्रेणी - गिरी, एरण व वन श्रेणी
  • अबुल फजल ने इस दुर्ग के संबंध में कहा है कि यह दुर्ग बख्तरबंद है अन्य सभी दुर्ग नंगे है।
  • पहाडी - थम्भ
  • प्रचीन नाम - रन्तःपुर
  • मुख्य प्रवेश द्वार- नौलखा दरवाज़ा 

रणथंभौर दुर्ग के प्रमुख मंदिर 

त्रिनेत्र गणेशजी का मंदिर 

  • राजस्थान का सबसे बड़ा गणेश जी का मंदिर है।
  • यहां पर प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मेला आयोजित होता है।

पीर सदरूद्दीन की दरगाह

शाकम्भरी माता का मन्दिर 

रणथंभौर दुर्ग के प्रमुख महल

  • सुपारी महल - इस महल में मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर बने हुए हैं।
  • जौरा भौरा महल - यह रणथंभौर दुर्ग का भंडार था।
  • हम्मीर महल - हम्मीर का निवास स्थल
  • जोगी महल - यह साधु संतों की शरण स्थली है।
  • हम्मीर कचहरी - इस महल में हम्मीर न्याय करता था।
  • रानी महल

रणथंभौर दुर्ग के प्रमुख जलाशय

  • पद्मला तालाब
  • रानिहाडा तालाब 
  • सपना बावडी
  • इस दुर्ग में 32 खंभों की छतरी स्थित है जिसे न्याय की छतरी कहा जाता है।
  • इस दुर्ग में राजस्थान की एकमात्र अधूरी छतरी स्थित है।
  • इस दुर्ग में कुत्ते की छतरी स्थित है।
  • जलालुद्दीन खिलजी ने दुर्ग के संबंध में कहा है कि मैं ऐसे 10 दुर्गों को मुसलमान के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता।
  • झाईन दुर्गे को रणथंबोर दुर्ग की कुंजी कहा जाता है।
  • अर्रादा - इस दुर्ग मे स्थित उपकरण जो दुश्मन की सेना पर पत्थर बरसाते थे।
  • मगरनी - इस दुर्ग मे स्थित उपकरण जो दुश्मन की सेना पर आग बरसाते थे।

रणथंभौर दुर्ग का शाखा

  • इसे राजस्थान का पहला शाका माना जाता है।
  • 1301 मे अलाउद्दीन खिलजी ने हम्मीर देव चौहान पर आक्रमण किया तब हम्मीर देव ने केसरिया एवं रानी रंग देवी व पुत्री देवल दे ने जल जोहर किया।

आमेर दुर्ग - जयपुर 

  • निर्माण - कोकिलदेव, 1207
  • श्रेणी - गिरी दुर्ग 
  • पहाडी - कालीखोह
  • मुख्य प्रवेश द्वार- गणेशपोल
  • उपनाम- हाथियों का किला, अंबेवती दुर्ग

आमेर दुर्ग के प्रमुख महल 

दिवान-ए-खास

  • निर्माण- मिर्ज़ा राजा जयसिंह 
  • इसे दर्पण महल भी कहा जाता है।

दिवान-ए-आम

  • निर्माण- मिर्ज़ा राजा जयसिंह 
  • केसर क्यारी महल

कदमी महल - आमिर के राजाओं का राज्य अभिषेक इसी महल में होता था।

सुख महल

सुहाग महल

यश महल

  • इस दुर्ग के संबंध में वश्प हैबर ने कहा है कि मैंने क्रेमलिन में जो कुछ देखा एवं अलब्रह्मा के बारे मे जो कुछ सुना उससे कई ज्यादा सुंदर आमेर के महल है।

आमेर दुर्ग के प्रमुख मंदिर 

शिलादेवी

  • निर्माण - मानसिंह प्रथम 
  • यह कछवाहा राजवंश की आराध्य देवी है।
  • मानसिंह इस मंदिर की मूर्ति जसोर बंगाल से लाया।

जगतसिरोमणि मंदिर

  • जगत सिंह प्रथम की स्मृति में मानसिंह प्रथम की रानी कनकावती द्वारा इसका निर्माण करवाया गया।
  • इस मंदिर की मूर्ति मानसिंह चित्तौड़ दुर्ग के मीरा मंदिर से लाया।

सीता राम का मंदिर

माधव बिहारी मंदिर 

  • 1707 में मुगल शासक बहादुर शाह ने इस दुर्गे का नाम मोमीनाबाद कर दिया।
  • दुर्ग में मीणा बाजार स्थित है।
  • यह दुर्ग राजपूत मुगल शैली मे निर्मित है।

