राजस्थान कि नदियाँ (Rivers of rajasthan)
राजस्थान मे नदियों को अपवाह तंत्र के आधार पर 3 भागो में वर्गीकृत किया गया है।
1) बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र (24%)
2) अरब सागरीय अपवाह तंत्र (16%)
3) आंतरिक प्रवाह (60%) - आंतरिक अपवाह तंत्र भारत मे केवल राजस्थान मे पाया जाता है।
आंतरिक अपवाह तंत्र
वे नदियाँ जिनका जल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर तक नहीं पहुँच पाता एवं यह अपने प्रवाह क्षेत्र मे ही विलुप्त हो जाती हैं अथवा इनका किसी झील मे विलय हो जाता है।
घग्गर नदी
यह राजस्थान मे आंतरिक प्रवाह कि सबसे लम्बी नदी है, इसकी लंबाई 465 किमी है।
उपनाम- मृत नदी, द्वेषवती नदी, नट नदी, हकरा नदी
सिंधु घाटी सभ्यता मे इस नदी को सरस्वती नदी कहा जाता था। यह सबसे प्राचीन नदी है।
घग्गर नदी का उद्गम शिवालिक की पहाडिय़ाँ (कालका)(हिमाचल प्रदेश) से होता है।
यह टीब्बी( हनुमानगढ) से राजस्थान मे प्रवेश करती है।
प्रवाह क्षेत्र - हनुमानगढ और श्रीगंगानगर जिले
विलुप्त- राजस्थान मे इसका विलुप्त बिंदु अनुपगढ(श्रीगंगानगर) है, किंतु कभी जब नदी मे जल कि मात्रा अधिक होती है तब ये फोर्ट अब्बास(पाकिस्तान) तक चली जाती है।
भटनेर दुर्ग इसी नदी के किनारे स्थित है।
कांलीबंगा एवं रंगमहल तीनो सभ्यताओ का विकास इसी नदी के किनारे हुआ है।
कांतली नदी
उद्गम- खण्डेला कि पहाडिय़ां (सीकर)
प्रवाह क्षेत्र- सीकर व झुंझनूं जिले में
विलुप्त- चुरू कि सीमा पर
तोरावटी- शेखावाटी मे कांतली नदी के प्रवाह क्षेत्र को तोरावटी कहा जाता है।
बीड - झुंझनूं मे कांतली नदी के बहाव क्षेत्र को बीड कहा जाता है।
गणेश्वर सभ्यता- नीम का थाना( सीकर) मे इसी नदी के किनारे गणेश्वर सभ्यता का विकास हुआ।
सुनारी सभ्यता-(खेतडी)झुंझनूं मे इसी नदी के किनारे सुनारी सभ्यता का विकास हुआ।
यह आंतरिक अपवाह तंत्र कि पूर्ण बहाव कि सबसे लंबी नदी है।
साबी नदी
उपनाम- साहिबा नदी
उद्गम- सेवर कि पहाडिय़ां (जयपुर)
बहाव क्षेत्र- जयपुर व अलवर जिले मे।
विलय - रेवाडी (हरियाणा) मे नजफगढ़ झील मे।
जोधपुरा सभ्यता- जयपुर में इस नदी के किनारे जोधपुरा सभ्यता का विकास हुआ।
रूपारेल नदी
उपनाम- वराह नदी, लसवारी नदी
उद्गम- उदयनाथ कि पहाडिय़ा( अलवर)
बहाव क्षेत्र- अलवर व भरतपुर जिले
विलय- मोती झील(भरतपुर)- इस झील का निर्माण महाराजा सुरजमल ने करवाया।
नौह सभ्यता- इस नदी के किनारे भरतपुर में नौह सभ्यता का विकास हुआ।
सीकरी बांध- भरतपुर में इस नदी पर सीकरी बांध बना हुआ है
काकनेय नदी
उपनाम - मसुरदी नदी, काकनी नदी
उद्गम स्थल- कोटरी कि पहाडिय़ां ( जैसलमेर)
लंबाई- 17Km
प्रवाह क्षेत्र- जैसलमेर
विलय - बुझ झील (जैसलमेर)
यह आंतरिक अपवाह तंत्र कि सबसे छोटी नदी है
सांभर झील मे जल ले जाने वाली नदियाँ
मेंथा नदी
उद्गम- मनोहरपुरा कि पहाडिय़ां (जयपुर)।
प्रवाह क्षेत्र- जयपुर, सीकर, नागौर जिले।
विलय - सांभर झील मे।
यह सांभर झील मे सर्वाधिक लवणता लाने वाली नदी है।
रूपनगढ नदी
उद्गम- किशनगढ़ कि पहाडिय़ा (अजमेर)
प्रवाह क्षेत्र- अजमेर जिला
विलय - सांभर झील
