". संज्ञा ~ Rajasthan Preparation

संज्ञा


संज्ञा व उसके भेद

संज्ञा कि परिभाषा क्या है।

किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहा जाता है।


संज्ञा के प्रकार 

मुल रूप से संज्ञा के दो प्रकार होते हैं।

1) यथार्थवाचक संज्ञा 

किसी दृश्य या मूर्त वस्तुओं के नाम को यथार्थवाचक संज्ञा कहा जाता है।

सुर्य, पुस्तक, राजस्थान, आदि

यथार्थवाचक संज्ञा के दो प्रकार होते हैं।

1) व्यक्तिवाचक संज्ञा 

किसी दृश्य व्यक्ति, वस्तु या स्थान के निश्चित नाम को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहा जाता है।

पहचान- व्यक्तिवाचक संज्ञा दृश्य और सदैव एकवचन होती है इसे बहुवचन बनाना संभव नही है।

जैसे - सुर्य  -  यह दृश्य वस्तु है एवं इसे सुर्यो अथार्थ बहुवचन नहीं लिखा जा सकता इसलिए यह व्यक्तिवाचक संज्ञा है।

2) जातिवाचक संज्ञा

किसी दृश्य व्यक्ति, वस्तु या स्थान के वर्ग या  जाति के नाम को जातिवाचक संज्ञा कहा जाता है।

पहचान- जातिवाचक संज्ञा भी दृश्य होती है एवं बहुवचन होती है या इन्हें बहुवचन बनाया जा सकता है।

जैसे - पुस्तक- यह दृश्य वस्तु है एवं इसे पुस्तके अथार्थ बहुवचन लिखा जा सकता इसलिए यह जातिवाचक संज्ञा है।

2) भाववाचक संज्ञा

 किसी अदृश्य या अमूर्त वस्तुओं के नाम को भाववाचक संज्ञा कहा जाता है।

पहचान- भाववाचक संज्ञा सदैव अदृश्य एवं एकवचन होती है। एवं जिनसे मन मन मे भाव उतपन्न होता है।

जैसे - करूणा, दया, दु:ख, चिंता आदी

Note - यदि किसी भाववाचक संज्ञा को बहुवचन बना दिया जाए तो वह जातिवाचक संज्ञा बन जाएगी।

जैसे - 

भाववाचक                           बहुवचन/जातिवाचक 

जवानी                                     जवानियाँ

मेहरबानी                                 मेहरबानियाँ

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