जयगढ दुर्ग 

  • निर्माण -सवाई जयसिंह 
  • श्रेणी - गिरी
  • पहाडी- ईगल/चील की पहाडी
  • प्रवेश द्वार- डुंगर पोल/जयपोल
  • किस दुर्ग का निर्माण आमेर के राज खजाने को सुरक्षित रखने हेतु करवाया गया।
  • उपनाम - चील का टीला, शाही निवास
  • इसे तोप व सुरंगो का किला कहा जाता है।
  • जय सुरंग से आमेर व जयगढ़ दुर्ग आपस में जुड़े हुए हैं।

जयगढ़ दुर्ग के प्रमुख महल

सुभट निवास महल

खिलवट महल

  • इस दुर्ग में दीया बुर्ज स्थित है जो 7 मंजिला है।
  • सवाई जयसिंह ने इस दुर्ग में विजयगढ़ी दुर्ग का निर्माण करवाया, इसी दुर्ग में जय सिंह ने अपने छोटे भाई विजय सिंह को कैद किया।

जयगढ़ दुर्ग के प्रमुख मंदिर 

आराम मंदिर 

सूर्य मंदिर 

  • इस दुर्ग में जयबाण/रणबंका तोप बनी हुई है, यह एशिया की सबसे बड़ी तोप है।

नाहरगढ दुर्ग - जयपुर

  • निर्माण- सवाई जयसिंह (1734)
  • श्रेणी - गिरी 
  • पहाडी- मिठडी
  • प्रवेश द्वार- नाहर पोल व डुंगरपोल
  • उपनाम - मिठडी दुर्ग, जयपुर का मुखौटा, सुदर्शनगढ
  • मराठा आक्रांताओं के आक्रमण से बचने हेतु इसका निर्माण करवाया।
  • दुर्ग का नाम नाहर सिंह भोमिया के नाम पर नाहरगढ़ पड़ा नाहर सिंह दुर्ग के निर्माण में विघ्न उत्पन्न करता था किंतु तांत्रिक रत्नाकर पोण्डरिक ने उसे दूसरी जगह जाने हेतू राजी कर लिया।
  • इस दुर्ग में नाहरसिंह भौमिया की छतरी बनी हुई है।
  • एक समान नौ महल इसी दुर्ग मे स्थित है। 

सिवाणा दुर्ग - बाडमेर

  • निर्माण- 954ई मे परमार वंश के वीरनारायण ने।
  • उपनाम - कुम्बाना दुर्ग, अणखलो सिवाणो
  • पहाडी- हल्देश्वर/कुम्बा पहाडी
  • इसे मारवाड़ राजाओं की शरण स्थली कहा जाता है, राव मालदेव गिरी सुमेल युद्ध के बाद इस दुर्ग पर आक्रमण किया।
  • इसे जालौर दुर्ग की कुंजी कहा जाता है।
  • अलाउद्दीन खिलजी के काल मे यह दुर्ग कान्हडदेव के भतीजे शीतलदेव के अधिकार मे था, 1310 मे अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण मे इनकी मृत्यु हो गई।
  • इस दुर्ग में मामदेव कुंड स्थित है।

जालौर दुर्ग 

  • निर्माण - धारावर्ष परमार
  • डॉ दशरथ शर्मा के अनुसार दुर्ग का निर्माण नागभट्ट प्रथम ने करवाया।
  • श्रेणी - गिरी 
  • पहाडी- कनकाचल
  • मुख्य प्रवेश द्वार- सिरेपोल व सुरजपोल
  • उपनाम - सुवर्णगिरी, सोनगढ, जलालाबाद, जबालिपुर 
  • इस दुर्ग में जालंधर नाथ की गुफा बनी हुई है।
  • इस दुर्ग के सामने नटनी की छतरी स्थित है।

प्रमुख महल 

मानसिंह का महल
रानी महल
नाथावत महल
  • इस दुर्ग में परमार कालिन कीर्ति स्तंभ स्थित है।
  • फिरोजा मस्जिद/तोपे मस्जिद इसी दुर्ग में स्थित है।
  • हसन निजामी ने इस दुर्ग के संबंध में कहा है कि आज तक कोई विदेशी आक्रमणकारी इस दुर्ग का दरवाजा नहीं खोल पाया।
  • राई का भाव रातों ही गिरा कहावत का संबंध इसी दुर्ग से है।

