". राजस्थान : छतरिया ~ Rajasthan Preparation

राजस्थान : छतरिया


राजस्थान कि प्रमुख छतरियां

छतरियां- महापुरूषो के मृत्यु स्थल पर उनकी स्मृति मे बनाए गए स्मारक छतरियां कहलाते हैं।


राजवंश से संबंधित छतरियां

 जयपुर राजवंश कि छतरियां 

  • इन्हें गैटोर कि छतरियां कहा जाता है।
  • यहाँ पर सवाई जयसिंह से लेकर आगामी सभी राजाओं कि छतरियां है।
  • यहाँ पर प्रथम छतरी सवाई जयसिंह कि है।
  • यहाँ पर ईश्वरी सिंह कि छतरी स्थित नहीं है। इनकी छतरी चंद्रमहल/सिटीपैलैस जयपुर मे बनी हुई है।

बीकानेर राजवंश कि छतरियां 

  • इन्हें देवीकुण्ड कि छतरियां कहा जाता है।
  • यहाँ पर सरदार सिंह कि छतरी संगमरमर से निर्मित है।

जैसलमेर राजवंश कि छतरियां 

  • इन्हें बड़ा बाग कि छतरियां कहा जाता है।
  • जैसलमेर के भाटी वंश की छतरिया बनी हुई है।

जोधपुर राजवंश /कागा कि छतरियां 

  • इन्हें दो भागो में विभाजित किया गया है।
  • 1) राजाओ कि छतरिया /मण्डोर कि छतरियां 
  • यहा कि छतरियो मे महाराजा अजीतसिंह कि छतरी सबसे बड़ी छतरी है।
  • 2) रानियो कि छतरियां /पंचकुंडा कि छतरियां

मेवाड़ राजवंश कि छतरियां 

  • इन्हें आहड कि छतरियां कहा जाता है इन्हें महाशतियो की छतरी भी कहा जाता है।
  • मुख्य छतरियां- अमरसिंह प्रथम व कर्णसिंह

कोटा राजवंश की छतरियां 

  • इन्हें क्षार बाग कि छतरियां कहा जाता है।
  • यहां हाडा शासकों की छतरिया स्थित है।

बुंदी राजवंश की छतरियां 

  • इन्हें केसर बाग कि छतरियां कहा जाता है।

खम्भो कि छतरियां 

1) एक खम्भे कि छतरी - रणथंभौर 

2) छः खम्भो कि छतरी - लालसोट(दौसा)

  • इसे बंजारे कि छतरी कहा जाता है।

3) आठ खम्भो कि छतरियां 

आठ खम्भो कि कुल तीन छतरियां निम्न है।

  • महाराणा प्रताप कि छतरी- बंडोली(उदयपुर)
  • राणा सांगा कि छतरी - मांडलगढ(भीलवाड़ा)
  • मिश्र जी की छतरी- अलवर

4) बारह खम्भो कि छतरी - कुंभलगढ(राजसमन्द)

  • यह उडना राजकुमार पृथ्वीराज सिसोदिया कि छतरी है।

5) सोलह खंभो कि छतरी- अहिछत्रपुर(नागौर)

यह अमरसिंह राठौड कि छतरी है।

6) बीस खम्भो कि छतरी- जोधपुर 

  • यह सिंघवियो कि छतरी है।

7) बत्तीस खम्भो कि छतरियां 

राजस्थान मे कुल 3 बत्तीस खम्भो कि छतरियां है।

1) जैत्रसिंह या जयसिंह कि छतरी- रणथंभौर 

हम्मीर देव ने जैत्रसिंह के 1250 से 1282 तक 32 साल के शासन के कारण 32 खम्भो कि छतरी का निर्माण करवाया।

इसे न्याय कि छतरी भी कहा जाता है।

2) जगन्नाथ कछवाहा कि छतरी- मांडलगढ (भीलवाड़ा)

इसका निर्माण शाहजहां ने करवाया था।

3) जोधसिंह कि छतरी- माडलगढ(भीलवाड़ा)

8) अस्सी खम्भो कि छतरी - अलवर 

  • निर्माण- विनयसिंह ने बख्तावर सिंह व इनकी रानी मुसी कि समृति मे।
  • इसे मुसी रानी कि छतरी भी कहा जाता है।
  • यह दो मंजिला छतरी है। इसमे रामायण व महभारत के चित्र बने हुए हैं।

9) चौरासी खम्भो कि छतरी- देवपुरा(बुंदी)

  • निर्माण- 1682 मे बुंदी शासक अनिरूद्ध सिंह ने धाभाई देवा कि स्मृति मे।
  • यह तीन मंजिला छतरी है।
  • इसकी प्रथम मंजिल पर कामसुत्र ग्रंथ के 84 आसनो का वर्णन किया गया है।
  • इसकी दुसरी मंजिल पर चौरासी यौनियो का वर्णन है।
  • इसकी तीसरी मंजिल पर धार्मिकता के चित्र बने हुए हैं।

अन्य महत्वपूर्ण छतरियां 

हल्दीघाटी मे स्थित छतरियां 

रामसिंह तंवर की छतरी
हाकिम खाँ सुरी की छतरी 
झाला मान/ झाला बीदा की छतरी 

पन्नाधाय कि छतरी- उदयपुर 

  • यह उदयसिंह कि धाय थी।
जसवंत थडा - जोधपुर 
  • 1906 मे सरदार सिंह द्वारा जसवंत सिंह द्वितीय कि स्मृति में इस महल का निर्माण करवाया।
  • इसे राजस्थान का ताजमहल कहा जाता है।

गौराधाय कि छतरी- जोधपुर 

  • यह अजीतसिंह कि धाय थी।
  • इसे मारवाड़ कि पन्नाधाय कहा जाता है।

सेनापति कि छतरी- जोधपुर 

मामा भांजा कि छतरी- जोधपुर 

  • निर्माण- अजीतसिंह ने
  • धन्ना व भिया कि स्मृति में।

दुर्गादास राठौड़ कि छतरी

  • इनकी मुख्य छतरी उज्जैन(MP) मे है लेकिन राजस्थान मे इनका स्मारक जोधपुर में बना हुआ है।
चेतक की छतरी - राजसमंद 
  • राजसमंद मे बलीचा गाँव मे महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक का स्मारक बना हुआ है।

कुत्ते की छतरी- रणथंभौर 

कीर कि धणी कि छतरी- जोधपुर 

रैदास जी कि छतरी- चित्तौड़गढ़ 

नटनी कि छतरी - जालौर

अकबर की छतरी -भरतपुर 

संत पीपा की छतरी - गागरोन(झालावाड़)

गोपाल सिंह कि छतरी - करौली 

सेठो की छतरी - रामगढ़(सीकर)

छत्र विलास की छतरी- कोटा 

टंहला की छतरी- अलवर

राजा बख्तावर की छतरी - अलवर

जोधसिंह की छतरी- (बदनौर)भीलवाड़ा 

मानसिंह प्रथम की छतरी - आमेर

जयमल व कला राठौड़ की छतरियां - चित्तौड़गढ़ 


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