सलेमाबाद इसी नदी के किनारे स्थित है यहा पर निम्बार्क सम्प्रदाय कि प्रमुख पीठ स्थित है।
खारी, खंडेला नदी व ढुंढ नदी
उद्गम - जयपुर व सीकर कि पहाडिय़ों से
विलय- सांभर झील
अरब सागरीय अपवाह तंत्र
लुनी नदी
उद्गम स्थल- नाग कि पहाडिय़ा (अजमेर)। उद्गम स्थल पर इस नदी का नाम सागरमती होता है।
गोविन्दगढ - गोविंदगढ (अजमेर) मे इस नदी मे पुष्कर कि पहाडिय़ो से निकलने वाली सरस्वती नदी मिलती है। इसके बाद इसका नाम लुणी नदी पड़ता है।
प्रवाह क्षेत्र- 6 जिले- अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर व जालौर
विलय- कच्च कि रन (गुजरात)
कालीदास ने इस नदी को अन्त:सलीला कहा है।
जसवंतसागर बांध - जोधपुर में इस नदी पर जसवंतसागर बांध बना हुआ है इसे पिचियांक बांध भी कहा जाता है।
नाकोडा बांध- बाडमेर मे इस नदी पर नाकोडा बांध बना हुआ है।
बालोतरा - बालोतरा (बाडमेर) तक इस नदी का पानी मीठा होता है एवं इसके बाद से खारा हो जाता है।
इस नदी के बहाव क्षेत्र को जालौर मे रेल या नेडा कहा जाता है।
सहायक नदियाँ - जोजडी, सुकडी, सगाई, जवाई, बांडी, लीलडी, मिठडी,
जोजडी नदी
उद्गम स्थल- पोटलु (नागौर)
यह लुनी कि एकमात्र सहायक नदी है जो दायी ओर से मिलती हैं
बांडी नदी
उद्गम स्थल- हेमावास पाली
सुकडी नदी
उद्गम स्थल- देसुरी कि नाल (पाली)
बाकली बांध- पाली में इस नदी पर बाकली बांध बना हुआ है।
जवाई नदी
उद्गम स्थल- गोरया गाँव (पाली)
जवाई बांध- इस नदी पर सुमेरपुर(पाली) मे जवाई बांध बना हुआ है। यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है। इसे मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है।
खारी नदी
उद्गम स्थल- जसवंतपुरा कि पहाडिय़ा (जालौर)
माही नदी
उपनाम- दक्षिण कि गंगा, आदिवासियों कि गंगा, वागड कि गंगा, कांठल कि गंगा
उद्गम स्थल- मेहंद झील, धार(मध्य प्रदेश)
राजस्थान मे प्रवेश- खांदू ग्राम (बांसवाडा)
प्रवाह क्षेत्र - बांसवाडा, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़
लंबाई - कुल लंबाई- 576Km, राजस्थान मे लंबाई- 171Km
विलय- खम्भात कि खाड़ी
यह नदी कर्क रेखा को दो बार काटती है।
कांठल- माही नदी का तटवर्ती क्षेत्र कांठल कहलाता है।
त्रिवेणी संगम - नवाटापुरा(डूंगरपुर) मे माही, सोम एवं झाखम तीनो नदियाँ मिलती हैं। इसे बेणेश्वर धाम कह जाता है।
चाचाकोटा टापू प्रदेश इसी नदी पर स्थित है।
माही बजाज सागर बांध- बोरखेडा(बांसवाडा) मे इस नदी पर माही बजाज सागर बांध बना हुआ है। यह राजस्थान का सबसे लंबा बांध है। इसकी लंबाई 3109 मी है।
कागजी बांध
कडाना बांध- गुजरात
सहायक नदियाँ- इरी, जाखम, सोम, मोरेन नदी, अनास नदी
जाखम नदी
उद्गम- भवर माता कि पहाडिय़ा छोटी सादडी (प्रतापगढ़)
जाखम बांध- प्रतापगढ़ मे इस नदी पर जाखम बांध बना हुआ है। यह राजस्थान का सबसे उँचा बांध है। इसकी ऊंचाई 81 मी है।
सोम नदी
उद्गम- बिछामेडी कि पहाडिय़ा ( उदयपुर)
सोम कागदर बांध- उदयपुर में इस नदी पर सोम कागदर बांध बना हुआ है।
सोम कमला अंबा परियोजना- डूंगरपुर में इस नदी पर सोम कमला अंबा परियोजना विकसित कि गई है।
पश्चिमी बनास नदी
उद्गम- सिरोही कि पहाडिय़ा या नया सानबरा (सिरोही)