जालौर दुर्ग के जलाशय

  • झालर बावडी
  • सोहनबावडी
  • पापडबावडी

जालौर दुर्ग के मंदिर

जोगमाया मंदिर 

आशापुरा मंदिर

बीरमदेव चौकी मंदिर 

जालौर दुर्ग का शाका

  • आक्रमण- अलाउद्दीन खिलजी 
  • केसरिया- कान्हडदे
  • जौहर - रानी जैतलदेवी

बयाना का किला - भरतपुर 

  • निर्माण- विजयपाल, 1040
  • उपनाम - शोणितपुर, बाणसुर, विजयमंदिरगढ, बादशाह का किला
  • पहाडी- दमदमा/मानीपहाडी
  • राजस्थान का प्रथम विजय स्तंभ इसी दुर्ग में स्थित है, का निर्माण समुद्रगुप्त द्वारा करवाया गया।
उषा मज्जिद
  • निर्माण- समुद्रगुप्त की रानी चित्रलेखा 
  • मुबारक खिलजी ने इसे तुडवाकर उषा मस्जिद मे परिवर्तित कर दिया।
  • भीमलाट - इस इमारत का निर्माण विष्णु वर्धन ने करवाया।

डीग का किला - भरतपुर 

  • निर्माण - बदन सिंह जाट
  • यह दुर्ग जलमहलो के किनारे स्थित है।
  • इस दुर्ग में सूरजमल महल स्थित है।

बाला किला - अलवर

  • निर्माण- उलगुराय
  • इसे 52 दुर्गों का लाडला कहा जाता है।
  • इसे अलवर का किला कहते है।

बाला किले के प्रमुख महल

  • सलीम महल
  • झुलता हुआ महल/हैंगिंग महल

भानगढ दुर्ग 

  • निर्माण- भगवंतदास
  • इसे भूतिया किला कहा जाता है।
  • इस दुर्ग में मेहंदी महल स्थित है।
  • इस दुर्ग में घास कुंड स्थित है।

कुचामन का किला - नागौर

  • निर्माण- गौड राजपुतो द्वारा 
  • वास्तविक निर्माता - झालिम सिंह 
  • सुनहरी व पाताल्या बुर्ज इसी दुर्ग में स्थित है।

कूचामन किले के प्रमुख महल

अंधेरया महल

पाताल्या महल

  • उपनाम - अणखला दुर्ग, जागीरी किलो का सिरमौर, कुचबंधियो की ढाणी

नागौर किला

  • निर्माण- कैमास (सोमेश्वर चौहान का मंत्री), 1177
  • प्राचीन नाम - अहिछत्रगढ, नागाणा
बादल महल 
  • निर्माण- बख्तसिंह
  • इसे वास्तविक बादल महल कहा जाता है।
  • यह जल प्रबंधन हेतु विश्व विख्यात दूर्ग है।
  • यहा अमर सिंह राठौड की 16 खंभों की छतरी स्थित है।

पिपलूद दुर्ग- बाडमेर

  • इस दुर्ग का निर्माण दुर्गादास राठौड़ ने करवाया।
  • इसे अजीत सिंह की शरण स्थली कहा जाता है।

बाली दुर्ग - पाली

  • निर्माण- वीरमदेव 
  • दुर्ग में पांडवों के गुल्ली डंडा स्थित है।
  • वर्तमान में यहां जेल संचालित है।

नवलखा दुर्ग - झालावाड़ 

  • 1860 में पृथ्वी सिंह द्वारा इसकी नींव रखी गई।
  • यह राजस्थान का एकमात्र दुर्ग है जिसका निर्माण कार्य अभी तक पूर्ण नहीं हुआ है।

कोटा दुर्ग 

  • निर्माण- देवा जैत्रसिंह
  • इस दुर्ग में मावठा झील स्थित है।
  • इस दुर्ग में झाला हवेली स्थित है।
  • यह दुर्ग 1857 की क्रांति के समय सर्वाधिक समय तक क्रांतिकारियों के अधीन रहा।

शेरगढ दुर्ग - बांरा

  • प्राचीन नाम - कोषवर्दन दुर्ग 
  • निर्माण- मालदेव
  • हुण हुँकार तोप इस दुर्ग में स्थित है।
  • इस दुर्ग मे रावल महल स्थित है।

नाहरगढ - बांरा

  • इस दुर्ग की आकृति लाल किले जैसी है।

अचलगढ - सिरोही

  • निर्माण- राणा कुंभा 

मांडलगढ - भीलवाड़ा 

  • निर्माण- मांडिया भील
  • श्रेणी- जल/औद्युक
  • हल्दीघाटी युद्ध से पूर्व अकबर की सेना को यहां प्रशिक्षण दिया गया।
  • यह दुर्ग बनास बेड़च व मेनाल नदी के संगम पर स्थित है।
सज्जनगढ दुर्ग- उदयपुर 

निर्माण- महाराणा सज्जनसिंह 
बांसधरा पहाडी पर स्थित है।
इसे मानसुन पैलैस भी कहते है।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय द्वारा राजस्थान के चित्तौड़गढ़ एवं कुंभलगढ़ किलो को बेस्ट डेस्टिनेशन इन इंडिया सिल्वर आउटलुक अवार्ड 2022 से सम्मानित किया।

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