". ब्रह्माण्ड ~ Rajasthan Preparation

ब्रह्माण्ड


ब्रह्माण्ड

पौराणिक मान्यताएँ

पौराणिक युग में भारतीय विद्वानों ने विश्व को सात द्वीपों (जम्बु, पलक्ष, साल्मली, कुश, क्रोञ्च, शक एवं पुष्कर द्वीप) में विभाजित किया, जिसमें भारत जम्बू द्वीप का हिस्सा है।

आर्यभट्ट ने पृथ्वी को गोलाकार माना है, वराहमिहिर ने पंचसिद्धांतिका नामक ग्रन्थ लिखा, भास्कराचार्य ने सिद्धांत शिरोमणि नामक ग्रन्थ लिखा, इनका मानना था कि पृथ्वी गोल है तथा इन्होंने पृथ्वी को 360° अंशों में विभाजित किया और पुनः प्रत्येक अंश को 60 कला (minute ) एवं प्रत्येक कला को 60 विकला (second) में विभाजित किया।

 ॠग्वेद में उल्लेख है की चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर भ्रमण करता है, रोमन भूगोलवेत्ता टॉलेमी ने अक्षांश एवं देशान्तर के आधार पर विश्व मानचित्र का निर्माण किया।

ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति 

बिग बैंग सिद्धांत/ महाविस्फोट सिद्धांत 

यह ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के संबंध में सर्वाधिक मान्य सिद्धांत है, जो 1927 में बेल्जियम के खगोलशास्त्री जॉर्ज लैमेत्रे ने प्रतिपादित किया।

 रॉबर्ट वेगनर ने 1967 में इस सिद्धांत की विस्तृत व्याख्या की। इस सिद्धांत के अनुसार, ब्रह्माण्ड प्रारम्भ में एक सेंटीमीटर (मटर के दाने के समान) के आकार का अत्यंत ठोस और गर्म गोला था। अचानक एक विस्फोट के कारण यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड तक विस्फोटित होता चला गया। इस महाविस्फोट से अत्यधिक गर्मी और सघनता फैलती चली गई। यह महाविस्फोट 15 अरब वर्ष पूर्व हुआ। इसी से सारे मूलभूत कणों (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, फोटॉन इत्यादि) व ऊर्जा की उत्पत्ति हुई। मात्र एक सैकण्ड में दस लाखवें भाग में इतना बड़ा विस्फोट हुआ और अरबों किलोमीटर तक फैलता चला गया, इसके बाद से इसका निरंतर विस्तार होता रहा है।

ब्रह्माण्ड 

अंतरिक्ष, पृथ्वी तथा उसमें उपस्थित खगोलीय पिण्ड, आकाशगंगा, अणु और परमाणु आदि को समग्र रूप से ब्रह्माण्ड कहते हैं।

ब्रह्माण्ड के अध्ययन को ब्रह्माण्ड विज्ञान कहते हैं तथा आधुनिक खगोलशास्त्र के विकास में निम्न दो ब्रह्माण्डीय सिद्धांतों ने योगदान दिया है।

1. भूकेन्द्रीय सिद्धांत-140 ई. में रोमन भूगोलवेत्ता टॉलेमी के इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी ब्रह्माण्ड के केन्द्र में स्थित है तथा सूर्य एवं अन्य ग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं।

2. सूर्यकेन्द्र सिद्धांत-1543 ई. में पॉलैण्ड के खगोलशास्त्री निकोलस कॉपरनिक्स ने सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसके अंतर्गत सूर्य ब्रह्माण्ड के केन्द्र में स्थित है तथा पृथ्वी सहित अन्य ग्रह उसकी परिक्रमा करते है। वर्तमान में यह सिद्धांत मान्य है।

आकाशगंगा

आकाशगंगा तारों का एक विशाल पुंज है तथा तारों के अतिरिक्त आकाशगंगा में धूल एवं गैसें भी पायी जाती है, तो वहीं हमारा सौर परिवार जिस आकाशगंगा में स्थित है, उसे 'मंदाकिनी' कहते हैं, जिसका आकार सर्पिलाकार है। पृथ्वी ऐरावत पथ/दुग्ध मेखला (Milky Way) नामक आकाशगंगा का एक भाग है।

तारामंडल

तारों के समूह को तारामंडल कहते हैं, अब तक 89 तारामंडलों की पहचान की गई है, जिनमें हाइड्रा सबसे बड़ा है। सेंटोरस, जेमिनी, लियो अन्य प्रमुख तारामंडल है। रात्रि में ध्रुव तारे की पहचान हेतु सप्तर्षि मंडल सहायक होता है।

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