आबू - आबू शहर इसी नदी के किनारे बसा हुआ है।
विलय- अरब सागर
बंगाल की खाड़ी अपवाह तंत्र
बाणगंगा नदी
उद्गम - बैराठ कि पहाडिय़ा (जयपुर) से
ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल मे पांडवो को अज्ञातवास के दौरान प्यास लगने पर अर्जुन ने बाण से इस नदी का निर्माण किया इसलिए इसे अर्जुन कि गंगा भी कहा जाता है।
उपनाम - रूण्डित नदी
बहाव क्षेत्र- जयपुर, दौसा, भरतपुर।
विलय - यमुना नदी मे
जमवारामगढ बांध - जयपुर में इस नदी पर जमवारामगढ बांध बना हुआ है।
जमुवाय माता का मन्दिर भी इस नदी के किनारे बना हुआ है।
कानोता बांध- इस नदी पर जयपुर में कानोता बांध भी बना हुआ है, राजस्थान मे मछलियों का सर्वाधिक उत्पादन इस बांध से ही होता है।
अजान बांध- भरतपुर
बनास नदी
उपनाम- वन कि आशा, वर्णाशा, वशिष्टी
उद्गम- खमनौर कि पहाडिय़ा(राजसमन्द)
प्रवाह क्षेत्र- राजसमन्द, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक व सवाई माधोपुर
विलय - पदरा गाँव (सवाई माधोपुर) मे चम्बल नदी मे।
यह पूर्ण बहाव के आधार पर राजस्थान कि सबसे लंबी नदी है।इसकी लंबाई 480 कि मी है।
नंदसमंद बांध- राजसमन्द मे इस नदी पर नंदसमंद बांध बना हुआ है। इसे राजसमन्द कि जीवनरेखा कहा जाता है।
मातृकुण्डिया बांध - चित्तौड़गढ़ मे इस नदी पर मातृकुण्डिया बांध बना हुआ है। इसे मेवाड़ का हरिद्वार भी कहा जाता है।
बीसलपुर बांध - टोंक मे इस नदी पर बीसलपुर बांध बना हुआ है। यह कंकरीट से निर्मित बांध है। राजस्थान मे सबसे बड़ी पेयजल परियोजना इस पर विकसित कि गई है।
ईसरदा बांध- सवाई माधोपुर मे इस नदी पर ईसरदा बांध बना हुआ है।
इस नदी का बहाव क्षेत्र सर्पिलाकार है।
पिडमांड का मैदान- देवगढ( राजसमन्द) से भीलवाड़ा तक बनास का मैदान पिडमांड का मैदान कहलाता है।
खेराड क्षेत्र- जहाजपुर( भीलवाड़ा) से टोंक तक का बनास द्वारा निर्मित मैदानी क्षेत्र खेराड क्षेत्र कहलाता है।
त्रिवेणी संगम
बीगोद (भीलवाड़ा) त्रिवेणी संगम -
नदिया- बनास, बेडच एवं मेनाल
राजस्थान (टोंक) त्रिवेणी संगम
नदिया- बनास, डाई व खारी
सहायक नदियाँ- बेडच नदी, खारी, डाइ, मेनाल, कोठारी नदी, मानसी नदी
बेडच नदी
उद्गम स्थल- गोगुन्दा कि पहाडिय़ा (राजसमन्द)
उद्गम स्थल पर इस नदी का नाम आयड नदी होता है। उदयसागर झील मे मिलने के बाद इसका नाम बेडच हो जाता है।
सहायक नदियाँ- गंभीरी, वामन, गुजरी और मेनाल
चित्तौड़गढ़ दुर्ग बेडच व गंभीरी नदियो के संगम पर निर्मित है। इन दोनों के संगम को सामेल कहा जाता है।
आहड सभ्यता का विकास इसी नदी के किनारे हुआ।
कोठारी नदी
उद्गम स्थल -दिवेर कि पहाडिय़ां (राजसमन्द)
विलय- नंदराय गांव(भीलवाड़ा) मे बनास मे विलय
बागोर सभ्यता- इस नदी के किनारे भीलवाड़ा में बागोर सभ्यता का विकास हुआ है।
मेंजा बांध- इस नदी पर भीलवाड़ा में मेंजा बांध बना हुआ है।
खारी नदी
उद्गम स्थल- बिजराल कि पहाडिय़ा (राजसमन्द)
विलय - राजमहल (टोंक) मे बनास मे विलय हो जाता है।
नारायण सागर बांध- इस नदी पर अजमेर में नारायण सागर बांध बना हुआ है। इसे अजमेर कि जीवन रेखा कहा जाता है।
डाई नदी
मानसी नदी
नदी
उद्गम स्थल- बिजराल गांव(राजसमन्द)
प्रवाह क्षेत्र - राजसमन्द, अजमेर, भीलवाड़ा व टोंक
आसिंद - भीलवाड़ा का आसिंद शहर इस नदी के किनारे स्थित है
चम्बल नदी
उपनाम- राजस्थान कि कामधेनु, चर्मण्यवती नदी
उद्गम स्थल - जनापाव कि पहाडिय़ा, महु (मध्यप्रदेश)
राजस्थान मे प्रवेश- चौरासीगढ (चित्तौड़गढ़)
बहाव क्षेत्र- चित्तौड़गढ़, कोटा, बुंदी, सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर
विलय- इटावा(उत्तर प्रदेश) में यह नदी यमुना मे विलय हो जाती है।
बीहड - चम्बल नदी मे अवनलिका अपरदन से निर्मित कंदराओं युक्त क्षेत्र बीहड कहलाता है। बीहड क्षेत्र में घने जंगलों का विकास होता है। विश्व मे सर्वाधिक बीहड के लिए चम्बल नदी जानी जाती है। राजस्थान मे सर्वाधिक बीहड धौलपुर जिले में है। करौली जिले को बीहड कि रानी कहा जाता है। बीहड युक्त क्षेत्र को डांग प्रदेश कहा जाता है। डांग प्रदेश में राजस्थान के तीन जिले धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर सम्मिलित हैं।
राजस्थान मे सर्वाधिक खादर का विस्तार चम्बल बेसिन में है।
कुल लंबाई - 966 Km राजस्थान मे लंबाई 135 km
गाँधी सागर बांध- मध्यप्रदेश
यह चंबल नदी पर सबसे बड़ा बांध है।
राणा प्रताप सागर बांध- चित्तौड़गढ़
यह राजस्थान का सबसे बड़ा बांध है।
जवाहर सागर बांध- कोटा व बुंदी
इसे कोटा बांध भी कहा जाता है।
कोटा बेराज बांध - कोटा
त्रिवेणी संगम
रामेश्वरम (टोंक) - यहा पर चम्बल बनास व सीप नदी आपस मे मिलती है एवं त्रिवेणी संगम का निर्माण करती है।
सहायक नदियाँ- ब्राह्मणी नदी, कुराल नदी, चाकण नदी, बनास नदी, सीप, कालिसिंध, पार्वती
ब्राह्मणी नदी
उद्गम स्थल- हरिपुरा कि पहाडिय़ा (चित्तौड़गढ़)
कुराल नदी
उद्गम स्थल - उपरमाल कि पहाडिय़ा (भीलवाड़ा)
सहायक नदी- मेंज नदी - मेज नदी कि सहायक नदी है मांगली नदी और मांगली नदी पर बुंदी मे भीमलत जलप्रपात बना हुआ है।
पार्वती नदी
उद्गम स्थल- सिहोर पर्वत
प्रवाह क्षेत्र- बारां व सवाई माधोपुर
कालिसिंध नदी
उद्गम स्थल- बागली गाँव (मध्यप्रदेश)
राजस्थान मे प्रवेश- बिन्दा (झालावाड़)
प्रवाह क्षेत्र- झालावाड़ व कोटा
विलय - चम्बल नदी (नानेरा गाँव, कोटा)
सहायक नदियाँ- परवन, आहु , चोली नदी
परवन नदी
उद्गम स्थल- मालवा का पठार (मध्यप्रदेश)
शेरगढ दुर्ग इसी नदी के किनारे स्थित है।
आहु नदी
उद्गम स्थल- सुसनेर पर्वत
कालिसिंध व आहु नदी के संगम पर गागरोन दुर्ग बना हुआ है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- राजस्थान कि सबसे लंबी नदी - चम्बल नदी
- राजस्थान ऐसे जिले जिनमें कोई नदी नहीं बहती है- चुरू व बीकानेर
- सर्वाधिक नदियों वाला संभाग - कोटा
- नयूनतम नदियों वाला संभाग- बीकानेर
- राजस्थान कि बारहमासी नदियाँ- चम्बल व माही
- राजस्थान मे सर्वाधिक नदियाँ उदयपुर जिले में बहती है।
- राजस्थान मे सर्वाधिक नदियो का उद्गम चित्तौड़गढ़ जिले से होता है। कुल 13 नदियों का।
- अपवाह क्षेत्र कि दृष्टि से राजस्थान कि नदी प्रणालियों का सही अवरोही क्रम है- बनास, लुनी, चम्बल, माही
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